
एमिटी यूनिवर्सिटी में बीसीए के छात्र ने किया सुसाइड अटेम्प्ट
- लोहिया अस्पताल में छात्र का चल रहा इलाज
- अनुशासनहीनता के कारण विवि. प्रशासन की पड़ी थी फटकार
लखनऊ । एमिटी यूनिवर्सिटी के हास्टल में बीसीए का छात्र संदिग्ध परिस्थितियों में बेसुध मिला। आनन-फानन उसे पास के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां से उसे गोमतीनगर स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। आरएमएल में उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। लोहिया अस्पताल पहुंचे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर प्रतांडना का आरोप लगाया है। वहीं यूर्निवर्सिटी प्रशासन अपने बयान में कहा कि इस मामले एक विस्तृत जांच प्रारम्भ कर दी है। विवि. छात्र एवं उसके परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मूल रूप से कल्याणपुर कानपुर का रहने वाला नीलेश पाल पुत्र रामपाल चिनहट मल्हौर स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में बीसीए प्रथम वर्ष सेमेस्टर का छात्र है। वह कैम्पस में मौजूद हॉस्टल में ही रहता है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बृहस्पतिवार की रात 9.30 बजे नीलेश विवि. के गेट नंबर 2 के पास दीवार कूदकर बाहर चला गया था। देर रात जब हॉस्टल में नहीं आया तो उसकी खोजबीन शुरू हुई। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसकी सूचना परिजनों को दी। नीलेश के दोस्तों से मिली जानकारी के बाद परिजनों ने विवि. प्रशासन को बताया कि वह सुरक्षित अपने दोस्त के यहां रुका हुआ है। सुबह आ जाएगा। शुक्रवार को सुबह 8 बजे नीलेश हॉस्टल पहुंचा। वार्डन और विवि. प्रशासन ने नीलेश से पूछताछ की। थोड़ी देर बाद वह हॉस्टल के कमरे में चला गया। कुछ देर बाद वह अपने कमरे में बेशुध हालत में मिला। आनन-फानन उसे पास के ही एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां से उसे लोहिया अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।
.सुसाइड नोट में छात्र ने लगाए यूर्निवर्सिटी प्रशासन पर गंभीर आरोप
एमिटी यूर्निवर्सिटी में बीसीए फस्ट सेमेस्टर का छात्र नीलेश पाल जहर खाने से पहले सुसाइड नोट लिखा। नीलेश के पास से जो सुसाइड नोट मिला है, उसमें यूनिवर्सिटी प्रशासन पर उत्पीड़न का विस्तृत ब्योरा लिखा है। नोट के अनुसार, यह पूरा मामला एक छोटी सी गलती से शुरू हुआ था, जो बाद में जातिगत अपमान तक पहुँच गया। सुसाइड नोट में लिखा है कि एक दिन वह वार्डन को बताए बिना हॉस्टल से बाहर नाइट आउट के लिए गया था। उसने यह सूचना अपनी मां को फोन पर दी थी, लेकिन मां ने गलती से यह बात वार्डन को बता दी। इस छोटी सी गलती के बाद वार्डन ने उसे हॉस्टल से रेस्टिकेट (निष्कासित) कर दिया। छात्र ने माफी भी मांगी लेकिन उसकी एक न सुनी गई और उसे क्लास से भी रेस्टिकेट कर दिया गया। सुसाइड नोट में सबसे गंभीर आरोप यह है कि जब नीलेश के माता-पिता यूनिवर्सिटी कैंपस आए, तो यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के बलविंदर सिंह ने उन्हें जातिगत गालियां दीं और पेरेंट्स से भी अभद्र व्यवहार किया। छात्र ने लिखा है कि इस अपमान से आहत होकर वो ये कदम उठा रहा है। इंस्पेक्टर चिनहट दिनेश चंद मिश्र ने बताया कि अभी तक किसी प्रकार की कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई।
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