
यूपीपीसीएल में संविदा के इन पदों पर निकली भर्ती; हर महीने 40 हजार रुपये मिलेगी सैलरी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने संविदा पर सीए और सीएमए पद पर भर्ती करने का फैसला लिया है पाॅवर काॅरपोरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की तरफ से इस भर्ती से संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है। संविदा पर इन पदों भर्ती होने वाले कर्मियों को 40 हजार रुपये प्रतिमाह सैलरी मिलेगी पाॅवर काॅरपोरेशन का यह भर्ती तीन वर्षों के लिए होगी यह भर्ती इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट ऑफ इंडिया से प्राप्त बायोडाटा के आधार पर की जाएगी हालांकि पाॅवर कॉरपोरेशन के इस सीधी भर्ती के निर्णय पर आपत्ति भी जताई जाने लगी है।
पाॅवर कॉरपोरेशन में सीधे साक्षात्कार के माध्यम से लैटरल एंट्री का मामला अभी थमा भी नहीं था कि अब पावर कारपोरेशन के बोर्ड आफ डायरेक्टर ने विभागीय संविदा भर्ती का निर्णय ले लिया। पाॅवर कारपोरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) व सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (सीएमए) पद की संविदा के आधार पर रुपया 40000 प्रतिमाह पर सीधे भर्ती का प्लान बनाकर आदेश जारी कर दिया एक तरफ पाॅवर कॉरपोरेशन घाटे की बात कहकर सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से भर्ती किए गए फील्ड में तैनात संविदा कार्मिकों की छंटनी कर रहा है दूसरी तरफ सीधे संविदा भर्ती का प्लान बना रहा है ऐसी भर्ती को मास्टर रोल कहा जाता था और बाद में विधिक विवाद के चलते सभी मास्टर रोल को परमानेंट करना पड़ा था। उपभोक्ता परिषद पहले ही पाॅवर काॅरपोरेशन में लैटरल एंट्री व इस प्रकार की सीधी भर्ती की सीबीआई जांच करने की मांग कर चुका है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पाॅवर कारपोरेशन की इस प्रकार की कार्रवाई का विरोध करते हुए बिजली दर की सुनवाई में यह मुद्दा उठाया था उस समय उत्तर प्रदेश पाॅवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने यह कहकर मामले पर चुप्पी साध ली थी कि रिपोर्ट नियामक आयोग को भेजी जाएगी। आज भी पाॅवर ट्रांसमिशन काॅरपोरेशन के टेरिफ ऑर्डर में रिपोर्ट भेजने का मामला दर्ज है रिपोर्ट भेजने की बात तो दूर सीधे भर्ती प्रक्रिया चालू कर दी गई। पाॅवर कॉरपोरेशन से उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल यह सवाल करना चाहिए कि घाटे में चल रहे पाॅवर कारपोरेशन के पास सीधी भर्ती के लिए पैसा कहां से आ रहा है।
अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि इस प्रकार की कार्रवाई सिर्फ अकाउंट विंग और वित्त विभाग पाॅवर कॉरपोरेशन में ही चल रही है सबसे चौंकाने वाला मामला है कि पावर कारपोरेशन का वित्त विभाग ही निजीकरण का टेंडर निकालकर कार्रवाई कर रहा है जो बार-बार रोना रोता है कि बिजली कंपनियां घाटे में जा रही है और यहां उसके पास सीधी भर्ती करने का कहां से पैसा आ रहा है? अगर यह अपने चहेतों के लिए लोन लेकर कार्रवाई की जा रही है तो इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
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