
नेता प्विरोधी दल लाल विहारी यादव ने अनुपूरक बजट का विरोध किया, बोले "जब खर्च ही नहीं हुआ तो नया आवंटन क्यों?
संतोष कुमार सिंह
लखनऊ । विधान परिषद में बुधवार को नेता विरोधी लाल विहारी यादव ने मत संख्या 38 का उल्लेख करते हुए अनुपूरक बजट पर चर्चा की मांग की। हालांकि, चर्चा शुरू होने से पहले ही पीठ ने सभी सदस्यों से पूछा कि मत संख्या 38 पर क्या किया जाए। अधिकांश सदस्यों की सहमति के बाद जब पीठ ने मत संख्या 39 पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया, तो नेता विरोधी दल खड़े होकर आपत्ति दर्ज कराई और अनुपूरक बजट पर विस्तृत चर्चा की मांग की। लाल विहारी यादव ने कहा कि विपक्ष भी सदन का अभिन्न हिस्सा है और दोनों पक्षों की भागीदारी से ही सदन सुचारू रूप से चलता है। उनके विरोध के बाद परिषद में लगभग तीन मिनट तक सदस्यों के बीच बहस हुई। मामले को शांत करते हुए नेता सदन व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यदि पीठ अनुमति देती है तो विपक्ष अपनी बात रख सकता है, हमें उसमें कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने विभिन्न विभागों के पिछले वित्तीय वर्ष के बजट खर्च का आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कई विभागों का बजट पूरी तरह खर्च ही नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि ऊर्जा विभाग ने 58.92 प्रतिशत, गन्ना विभाग ने 89 प्रतिशत, नागरिक उद्यान ने 58 प्रतिशत, कृषि विभाग ने 21.63 प्रतिशत और लोक निर्माण विभाग ने केवल 26.6 प्रतिशत बजट ही खर्च किया है। लाल विहारी यादव ने प्रश्न उठाया कि जब अधिकांश विभाग पिछले साल का बजट ही उपयोग नहीं कर पाए हैं, तो अनुपूरक बजट पेश करने की क्या आवश्यकता है? उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षक चिकित्सा, पुरानी पेंशन, मदरसा जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए एक रुपये तक नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि कई विभागों ने तो बजट वापस कर दिया है। ऐसे में इस अनुपूरक बजट का कोई औचित्य नहीं है और विपक्ष इसका स्पष्ट विरोध करता है।





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