सचिव के घोटाले की जांच करने बहोरापुर गांव पहुंची टीम
नगरा बलिया। चिलकहर ब्लॉक के पिपरा पट्ी बहोरापुर में मंगलवार को गहमा गहमी भरा महौल था। दरअसल तत्कालीन पंचायत सचिव सहित अन्य पर लगे लगभग 60 लाख रुपये के घोटाले की जांच करने जनपद मुख्यालय से दो सदस्यों की एक टीम गांव पहुंचीं थी। जिलाधिकारी ने घोटाले से सम्बंधित एक शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए प्रकरण की जांच के लिए सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारिता को नामित किया था। जिलाधिकारी ने जांच में तकनीकी सहयोग हेतु सहायक अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण को भी नामित किया है। 18 नम्बर 2025 को नामित इस कमेटी को 15 दिनों में जांच कर इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को देनी है।
मंगलवार को सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारिता लाल बहादुर मल्ल, सहायक अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण रूचि विश्वकर्मा सहित विकास भवन से कुछ अन्य कर्मचारी घोटाले की जांच करने बहोरापुर पहुंचे। शिकायतकर्ता के साथ-साथ गांव के लोग जांच कमेटी को जानकारी देते हुए बताया कि तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी चन्द्रमोहन सिंह ने 26 अप्रैल 2025 को 2 लाख 50 हजार रुपये नाली निर्माण के नाम पर सरकारी पैसा खाते से निकाला और यह नाली बनाई ही नहीं गई। गांव के लोगों ने बताया कि जो आरसीसी रोड पीडब्लूडी की ओर से बनाया गया है। उसी कार्य को अपना कार्य दिखाकर 15 लाख रुपये का फर्जी भुगतान किया गया। पंचायत भवन में रंगाई पुताई के नाम पर 2 लाख रुपये से अधिक धनराशि आहरित की गई जबकि यह कार्य हुआ ही नहीं। गांव में कूड़ा निस्तारण के नाम पर 10 लाख रुपये निकाला गया और यह कार्य अभी तक अधूरा पड़ा है। अम्बेडकर प्रतिमा के पास चबुतरा बनाने के नाम पर 77 हजार रुपये का भुगतान हुआ। जबकि यह चबुतरा बना ही नहीं है। गांव के लोगों ने तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी चन्द्रमोहन सिंह के खिलाफ घोटालों की जानकारी देते हुए बताया कि गांव के प्रधान जयप्रकाश यादव के सस्पेंशन का फायदा उठाते हुए तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी चन्द्रमोहन सिंह ने 60 लाख रुपये से अधिक का घोटाला किया है। जांच कमेटी की प्रमुख लाल बहादुर मल्ल ने बताया कि जल्द ही जांच की विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी को शौंप दी जाएगी।
नामित प्रधान को पकड़ा दिया फर्जी डोंगल, ओटीपी के लिए बनाया नया ईमेल
बहोरापुर गांव के पंचायत सचिव चन्द्रमोहन सिंह ने पैसा गबन करने का एक नया फंडा अपना लिया था। गांव के निर्वाचित प्रधान जयप्रकाश यादव के सस्पेंशन के बाद जिला प्रशासन ने विरेन्दर राम को गांव का प्रधान नामित किया था। गांव के लोग बताते हैं कि विरेन्दर राम कम पढे लिखे हैं। पंचायत सचिव चन्द्रमोहन सिंह ने उनसे इंटरनेट से जुड़ने वाला डोंगल हांसिल कर लिया था। इस्तेमाल के बाद उसने दूसरा डोंगल नामित प्रधान को पकड़ा दिया। उसी डोंगल के सहारे उसने एक अलग ईमेल आईडी बनाई और उसी मेल पर ओटीपी मंगा कर फर्जी विड्रॉल करता रहा। गांव के प्रधान जय प्रकाश यादव ने बताया कि इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की गई है।





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