
अनीस मंसूरी का आह्वानः पसमांदा मुस्लिम समाज, बेहद गंभीरता से लें एसआईआर
* अपने वोट से जोड़िए अपनी पहचान
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया पूरे 22 साल बाद शुरू हो गई है। यह सिर्फ मतदाता सूची का अद्यतन नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए अपने लोकतांत्रिक अधिकार को मजबूत करने का सुनहरा अवसर है। प्रदेश के 1,62,486 मतदान केंद्रों पर प्रशिक्षित बीएलओ (BLO) आज से घर-घर जाकर गणना प्रपत्र (Enumeration Form) वितरित कर रहे हैं, जो 04 नवम्बर से 04 दिसम्बर 2025 तक चलेगा। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने इस अभियान को “जन-जागरण का पर्व” बताते हुए उत्तर प्रदेश के सभी नागरिकों, विशेषकर मुसलमानों और पसमांदा समाज के लोगों से अपील की है कि वे एसआईआर प्रक्रिया को अत्यंत गंभीरता से लें और अपने दस्तावेज़ पूरे रखकर बीएलओ के सहयोग से अपना नाम मतदाता सूची में सुनिश्चित करें। अनीस मंसूरी ने कहा, “यह सिर्फ फॉर्म भरने की औपचारिकता नहीं है, बल्कि अपने अस्तित्व और आवाज़ को लोकतंत्र में दर्ज कराने का अधिकार है। 22 साल बाद ऐसा मौका मिला है, जब हर नागरिक यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसका नाम सही मतदाता सूची में दर्ज है।” उन्होंने बताया कि जिन मतदाताओं के नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में होंगे, उनके लिए प्रक्रिया आसान रहेगी — उन्हें केवल गणना प्रपत्र भरकर उस सूची की फोटो कॉपी बीएलओ को देनी होगी। चुनाव आयोग के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत मतदाताओं के नाम 2003 की सूची में हैं, जबकि बाकी लोगों के लिए सत्यापन की प्रक्रिया होगी।
एसआईआर अभियान की प्रमुख तिथियां
* गणना प्रपत्र का वितरण व संकलन: 04 नवम्बर से 04 दिसम्बर 2025
* आलेख्य प्रकाशन: 09 दिसम्बर 2025
* दावे व आपत्तियां: 09 दिसम्बर 2025 से 08 जनवरी 2026
* सुनवाई व सत्यापन: 09 दिसम्बर 2025 से 31 जनवरी 2026
* अंतिम प्रकाशन: 07 फरवरी 2026
तीन श्रेणियों के मतदाता और आवश्यक दस्तावेज़
1️⃣ 01 जुलाई 1987 से पहले जन्मे:
2003 की मतदाता सूची पर्याप्त, कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ आवश्यक नहीं।
2️⃣ 01 जुलाई 1987 से 02 दिसम्बर 2004 के बीच जन्मे: एक स्वयं का और एक माता-पिता का दस्तावेज़ आवश्यक।
3️⃣ 02 दिसम्बर 2004 के बाद जन्मे: एक स्वयं का, एक माता का और एक पिता का दस्तावेज़ — तीन प्रमाण आवश्यक।
अनीस मंसूरी ने कहा कि आयोग और प्रशासन को चाहिए कि गांव-गांव और बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि कोई भी नागरिक, खासकर सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों का व्यक्ति, मतदाता सूची से वंचित न रह जाए। उन्होंने कहा, “एसआईआर केवल सरकारी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक चेतना का उत्सव है। जो आज अपने नाम को मतदाता सूची में दर्ज कराएगा, वही कल देश की दिशा तय करेगा।”





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