
एस आई आर डी मे विभिन्न विषयो पर विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है प्रशिक्षण
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान बख्शी का तालाब, लखनऊ में विभिन्न सरकारी, अर्धसरकारी विभागो /संस्थाओ के अधिकारियों व कर्मचारियों व विभाग व रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें और अधिक दक्ष व सक्षम बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, बख्शी का तालाब, लखनऊ द्वारा संस्थान द्वारा महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू के संरक्षण व प्र0 अपर निदेशक सुबोध दीक्षित के मार्ग निर्देशन तथा प्रशासनिक नियंत्रण में, संस्थान मे 03-05 नवंबर, 2025 की अवधि में दो प्रमुख प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, यथा - प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों की ज्ञान एवं कौशल दक्षता के लिए कुल 95 प्रतिभागियों हेतु, " लर्निंग बाई डूइंग " विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत, ब्लाक मिशन मैनेजर तथा डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर के कुल 102 प्रतिभागियों हेतु, " सी बी ओ ( सी एल एफ , वी ओ एवं एस एच जी ) का लोकोस पर आन लाइन ट्रांजैक्शन " विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आयोजन किया जा रहा है। मंगलवार को मिशन कर्मयोगी एवं विकसित भारत @2047 के परिप्रेक्ष्य में, संस्थान के बुद्धा सभागार में, इन दोनों प्रशिक्षण कार्यक्रमों के समस्त प्रतिभागियों को आमंत्रित करके, महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू की अध्यक्षता एवं विशिष्ट अतिथि वार्ताकारों यथा - भूपेंद्र सिंह, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड, डा० स्नेहिल, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड तथा शिक्षा विभाग से वरिष्ठ प्रशिक्षक प्रशान्त दूबे की गरिमामई उपस्थिति में, प्रशिक्षण कार्यक्रमों से सम्बन्धित विषयगत वार्ताकारों द्वारा संक्षिप्त रूप से कार्यक्रम की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता तथा उद्देश्यों पर वृहद रूप से बिन्दुवार विचार प्रकट किए गए। नाबार्ड के उप प्रबन्धकों द्वारा ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत, लोकोस पर आन लाइन ट्रांजैक्शन के विषय पर प्रतिभागियों को कुशल ढंग से कार्य करने हेतु बताया गया। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ प्रशिक्षक द्वारा लर्निंग बाई डूइंग कार्यक्रम के अन्तर्गत उपस्थित समस्त अध्यापकों व प्रशिक्षकों को व्यवहारिक प्रक्रिया के माध्यम से सिखाया गया तथा इसका प्राथमिक महत्व भी बताया कि आगे चलकर विद्यार्थी कैसे अपने ज्ञान और कौशल में दक्षता प्राप्त करेंगे। अध्यक्षीय उद्बोधन के अन्तर्गत महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि मिशन कर्मयोगी एवं विकसित भारत @ 2047 के परिप्रेक्ष्य में हम सभी किस प्रकार और कैसे विकास की दृष्टि से कार्यों को निष्पादित करें। सकारात्मक दृष्टिकोण से सभी कार्यों को चुनौतीपूर्ण ढंग से समझने की आवश्यकता है। योग एवं भोग के विषय में अन्तर बताते हुए कहा कि अनुशासनबद्ध जीवन शैली व्यतीत करना ही योग है। हर एक स्तर पर अनुशासन एवं नैतिकता की मौलिकता होनी चाहिए। समाज ऐसा होना चाहिए कि जहां पर गलत कार्यों का विरोध हो तथा अच्छे कार्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए। ऋषि-मुनियों की धरती पर मर्यादा की सीमाएं निश्चित हैं। विकसित भारत बनाने के लिए सभी भारतीयों के योगदान की आवश्यकता है। काम , क्रोध व लालच किसी को भी आदर्श पथ पर नहीं ले जा सकते हैं। अच्छे और बुरे कार्यों का परिणाम अवश्य मिलता है, निर्भर इस पर है कि उसकी गुणवत्ता कैसी है। इस प्रकार देर-सवेर उसका प्रतिफल सामने आता है।सम्पूर्ण कार्यक्रम का मंच संचालन व सभी को धन्यवाद संस्थान के डा० नवीन कुमार सिन्हा द्वारा किया गया।कार्यक्रम के आयोजन एवं प्रबंधन के दृष्टिगत संस्थान की उप निदेशक डा० नीरजा गुप्ता, सरिता गुप्ता, सहायक निदेशक डा० राज किशोर यादव, डा० सत्येन्द्र कुमार गुप्ता, डा ० सीमा राठौर, राजीव कुमार दूबे, संकाय सदस्य धर्मेन्द्र कुमार सुमन, मोहित यादव, विनीता रावत तथा सहयोग की दृष्टि से संस्थान के शोध सहयुक्त प्रतिमेश तिवारी, कम्प्यूटर प्रोग्रामर उपेन्द्र कुमार दूबे, प्रचार सहायक मो० शहंशाह तथा अन्य उपयोगी कार्मिकों का सराहनीय एवं उल्लेखनीय योगदान रहा।





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