
वन्डर बाक्स आधारित क्षमता संवर्धन विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान बख्शी का तालाब, लखनऊ में विभिन्न सरकारी, अर्धसरकारी विभाग /संस्थाओ के अधिकारियों व कर्मचारियों व रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें और अधिक दक्ष व सक्षम बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, बख्शी का तालाब, लखनऊ द्वारा संस्थान के महानिदेशक एल० वेंकटेश्वर लू के संरक्षण व अपर निदेशक सुबोध दीक्षित के मार्ग निर्देशन में संस्थान प्रांगण के अन्तर्गत 4 व 5 अगस्त 2025 को प्राथमिक एवं प्राथमिक शिक्षा विभाग उ०प्र० के सहयोग से, संचालित, " वन्डर बाक्स आधारित क्षमता संवर्धन विषयक " प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया और व 5 से 7 अगस्त की अवधि में, सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों व स्वैच्छिक संगठनों के पदाधिकारियों हेतु, " गुड गवर्नेंस " विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
मंगलवार को महानिदेशक संस्थान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय/ राज्य स्तरीय प्रबुद्ध विद्वान विशिष्ट अतिथि वार्ताकारो द्वारा प्रासंगिक व विषयगत विचार प्रकट किए गए। कार्यक्रम के दौरान उमेश चन्द्र जोशी, सलाहकार एवं राष्ट्रीय मास्टर ट्रेनर, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार द्वारा बताया गया कि सुव्यवस्थित शासन प्रणाली के अन्तर्गत, सहभागिता, पारदर्शिता एवं जबावदेही इत्यादि घटक अत्यंत प्रासंगिक हैं। प्रशिक्षण विधा से सम्बन्धित सिस्टेमेटिक एप्रोच टू ट्रेनिंग तथा वयस्कों के सीखने के विज्ञान एवं व्यवहार की समझ पर विशेष उपयोगी व्याख्यान दिया।
डा० किशन वीर सिंह शाक्य प्रख्यात शिक्षाविद् एवं पूर्व वरिष्ठ सदस्य लोक सेवा आयोग उ०प्र० द्वारा प्रतिभागियों को वन्डर बाक्स ( जादुई पिटारा) के विषय में बताया कि तीन वर्ष से छः वर्ष के मध्य बच्चों सीखने की तीव्र प्रतिभा व विलक्षण एवं कुशाग्र बुद्धि होती है। ऐसे आयु काल में बच्चों को जटिल एवं भ्रमात्मक विधाओं से दूर रखा जाना चाहिए तथा उन सार्थक और उपयोगी विषयों का ज्ञानार्जन कराना चाहिए, जिन विषयों को बच्चे सरलता व सहजता से ग्राह्य कर सकें। मानवोदय सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष वरुण विद्यार्थी जी द्वारा अपने अनुभवों के आधार पर बाल मानसिकता एवं माता-पिता की चुनौतियों पर सारगर्भित विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्षीय उद्बोधन के अन्तर्गत महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि पुरातन काल में, हमारे ऋषि मुनियों द्वारा संचालित गुरूकुल पद्धति बहुत उपयोगी थी, उस समय प्रत्येक धार्मिक स्थल से सम्बद्ध शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएं हुआ करती थीं, जिनके माध्यम से विद्यार्थियों व प्रशिक्षुओं को शास्त्र और शस्त्र विद्या का समुचित ज्ञान भी कराया जाता था।
कार्यक्रम का मंच संचालन डा० नवीन कुमार सिन्हा द्वारा किया गया तथा संस्थान के उपनिदेशक डॉ० बी एल मौर्य द्वारा सभी प्रतिभागियों, विशिष्ट अतिथि वार्ताकारों, प्रबंधन कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों/कार्मिकों तथा संस्थान के महानिदेशक को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम के प्रबन्धन एवं आयोजन के दृष्टिगत सहायक निदेशक डॉ राजकिशोर यादव, डा० वरूण चतुर्वेदी, डा० शिव बचन सिंह यादव, मोहित यादव, विनीता सिंह, उपेन्द्र कुमार दूबे तथा मोहम्मद शहंशाह का सराहनीय योगदान रहा है।
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