ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला में मनाया गया बन्दी छोड़ दिवस
दया शंकर चौधरी
लखनऊ। ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिन्डोला, लखनऊ में आज 01 नवम्बर को बन्दी छोड़ दिवस बड़ी श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरूद्वारा साहिब को बिजली का झालरों, दीप मालाओं एवं फूलों द्वारा बडी खूबसूरती के साथ सजाया गया।
शाम का विशेष दीवान 6.30 बजे रहिरास साहिब के पाठ से दीवान आरम्भ हुआ जो रात्रि 10.30 बजे तक चला। जिसमें हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तन: *"दीवाली दी राति दीवे बालीअनि।" "सतिगुर बन्दीछोड़ है जीवन मुक्ति करै उडीणा।"
गायन एवं समूह संगत को नाम सिमरन करवाया। ज्ञानी गुरजिंदर सिंह ने बन्दी छोड़ दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब श्री गुरू हरिगोन्बिद साहिब जी लोगों में नई जागृति लाने के लिये जगह-जगह धर्म प्रचार कर रहे थे तो कई दूसरे धर्मो के लोग भी सिख बनने लगे। गुरु जी ने अपने पिता की तरह दुखियों की सेवा करनी शुरु कर दी। सिखों की बढ़ती ताकत को देख कर मुगल बादशाह जहांगीर ने हुक्म से गुरु जी को बन्दी बना कर ग्वालियर के किले मे कैद कर दिया गया। जहां 52 हिन्दू राजा पहले से कैद थे, गुरु जी ने उन राजाओं की हिम्मत बांधी गुरु जी से राजा बहुत प्रभावित हुए। भिन्न-भिन्न स्थानों पर जत्थे बनाकर सिख ग्वालियर पहॅुचने लगे, मिलने की अनुमति न होंने के कारण लोग किले की दीवारों को माथा टेक कर वापस चले जाते। गुरु जी को बन्दी बनाने के विरुद्ध सिखों व गुरु घर के प्रेमियों में कई नेक दिल मुसलमानों ने भी आवाज उठायी इसके परिणाम स्वरुप जहांगीर को गुरु जी को रिहा करने का हुक्म देना पड़ा। मगर गुरु जी ने रिहा होने से इन्कार कर दिया। गुरु जी ने कहा कि हम अकेले किले से बाहर नही जायेंगे अगर हमे रिहा करना है तो 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा करना होगा। जहांगीर को उन 52 हिन्दू राजाओं को रिहा करना खतरनाक लगने लगा उसने हुक्म जारी किया कि जितने गुरु जी का दामन पकड़ कर बाहर जायेंगे उन्हें छोड़ दिया जायेगा गुरू जी ने 52 कलियों वाला चोला (कुर्ता) बनवाया और सभी राजाओं को एक-एक पकड़ाई और इस तरह गुरु जी उन 52 हिन्दू राजाओं को लेकर किले से बाहर निकले व उनका राजपाट वापस दिलवाया। तभी से गुरु जी को ‘‘ बन्दी छोड़ दाता‘‘ भी कहा जाता है। रागी जत्था भाई प्रीतम सिंह गुरुद्वारा चन्दर नगर वालों ने "दीन दुनी दा पातसाह पातसाहां पातसाहा अडोला। दसतगीर हुइ पंज पीर हरि गुर हरि गोबिन्द अतौला।" शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। समूह संगत ने दीप और मोमबत्तियां जला कर बन्दी छोड दिवस मनाते हुए गुरु घर की खुशियाँ प्राप्त की।
दिवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिह बग्गा जी ने समूह संगत को बन्दी छोड़ दिवस की बधाई दी। उसके उपरान्त श्रधालुओं में गुरु का प्रसाद वितरित किया गया।
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