
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर चला ट्रंप का 'चाबुक'
नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को बड़ा फैसला करते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता रद्द कर दी। इससे वहां पढ़ाई करने वाले करीब 6,800 विदेशी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। इनमें भारतीय छात्र भी हैं। हार्वर्ड में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या सैकड़ों में है। ये छात्र अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता में हैं। इस फैसले की घोषणा करते हुए यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा, 'यह देशभर के सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी है।' उन्होंने आगे कहा, 'अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देना एक विशेषाधिकार है –अधिकार नहीं –और यह विशेषाधिकार हार्वर्ड द्वारा बार-बार संघीय कानून का पालन करने में विफल रहने के कारण रद्द कर दिया गया है।'
छात्रों को कहीं और जाना होगा-एजेंसी
संघीय एजेंसी ने कहा, ‘इसका मतलब है कि हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता और मौजूदा विदेशी छात्रों को अपना कानूनी दर्जा खोना होगा या कहीं और जाना होगा।’ अमेरिका की गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय को लिखे पत्र में कहा, ‘मैं आपको यह सूचित करने के लिए पत्र लिख रही हूं कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्र एवं शैक्षणिक विनिमय प्रवेश कार्यक्रम का प्रमाणन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।’
हार्वर्ड में पढ़ते हैं 788 भारतीय छात्र
इस घटनाक्रम से हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर भी असर पड़ने का खतरा है। वर्तमान में हार्वर्ड में दुनिया भर से लगभग 10,158 छात्र और शोधकर्ता पंजीकृत हैं। ‘हार्वर्ड इंटरनेशनल ऑफिस’ की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार हार्वर्ड विश्वविद्यालय के तहत सभी स्कूल में शिक्षण सत्र 2024-25 में भारत के 788 छात्र और शोधार्थी पंजीकृत हैं।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से नाराजगी
‘हार्वर्ड ग्लोबल सपोर्ट सर्विसेज’ ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि हर साल 500-800 भारतीय छात्र और शोधकर्ता हार्वर्ड में अध्ययन करते हैं। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में एशियाई अमेरिकी, मूल हवाई द्वीप निवासी और प्रशांत द्वीपसमूह (एएएनएचपीआई) आयोग के सलाहकार रहे अजय भुटोरिया ने एक बयान में कहा कि एक भारतीय-अमेरिकी के रूप में समुदाय के लिए अवसर को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध होने और आव्रजन नीतियों के एक मजबूत समर्थक होने के नाते वह ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से ‘अत्यधिक नाराज’हैं।
छात्रों का सपना टूट जाएगा-भुटोरिया
उन्होंने कहा कि भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष नौ अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान देते हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों को मजबूत करते हैं तथा प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में अक्सर नवोन्मेष का नेतृत्व करते हैं। भुटोरिया ने कहा, ‘यह नीति हार्वर्ड में पढ़ रहे 500 से अधिक भारतीय छात्रों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है जिसके कारण उन्हें अगले शैक्षणिक वर्ष के शुरू होने से पहले ही अमेरिका छोड़ने या देश में किसी और जगह स्थानांतरित होने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों की सर्वाधिक कुशाग्र प्रतिभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले इन छात्रों ने हार्वर्ड की शिक्षा के लिए अपने सपनों, वित्त और भविष्य का निवेश किया है लेकिन राजनीतिक रूप से प्रेरित इस हमले के कारण उनकी आकांक्षाएं चकनाचूर हो गई हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह वह अमेरिका नहीं है जिसके लिए हम खड़े हैं-अमेरिका युवाओं के लिए अवसरों का प्रकाशस्तंभ होना चाहिए, न कि डर का स्थान।’
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