
मदरसों में पिस्टल लहराकर निरीक्षण, महिलाओं से अभद्रता और वीडियो वायरल मामला गरमाया
* अनीस मंसूरी ने बाराबंकी के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा के खिलाफ शासन को हलफनामा और पुख्ता साक्ष्य सौंपे हैं
* पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने डीएमओ को निलम्बित कर जांच कराये जाने की मांग की
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने बाराबंकी के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा के खिलाफ शासन को हलफनामा और पुख्ता साक्ष्य सौंपे हैं। श्री मंसूरी ने अपने बयान में कहा है कि “संजय मिश्रा पर लगे आरोप मामूली नहीं, बल्कि कानून, मर्यादा और मानवाधिकार — तीनों की सीमाओं को लांघते हैं।” श्री मंसूरी ने बताया कि यह हलफनामा 9 सितंबर 2025 को दर्ज उनकी शिकायत के क्रम में भेजा गया है, जिस पर शासन ने 16 अक्टूबर 2025 को उनसे साक्ष्य और शपथपत्र मांगा था। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि संजय मिश्रा ने मदरसों में खुलेआम पिस्टल लगाकर निरीक्षण किए, जिससे भय और दहशत का माहौल बना। इतना ही नहीं, मिश्रा पर नाबालिग छात्र-छात्राओं और महिला शिक्षिकाओं के साथ अभद्र व्यवहार करने और उनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर प्रसारित करने के भी गंभीर आरोप हैं। श्री मंसूरी ने कहा कि ये कृत्य विशाखा बनाम राजस्थान सरकार के फैसले, शस्त्र अधिनियम, और सोशल मीडिया नीति का खुला उल्लंघन हैं। उन्होंने इसे निजता के अधिकार और महिला सम्मान पर सीधा हमला बताया। अनीस मंसूरी के मुताबिक, “ऐसे अधिकारी न केवल पद की गरिमा को कलंकित करते हैं, बल्कि पूरे विभाग की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हैं।” अपने हलफनामे के साथ अनीस मंसूरी ने शासन को ऐसे दस्तावेज़ और फोटो साक्ष्य भेजे हैं, जो कथित अनियमितताओं और अनुचित आचरण की पुष्टि करते हैं। उन्होंने मांग की है कि शासन इस मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराए तथा संजय मिश्रा के खिलाफ तत्काल विभागीय कार्रवाई और निलंबन सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि "जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। श्री मिश्रा पद पर रहते जांच को प्रभावित कर सकते हैं। उनके पद पर रहते निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। अनीस मंसूरी ने तीखे लहजे में कहा — “जब एक अधिकारी मदरसों में बंदूक लेकर जाता है और बच्चों व महिला शिक्षिकाओं को डराता है, तो यह सिर्फ अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि सत्ता के नाम पर आतंक फैलाने की कोशिश है। सरकार को तय करना होगा कि वह सच्चाई के साथ है या ऐसे अफसरों के साथ।”





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