
आईओबी लॉकर लूट में गंवाई ज्वेलरी का दावा पेश करने चिनहट थाने पहुंचे लॉकर धारक
- 22 दिसंबर 2024 को इंडियन ओवरसीज बैंक की चिनहट शाखा में चोरी ने काटे थे 42 लॉकर
- लॉकर धारकों के लिए अपनी ज्वैलरी का सत्यापन करना हुआ चैलेंज
लखनऊ। इंडियन ओवरसीज बैंक की चिनहट शाखा में बीते 22 दिसंबर को 42 लॉकर काटकर हुई करोड़ों की ज्वैलरी चोरी के मामले में 7 माह बाद लॉकर धारकों को उनके जेवर मिलने की उम्मीद जागी है। न्यायलय के निर्देश पर बुधवार को स्थानीय पुलिस ने लॉकर धारकों से सत्यापन किया। पुलिस ने 33 लॉकर धारकों को नोटिस देकर सत्यापन के लिए बुलाया था। चिनहट थाने में दिन भर लॉकर धारकों का जमावड़ा लगा रहा। इस बीच पुलिस के आला अधिकारी भी मौजूद रहे।
सहायक पुलिस आयुक्त विभूतिखण्ड विनय कुमार द्विवेदी ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक शाखा के 33 लॉकर धारकों को नोटिस देकर बुधवार को थाने बुलाया गया था। 10 बजे से यहां लॉकर धारकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। लोग लॉकर में रखी अपनी ज्वेलरी की पहचान करने पहुंचे थे। सभी लोगों ने अपनी-अपनी ज्वेलरी की पहचान की। ज्वेलरी के दावेदारों से जरूरी कागजात और सबूत भी मांगे गए। सभी दावेदारों का सत्यापन कर एक विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय को भेजा जाएगा। न्यायालय के निर्देश पर उन सभी लॉकर धारकों को ज्वैलरी सुपुर्द कर दिया जाएगा। बुधवार को कुल 33 लॉकर धारक थाने पहुंचे, और अपनी-अपनी ज्वैलरी का सत्यापन किया। उनके पास साक्ष्य के रूप में केवल अपने परिवार की शादी फंक्शन की फोटो व एलबम था जिसमें परिवार की महिलाओं ने ज्वेलरी पहनी थी। उनके पास इसके अलावा अन्य कोई साक्ष्य नहीं था। पैतृक ज्वैलरी और सालों पुरानी ज्वैलरी होने के चलते कई के पास उसकी रसीद तक नहीं थी। सुबह से बैठे कई पीड़ितों का नंबर दोपहर 2 बजे के बाद आया। जब पहला पीड़ित सत्यापन कमेटी के सामने अंदर पहुंचा तो बाहर बैठे लोगों के चेहरे पर चमक आने लगी और एक दूसरे से अपना दर्द शेयर करते रहे। कमेटी रूम के बाहर निकलने पर उन्हें घेर कर तमाम तरह के अलग-अलग सवाल कर रहे थे। बता दें कि बीते 22 दिसंबर 2024 को मटियारी चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में चोरों ने बैंक की पिछली दीवार में छेद करके 42 लॉकर तोड़े थे। इन लॉकरों से चोर करोड़ो रूपये की ज्वैलरी चुरा ले गए थे। राजधानी की सबसे बड़ी बैंक रॉबरी के बाद हरकत में आई पुलिस ने इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया। और मुठभेड़ों में कुछ आरोपियों को मार गिराया।
ढ़ेरों गहनों में अपनी ज्वैलरी सत्यापित करने का है चैलेंज
सत्यापन कमेटी रूम से बाहर निकले पीड़ितों से राष्ट्रीय सहारा को बताया कि कुछ प्रतिशत ही सामान मैच हो पा रहा है। लूट के बाद बरामद ज्वैलरी का भंडार था। कई ज्वैलरी एक सामान है। जिसमें से अपनी ज्वैलरी की पहचान करना मुश्किल लग रहा है। केवल महंगे कीमत हार की फोटो भले ही पीड़ितों के पास थी लेकिन चांदी, सोने के सिक्के, सोने की सिक्के, पायल, चेन, अंगूठी व अन्य ज्वैलरी की न तो कोई फोटो है और न ही कोई साक्ष्य। ऐसे में वह कैसे अपनी ज्वैलरी का दावा कर सकेंगे। गुडगांव से आई संस्कृति सिन्हा व प्रतीक श्रीवास्तव ने बताया कि ओवरसीज बैंक में उन्होंने लॉकर नंबर 32 लिया था। उसमें उनकी ज्वैलरी रखी थी। जिसकी कीमत एक करोड़ से भी ज्यादा थी। वह अपने साथ ज्वैलरी की फोटो का एलबम भी लेकर आई थी। शिनाख्त परेड के बाद उन्होंने बताया कि सोने चांदी की ज्वैलरी तो दिखाई गई लेकिन उनकी ज्यादातर ज्वेलरी उसमें नहीं थी। उनकी ज्वैलरी का दो प्रतिशत माल भी बरामद नहीं हुआ।
उपभोक्ता फोरम जा सकते हैं पीड़ित
लूट की ज्वैलरी की रिकवरी शिनाख्त परेड में शामिल हुए पीड़ितों का कहना है कि जिस तरीके उनसे साक्ष्य मांगे जा रहे, वैसे उनके पास नहीं हैं। केवल फोटो के जरिए ही पहचान कराई जा रही है। कई ज्वेलरी जैसे चेन, अंगूठी की डिजाइन एक जैसे होने से लोगों को पहचान करने में दिक्कत आ रही है। इसके अलावा, सालों से लॉकर में रखी ज्वैलरी को अपनी जमा पूंजी समझ कर उन्होंने कभी उसे निकाला भी नहीं और न ही फंक्शन में उसे पहन कर फोटो खिंचवाई। इसके अलावा पैतृक ज्वेलरी होने के चलते उनके पास उसकी कोई रसीद भी नहीं है। अब अपनी कीमत ज्वैलरी वापस पाने के लिए पीड़ित उपभोक्ता फोरम की शरण में जाने की बात कही है। आपको यह भी बता दें कि इंडियन ओवरसीज बैंक ने अपने लॉकर धारको को दो-दो लाख रूपये देकर जिम्मेदारी पूरी कर ली है।
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