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डोनाल्ड ट्रंप ने लिया ऐसा फैसला, हर इंडियन होगा खुश
नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे हर इंडियन खुश हो जाएगा। अमेरिका ने भारत के दुश्मन की एक तरह से कमर तोड़ दी है अमेरिका ने उस तिजोरी पर ताला लगा दिया है, जिससे पाकिस्तानी आतंकियों को पैसे मिलते थे। जी हां, अमेरिका ने यूएसएआईडी यानी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट को बंद कर दिया है अमेरिकी एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) वही संगठन है, जो पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को परोक्ष रूप से फंड देता था।
जी हां, यूएसएआईडी ने साल 2019 में आतंकवादी हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयब्बा को 110,000 डॉलर की मदद दी थी। लश्कर-ए-तैयब्बा वही आतंकी संगठन है, जिसने बार-बार भारत को निशाना बनाया है उसने ही 26/11 के मुंबई हमलों को अंजाम दिया था। यूएसएआईडी इन दिनों DOGE हेड एलन मस्क के निशाने पर था दरअसल, लेखक और रिसर्चर अमजद ताहा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि USAID ने दक्षिण एशिया के उन संगठनों को लगभग 110,000 डॉलर की फंडिंग दी, जिनके कथित तौर पर आतंकी समूहों से संबंध हैं।
हाफिज सईद से क्या कनेक्शन
दरअसल, ऐसा ही एक संगठन था हेल्पिंग हैंड फॉर रिलीफ एंड डेवलपमेंट (एचएचआरडी)। मिशिगन का यह चैरिटी संगठन पाकिस्तान के फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) से जुड़ा हुआ था अमेरिका ने एफआईएफ को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन यह पैसा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन है अमेरिकी एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट से एफआईएफ को जो पैसा मिलता था, वह सीधे लश्कर के पास पहुंचता था इसका इस्तेमाल सईद हाफिज आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए करता था। एफआईएफ पाकिस्तान के लाहौर से चलता था 2008 के मुंबई हमलों से उसका सीधा कनेक्शन है।
क्या है यह आतंकी संगठन
फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) एक पाकिस्तानी चैरिटी संगठन है, जिसकी स्थापना 1990 में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद ने की थी। लाहौर में मुख्यालय वाले फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन ने दिखाया कि वह मानवीय प्रयासों के लिए समर्पित है, मगर हकीकत में वह लश्कर के लिए काम करता है। साल 2010 में अमेरिकी विदेश विभाग ने फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को लश्कर-ए-तैयब्बा से जुड़े होने का हवाला दिया था और उसे आतंकी संगठन घोषित किया था।
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