
उत्तर प्रदेश (पूर्व) एल.एस.ए., दूरसंचार विभाग द्वारा प्रेस बैठक का आयोजन
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ । उत्तर प्रदेश (पूर्व) लाइसेंस सेवा क्षेत्र, दूरसंचार विभाग, लखनऊ में आज (04 सितम्बर) अपर महानिदेशक (दूरसंचार) अरुण कुमार वर्मा की अध्यक्षता में एक प्रेस बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य विभाग की प्रमुख उपलब्धियों, नागरिक-केंद्रित पहलों एवं जनहितकारी अभियानों की जानकारी साझा करना रहा। बैठक के दौरान “मोबाइल सिम धोखाधड़ी से बचें” तथा “मोबाइल फोन धोखाधड़ी से बचें” शीर्षक से दो जन-जागरूकता पोस्टरों का विमोचन किया गया। इन पोस्टरों के माध्यम से आम नागरिकों को डिजिटल धोखाधड़ी से बचाव हेतु जागरूक एवं सशक्त बनाने का संदेश दिया गया साथ ही यह बताया गया की दूरसंचार अधिनियम 2023 के अनुसार जाली दस्तावेजों से सिम लेना या जानकारी छुपाना अपराध है| इसके अलावा मोबाइल हैंडसेट के IMEI में छेड़छाड़ या अनधिकृत उपयोग भी गंभीर अपराध है | इन अपराधों के लिए दूरसंचार अधिनियम में 3 साल तक की सजा या 50 लाख रुपये या दोनों तक जुर्माना हो सकता है।
अपर महानिदेशक(दूरसंचार) श्री वर्मा ने संचार साथी पोर्टल/ऐप के प्रयोग पर जोर दिया और बताया की संचार साथी पोर्टल/ऐप कई नागरिक केंद्रित सुविधायें उपलब्ध है, जोकि इस प्रकार है।
* मोबाइल फ़ोन गुम होने की रिपोर्टिंग,
* संदिग्ध धोखाधड़ी और वांछित वाणिज्यिक संचार(UCC) की रिपोर्टिंग
* जारी हुए मोबाइल सिम कार्ड की जानकारी,
मोबाइल हैंडसेट के आईएमइआई की सत्यता की जाँच,
विश्वसनीय संपर्क विवरण
उन्होंने बताया की मोबाइल फोन चोरी या खोने की स्थिति में उन्होंने नागरिकों को पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ दूरसंचार सेवा प्रदाता से नया सिम कार्ड लेने और संचार साथी पोर्टल/ऐप पर सूचना दर्ज करने को कहा। उन्होंने आगे बताया की अभी तक उत्तर प्रदेश (पूर्व) के 48 जिलों में संचार साथी पोर्टल के माध्यम से 31 अगस्त 2025 तक कुल 1,91,369 मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक किए गए है और 29,741 मोबाइल हैंडसेट बरामद किए गए। राष्ट्रीय स्तर पर, मोबाइल हैंडसेट बरामदगी के मामले में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
उन्होंने आगे बताया की दूरसंचार विभाग ने अपने डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफार्म का उपयोग करके; NCRP पोर्टल, संचार साथी पोर्टल पर सूचित नंबर, वित्तीय संस्थानों से प्राप्त सूचना के आधार पर, मोबाइल नम्बरों के लिए एक डायनामिक धोखाधड़ी जोखिम के संकेतांक (FRI) बनाया है ताकि लोगों को पैसे ट्रांसफर करने से पहले भी उस मोबाइल फोन से जुड़े खतरे जैसे मध्यम, उच्च आदि के बारे में बताया जा सके और संभावित साइबर फ्रॉड के लिए सजग किया जा सके। आर बी आई ने 30 जून 2025 को सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों को इसका उपयोग करने को कहा है | फ़ोन पे, पेटीएम के साथ पंजाब नेशनल बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, केनरा बैंक, Paytm, YES बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक आदि ने इसे लागू भी कर दिया है, जिससे लोगों को पैसे के ट्रांसफर करने से पहले भी उस संभावित साइबर फ्रॉड के लिए सजग किया जा सके।
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