लखनऊ। अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास 12 जून को हुए बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर दुर्घटना में 275 लोगों की जान चली गई। इस त्रासदी के बाद, जहां काफी लोग एयर इंडिया के लिए सवाल उठा रहे थे वहीं जाने-माने बिज़नेस और एविएशन लीडर्स एयर इंडिया का बचाव करने के लिए सामने आए हैं। लंदन गैटविक जाने वाली यह फ्लाइट उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस घटना ने टाटा ग्रुप की इस एयरलाइन के लिए इंडस्ट्री में पहले कभी न देखी गई एकजुटता दिखाई है।
कैप्टन किशोर चिंता (जो पहले भारत के एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के एक अनुभवी जांचकर्ता रह चुके हैं) ने इस घटना की असाधारण प्रकृति के बारे में अहम जानकारी दी। चिंता ने बीबीसी को बताया कि यह दुर्घटना विमानन में "सबसे दुर्लभ से दुर्लभतम" (rarest of the rare) परिस्थितियों में से एक है। उन्होंने जोर देकर कहा, "मेरी जानकारी में, ऐसा पहले कभी कुछ नहीं हुआ।"
आरपीजी ग्रुप के बिज़नेस लीडर हर्ष गोयनका ने एयरलाइन के संकट प्रबंधन के तरीके का जोरदार समर्थन किया है। द इकोनॉमिक टाइम्स में लिखते हुए, गोयनका ने टाटा ग्रुप की पिछली आपात स्थितियों, खासकर 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान की प्रतिक्रियाओं से तुलना की।
गोयनका ने लिखा, "यहीं पर टाटा ग्रुप अलग खड़ा होता है। कोई बहाना नहीं था," उन्होंने दिखाई गई लीडरशिप और वास्तविक प्रतिक्रिया की तारीफ की, जिसने कॉर्पोरेट संकट संचार की आम गलतियों से बचा।
समर्थन करने वालों में पूर्व जेट एयरवेज के मुख्य कार्यकारी संजीव कपूर भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने एयर इंडिया के ऑपरेशंस पर प्रतिबंध लगाने की मांगों का विरोध किया है। कपूर ने आलोचकों को एयरलाइन के दशकों पुराने शानदार सुरक्षा रिकॉर्ड की याद दिलाई।
कपूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया, "एयर इंडिया का दशकों से शानदार सुरक्षा रिकॉर्ड रहा है। एक त्रासदी और लोग अपना सारा नज़रिया खो देते हैं।"
एविएशन एक्सपर्ट ने बताया कि बोइंग 787 विमान प्रकार ने एआई171 घटना से पहले दुनिया भर में 5 मिलियन से अधिक उड़ान संचालन किए थे, बिना किसी पिछली दुर्घटना या मौत के। कपूर ने कहा, "उड़ना अभी भी परिवहन का सबसे सुरक्षित रूप है।"
यह इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया एयर इंडिया के तुरंत संकट मोचन को मान्यता देती है, जिसमें सीईओ कैंपबेल विल्सन और चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन दोनों तुरंत दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। चंद्रशेखरन ने लगातार जवाबदेही का वादा किया है, यह कहते हुए कि समूह "अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटेगा।"
टाटा ग्रुप ने प्रत्येक पीड़ित परिवार के लिए 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। इस घटना पर बिज़नेस लीडर्स की प्रतिक्रिया से आपको क्या लगता है कि कॉर्पोरेट संकट के समय पारदर्शिता और मज़बूत नेतृत्व कितना महत्वपूर्ण है?
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