
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन की तीन दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यशाला संपन्न
दया शंकर चौधरी
* मिशन का उद्देश्य युवाओं को उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण देकर राज्य के आर्थिक विकास में योगदान करना है
* गुणवत्ता सुधार, रणनीतिक योजना और तकनीकी समावेश को प्राथमिकता दी जाए- प्रमुख सचिव डॉ. हरिओम
* कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, UPSDM पोर्टल प्रबंधन और प्रशिक्षण चक्र पर चर्चा हुई
* UPSDM और SCVT को ‘अवार्डिंग बॉडी’ का दर्जा मिला है
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय "क्षमता संवर्धन कार्यशाला" का समापन कल (23 अप्रैल) लखनऊ के सेंट्रम होटल में हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. हरिओम ने कहा कि मिशन को उत्पादन-उन्मुख लक्ष्यों के साथ संचालित किया जा रहा है, ताकि युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुसार गुणवत्तापूर्ण और व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर राज्य के आर्थिक विकास में सहभागी बनाया जा सके।
डॉ. हरिओम ने कहा कि प्रशिक्षण की गुणवत्ता में निरंतर सुधार करते हुए रणनीतिक योजना, नवाचार, तकनीकी समावेशन और जवाबदेही जैसे तत्वों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने मिशन के संचालन में सहयोग देने वाले जिला समन्वयकों, मंडलीय संयुक्त निदेशकों और सभी विभागीय अधिकारियों की सराहना की तथा कार्यशाला को सफलतापूर्वक संपन्न कराने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यशाला के पहले सत्र में मिशन के संयुक्त निदेशक मयंक गंगवार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास के औपचारिक शिक्षा से एकीकरण की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नीति का उद्देश्य वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ना है, जिससे उन्हें बाजारोन्मुख पाठ्यक्रम और गुणवत्तापूर्ण रोजगार मिल सके। उन्होंने "नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क" (NCrF) की चर्चा करते हुए बताया कि यह एक समेकित ढांचा है, जिसमें राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (NSEQF), उच्चतर शिक्षा फ्रेमवर्क (NHEQF) और राष्ट्रीय कौशल फ्रेमवर्क (NSQF) को समाहित किया गया है। इसके माध्यम से सभी स्तरों की शिक्षा को एकीकृत किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि UPSDM और राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (SCVT) को अब ‘अवार्डिंग बॉडी’ के रूप में मान्यता प्राप्त हो गई है, जिसके तहत प्रदेश की आवश्यकताओं के अनुरूप नए पाठ्यक्रम डिज़ाइन किए जा सकेंगे।
दूसरे सत्र में विजय नामदेव ने UPSDM पोर्टल के तकनीकी प्रबंधन पर प्रकाश डाला। राम सहारे, मोहित श्रीवास्तव और नितिन वर्मा ने प्रशिक्षण चक्र (Training Lifecycle) की तकनीकी बारीकियों को साझा किया। इंडस्ट्री प्रैक्टिस पर टाटा टेक्नोलॉजी के सुशील कुमार ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यशाला के एक सत्र में साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी शामिल रहीं। प्रसिद्ध शायर फैज खुमार बाराबंकवी और हास्य कवि विकास बौखल ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मनोरंजन किया। आयोजन में प्रमुख सचिव डॉ. हरिओम की धर्मपत्नी एवं आयोजन की सह-संयोजिका श्रीमती मालविका हरिओम ने गीत प्रस्तुति से सभी को भाव-विभोर किया। कार्यशाला के अंतिम सत्र में अतिरिक्त निदेशक एम.के. सिंह ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं एवं सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला को सार्थक एवं प्रेरक बताया।
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