
पारिवारिक संपत्ति विभाजन विलेख पर अधिकतम 5000 रुपये स्टाम्प शुल्क व 5000 रुपये रजिस्ट्रीकरण शुल्क की सीमा तय
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मंत्रिमंडल बैठक में प्रदेश में पारिवारिक सदस्यों के मध्य निष्पादित विभाजन विलेख पर देय स्टाम्प शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण शुल्क की अधिकतम सीमा पाँच-पाँच हजार रुपये निर्धारित कर दी गई है। स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लोकहित में लिया है ताकि संयुक्त/अविभाजित संपत्ति के सहस्वामी बिना आर्थिक बोझ महसूस किए विभाजन विलेख का रजिस्ट्रीकरण करा सकें। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से एक ओर जहाँ परिवारों में संपत्ति का सौहार्दपूर्ण बँटवारा सरल और शीघ्रता से संभव होगा, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में संपत्ति संबंधी मुकदमों में कमी आएगी। मंत्री ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में विभाजन विलेख पर संपत्ति के मूल्य के अनुसार शुल्क देय होता था, जिससे आमजन रजिस्ट्री कराने से कतराते थे। लेकिन अब अधिकतम शुल्क की सीमा पाँच हजार रुपये तय होने से बड़ी संख्या में लोग संपत्ति विभाजन के विलेख का पंजीकरण कराने के लिए आगे आएँगे। उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान व मध्य प्रदेश में भी ऐसी व्यवस्था लागू है जिससे वहाँ पारिवारिक विवादों का सहज समाधान हुआ है। उत्तर प्रदेश में इस व्यवस्था से भी समान लाभ अपेक्षित हैं। उन्होंने बताया कि इस कदम से न केवल परिवारों में विवादों में कमी आएगी बल्कि संपत्ति का नामांतरण व अद्यतन खतौनी समय पर हो सकेगी। इसके साथ ही विभाजित संपत्ति भविष्य में हस्तांतरण अथवा अन्य प्रयोजनों हेतु बाजार में आसानी से उपलब्ध होगी।
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