
सदर गुरुद्वारा में मनाया गया गुरु हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व
दया शंकर चौधरी
लखनऊ। सदर गुरुद्वारा में सिक्खों के छठे गुरु गुरु हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व कल 12 मई को प्रातः 6 बजे से 9.30 बजे तक बड़ी श्रद्धा एवम सुमन के साथ मनाया गया। ज्ञानी हरविंदर सिंह ने कथा के माध्यम से गुरु हरगोबिंद साहिब जी के जीवन का सजीव वृतांत श्रोताओं के सम्मुख रखा। इस दौरान रागी प्रीतम सिंह जी ने कीर्तन के माध्यम से सद्गुरू हरगोबिंद साहेब के जीवन पर प्रकाश डाला।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी लखनऊ के कार्यवाहक अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने अपने सम्बोधन में कहा कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने दो तलवारे धारण की थी एक मिरी की, जो शासक का सूचक है और एक पीरी की जो साधु या दरवेश का सूचक है। उनके काल से सिक्ख संत सिपाही के रूप मे अवतरित हुए। बताते चलें कि समय के सद्गुरू हरगोविन्द साहेब के द्वारा अकाल तख्त की सृजना की गई थी। जहाँ पर धार्मिक एवम राजनीतिक फेसले लिए जाने लगे। आज के समय में श्री अकाल तख्त साहिब सिक्खों के लिए सर्वोपरि है और यहां से दिये गये आदेशों की पालना करना सभी सिक्खों का मूल कर्तव्य माना जाता है।
गुरु हरगोबिंद जी साहिब के द्वारा चार युद्ध मुगल सेना के विरुद्ध लड़े गए और चारों युद्धों में सफलता प्राप्त की। स. तेजपाल सिंह रोमी अध्यक्ष ने अवगत कराया कि दीवान उपरांत मिस्सी रोटी और लस्सी का लंगर बरताया गया।
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