
विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 का प्रदेश के 75 जनपदों में हुआ भव्य समापन
दया शंकर चौधरी
* वाराणसी में अभियान के समापन अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने दिए महत्वपूर्ण निर्देश
* कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बाराबंकी में रहे किसानों के बीच
* कृषि में नवाचार और सीधे संवाद पर ज़ोर
* प्रदेशभर में 20 लाख से अधिक किसानों को मिला लाभ
* विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 से किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त
लखनऊ। 'विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025' का गुरुवार को उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में 10,125 से अधिक स्थानों पर भव्य समापन हुआ। 29 मई से कल 12 जून तक चले इस अभियान में लगभग 20 लाख 19 हजार 785 किसानों ने भाग लिया, जिन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई तथा किसानों द्वारा विभिन्न विषयों पर किसानों ने अपने सुझाव रखे।
वाराणसी में अभियान के समापन अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, रामनाथ ठाकुर ने कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों को किसानों तक नवीनतम तकनीकी जानकारी उनकी भाषा में और सीधे उनके खेत-खलिहान में जाकर पहुंचाने के निर्देश दिए। बागपत में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना और सांसद राजकुमार सांगवान मुख्य अतिथि रहे। उपराज्यपाल ने गन्ना उत्कृष्टता केंद्र का निरीक्षण किया और सह-फसली खेती एवं एफपीओ द्वारा तैयार किए गए सिरके को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने प्रगतिशील किसानों को कृषि यंत्र, ट्रैक्टर की चाबी और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
समापन अवसर पर बाराबंकी में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने किसानों को प्रधानमंत्री कुसुम योजना, आई.पी.एम. पद्धति, मल्चिंग और पॉलीहाउस जैसी तकनीकों पर योगी सरकार के अनुदान के बारे में बताया। उन्होंने खरीफ फसल उत्पादन तकनीक, डी.एस.आर. विधि, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग, नैनो यूरिया, नैनो डी.ए.पी., मिलेट्स, प्राकृतिक खेती, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पीएम कुसुम, एन.एफ.एस.एम. योजना, कृषि यंत्रीकरण, और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सहित अन्य योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान पद्मश्री से सम्मानित प्रगतिशील किसान राम शरण वर्मा, खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश शर्मा, जिला पंचायत राजरानी रावत तथा कृषि विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
फतेहपुर में उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह की अध्यक्षता में समारोह आयोजित हुआ, जिसमें 1,000 से अधिक किसान एकत्रित हुए। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. बिजेंद्र सिंह ने खेत के समतलीकरण, समय पर बुवाई, उचित बीज दर, हरी खाद वाली फसलों के उपयोग, बौछारी एवं टपक विधि से सिंचाई और मल्चिंग के प्रयोग पर जोर दिया।
बहराइच और कन्नौज में भी किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। कन्नौज में जिलाधिकारी आशुतोष मोहन अग्निहोत्री ने बताया कि अभियान का उद्देश्य प्रयोगशाला से खेत तक लाभ पहुंचाना है। इस अभियान से किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत बनाने की संकल्पना को पूर्ण करने के उद्देश्य से तथा भारत को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी उद्देश्य के साथ कृषि में उत्पादकता वृद्धि एवं किसानों की आय में वृद्धि के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 को देश के सभी भागों में चलाया जा रहा है, प्रधानमन्त्री के सपनो को साकार करने हेतु मुख्यमंत्री के द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ 29 मई 2025 को लोकभवन में शुभारम्भ करते हुए निर्देशित किया गया कि विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के द्वारा कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि तथा सहवर्ती विभाग के अधिकारी अधिकतम कृषकों को प्रतिभागी बनाते हुए कार्यक्रम 29 मई से कल 12 जून तक संचालित किया जाये एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नवीन शोध एवं तकनीक तथा कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों हेतु चलाई जा रही सरकारी लाभकारी योजनाओं की जानकारी ‘‘लैब टू लैण्ड‘‘ के नारे को साकार करते हुए कम से कम 50 लाख किसानों के बीच तक पहुंच बनाई जाये।
देश के सभी राज्यों में 1.5 करोड़ किसानों को जोड़ने के लक्ष्य के मुहिम के सापेक्ष उत्तर प्रदेश में 75 जनपदों में 10125 कार्यक्रम के माध्यम से 50 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, यह कार्यक्रम प्रत्येक जनपद में प्रति दिवस 9 के साथ 15 दिवसों में प्रति जनपद 135 स्थानों पर कृषक वैज्ञानिक संवाद आयोजित किए जायेंगे। कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि एवं सहवर्ती विभाग के अधिकारियों के द्वारा कृषकों के बीच उपस्थित होकर कृषकों को जैविक व प्राकृतिक खेती, भूमि संरक्षण की तकनीक एवं भूमि सुधार, जिप्सम का प्रयोग, कम लागत की खेती, मृदा परीक्षण व उनके लाभ, नवीन प्रजातियों का चयन, बीज शोधन एवं शोधन के उपरान्त बीज की बोआई, धान की सीधी बोआई, संतुलित उर्वरक का प्रयोग, जल विलय/नैनो यूरिया एवं डीएपी प्रयोग के लाभ, दलहनी एवं तिलहनी फसलों की उत्पादन की प्राथमिकता, गन्ने के साथ सहफसली खेती, पौध संरक्षण, औद्योगिक फसलें, चारा उत्पादन, पशुजनित रोगों की रोकथाम, औद्यानिक खेती, फसल बीमा, रेशम पालन, मधुमक्खी पालन, वृक्षारोपण के लाभ, बकरी पालन, वागवानी के पुराने पौधों का पुर्नजीवन, खाद्य प्रसंस्करण, विपणन, पीएम कुसुम योजना, खेत तालाब, ड्रिªप एवं स्प्रिंकलर एरिगेशन, समन्वित कीट प्रबन्धन मल्चिंग, पॉली हाउस पीएम किसान निधि, फसल अवशेष प्रबन्धन एवं ढैंचा की उपयोगीता, मक्के की फसल की बढती उपयोगिता एवं लाभ आदि विषयों पर चर्चा की जा रही है। कृषकों से उनकी कृषि में आने वाली समस्याओं पर भी संवाद/चर्चा की जा रही है एवं इसके निवारण हेतु सम्भावित विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
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