
नवाबों और अंग्रेजों की पसंदीदा जगह हजरतगंज अब नए लुक में नजर आएगा
लखनऊ। राजधानी लखनऊ को प्रदेश का दिल कहा जाता है और हजरतगंज को इसकी धड़कन। स्थापना के समय से ही हजरतगंज न केवल प्रदेश बल्कि देश-दुनिया में भी प्रसिद्ध है हजरतगंज रोड के दोनों तरफ कई ऐसी इमारतें हैं, जो अपने साथ नवाबों और अंग्रेजों के इतिहास को संजोए हुए आज भी बड़ी शान के साथ खड़ी हैं। आजादी से पहले यह रोड नवाबों और अंग्रेजों के लिए शाम के समय अच्छा समय व्यतीत करने, मनोरंजन करने और खाने-पीने का सबसे पसंदीदा जगह हुआ करता थी समय बीतने के साथ-साथ हजरतगंज ने आज भी अपनी पहचान और खूबसूरती को नए जमाने और बाजार के साथ ढाल लिया है।
अब यह रोड लखनऊ की धड़कन होने के साथ ही लखनऊ के पर्यटन क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका अदा कर रहा है। लखनऊ आने पर्यटक यहां की पुरानी इमारतों को एक्सप्लोर करने के बाद हजरतगंज रोड को शाम के समय जरूर एक्स्प्लोर करते हैं यहां पर शाम-ए-अवध का लुफ्त उठते हैं अब लखनऊ के हेरिटेज जोन में भी हजरतगंज को अलग से पहचान देने की तैयारी की गई है।
एक रंग की नजर आएंगी इमारतें: मौजूदा समय में सरकार ने हजरतगंज चौराहे का नाम बदलकर अटल चौक कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने हजरतगंज के विकास के लिए रोड मैप तैयार किया था उन्होंने पीपीपी मोड पर हजरतगंज का रिनोवेशन कराया था तब से लेकर अब तक हजरतगंज इस रूप में देखा जा रहा है अब इसमें थोड़ा सा बदलाव किया जा रहा है, जिसमें बिल्डिंग के रंगों को एक सामान्य रूप में लाने के लिए इसके रंग में परिवर्तन किए गए हैं इससे हजरतगंज के दोनों तरफ के बिल्डिंग में रंगों की एकरूपता दिखेगी।
हजरगंज अब हेरिटेज जोन में शामिल: हजरतगंज ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद पंजाबी ने बताया कि अभी तक हजरतगंज के दोनों तरफ की इमारत में बदामी तथा गुलाबी रंगों का प्रयोग है जहां पूरी बिल्डिंग बादामी रंग से रंगी है, वही इसके बॉर्डर्स व किनारों को गुलाबी रंग से रखा गया है इस पर लगे साइन बोर्ड को ब्लैक और व्हाइट से प्रदर्शित किया लेकिन अब इसमें बिल्डिंग्स के कलर में एकरूपता लाई जा रही है यहां सभी इमारतों के रंग को हल्का बादामी कलर किया जा रहा है वहीं, बॉर्डर गहरे बादामी कलर में किया जा रहा है इमारत की कलरिंग व्यापारियों द्वारा करवाई जाएगी कई लोगों ने यह काम शुरू भी कर दिया है हेरिटेज जोन के तर्ज पर हजरतगंज तैयार हुआ है।
कैसरबाग से लेकर छोटा इमामबाड़ा तक हेरिटेज जोनः विनोद पंजाबी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने कैसरबाग से लेकर छोटा इमामबाड़ा तक एक हेरिटेज जोन तैयार कर रही है इसमें सभी बिल्डिंग, रोड्स, स्ट्रीट लाइट फेंसिंग सभी को एक रंग में तैयार किया जा रहा है, क्योंकि हजरतगंज लखनऊ की पहचान से जुड़ा है इसे भी अब हेरिटेज जोन के तर्ज पर नया लुक देने के लिए सरकार ने मंजूरी दी है इसके तहत पीपीपी मोड पर काम शुरू हो गया है यह काम व्यापारियों को करना है वह शुरू भी कर चुके हैं जो काम सरकार की तरफ से होना है, उसका भी काम धीरे-धीरे शुरू हो चुका है उन्होंने बताया कि हजरतगंज को हेरिटेज लुक देने के साथ ही यहां की ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर की जाएगी साथ ही यहां के स्थानीय निवासियों और व्यापारियों की सभी तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रॉपर प्लान तैयार किया गया है इसे एलडीए, नगर निगम के साथ-साथ अन्य विभाग मिलकर काम कर रहे है।
यह काम होना है: विनोद पंजाबी ने बताया कि सभी इमारतों का रंग एक रंग में नजर आएगा, साइनेज बोर्ड भी एकरूपता लिए हुए दिखेंगे इनके कलर में कोई बदलाव नहीं होगा यह पहले जैसा ब्लैक एंड वाइट ही रहेगा। हजरतगंज के मेन रोड पर ट्रैफिक का लोड अधिक है हमेशा यहां पर वाहन रोड किनारे नजर आते हैं ऐसे में कई जगह पर नो पार्किंग जोन बनाए जाने की तैयारी है। नगर निगम की ओर से इसकी तैयारी चल रही है हजरतगंज लखनऊ के सभी एरिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है इसी को देखे हुए यहां पर ऑटो-टेंपो के लिए प्रॉपर पार्किंग प्वाइंट बनाए जाएंगे।
फुटपाथ को पूरी तरह से क्लीन और स्वच्छ बनाया जाएगा। अतिक्रमण हटाने के साथ ही सफाई व्यवस्था को दिन में दो बार किया जाएगा नगर निगम की ओर से प्रॉपर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था कराई जाएगी, नए प्वाइंट्स भी चिन्हित कर लाइट्स लगाई जाएंगी, पेयजल कनेक्शन को लेकर सर्वे कराया जाएगा और अगर किसी स्टेक होल्डर के पास कनेक्शन नहीं है, तो उसे कनेक्शन दिया जाएगा हिंदी भवन से चीफ पोस्ट मास्टर ऑफिस तक रोड का चौड़ीकरण किया जाएगा।
1810 में रेजिडेंसी से दिलकुशा गार्डन को जोड़ने के लिए बनी थी यह रोड: विनोद पंजाबी बताते हैं कि रिकॉर्ड डॉक्यूमेंट के अनुसार हजरतगंज रोड का निर्माण साल 1810 में रेजिडेंसी और दिलकुशा गार्डन को जोड़ने के लिए बनाया गया था यह दोनों जगह अंग्रेजी हुकूमत के बड़े अधिकारियों की रियाईगाह होती थी ऐसे में इस रोड का उस समय काफी महत्व था उस समय इस रोड के दोनों तरफ बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण कराया गया था यहां पर नाच गाने, खाने-पीने की बाजारों की व्यवस्था थी अंग्रेज अधिकारी और नवाबों के परिवार शाम को इसी हजरतगंज रोड पर आते थे और शाम यही व्यतीत करते थे तब से यह रोड लखनऊ की एक पहचान के तौर पर जुड़ गया है।
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