
केजीएमयू के पास खुलेआम हो रहा नशे का कारोबार
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पास सड़क किनारे खुलेआम नशे का कारोबार हो रहा है, यहां शहर भर के नशेड़ी जमा रहते हैं। पुलिस भी इसी जानकारी है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है। दिसंबर 2023 में मानसिक रोग विभाग के पास से सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की बेटी को नशेड़ी युवक वैन से उठा ले गए थे। रास्ते में चलती वैन में जबरन नशा देकर गैंगरेप किया।
युवाओं को बना रहे ''आदी''
युवाओं को पहले लती बनाया जा रहा है। बाद में इन्हें स्मैक व अन्य नशे से सम्बंधित चीजें उपलब्ध कराकर कमाई का जरिया बना लिया गया है। अब यह एरिया इतना बदनाम हो चुका है कि दूर-दूर से नशे के आदी युवाओं ने अपना अड्डा बना लिया हैं। इन्हें आसानी से नशे का सामान उपलब्ध हो जाता है। इसमें शहर के कई संभ्रांत परिवारों के भी युवक- युवतियां शामिल हैं। मात्र 50 रुपये में इंजेक्शन के माध्यम से स्मैक की डोज दी जा रही।
एविल इंजेक्शन में घोल रहे स्मैक
बातचीत में एक नशेड़ी युवक ने बताया कि स्मैकिए 10 एमएल एविल इंजेक्शन से 5 एमएल सिरिंज में निकाल लेते हैं। बचे हुए 5 एमएल एविल इंजेक्शन में एक पुड़िया स्मैक डालकर इंजेक्शन की शीशी में गर्म करते हैं। जब स्मैक इंजेक्शन में घुल जाती है तब सीरिंज में निकालकर अलग रखे गए 5 एमएल एविल इंजेक्शन को स्मैक के घोल में मिलाकर अपनी नसों में लगा लेते हैं। सीधे खून में घुलने से स्मैक की कम मात्रा भी अधिक नशा दे रही है। इससे करीब 12 घंटे तक तेज नशा रहता है।
युवती से डोज लेने पर 30 रुपये अधिक
यहां स्मैक की डोज लेने के लिए शहर भर से नशे के लती युवक युवतियां आते हैं। कुछ युवक और युवतियों ने इसके कारोबार का जिम्मा संभाल रखा है। 50 रुपये में डोज दी जा रही है। हालांकि, युवतियां इसके लिए 30 रुपये अतिरिक्त चार्ज करती है। उनका कहना है कि वह हर बार नया सिरिंज इस्तेमाल करती हैं।
मानसिक रोगी मुंह में नशे के ड्रग को रोक उसे सुखा रहे हैं बेच
नशा करने वाले एक युवक ने चौंका देने वाली जानकारी साझा की। बताया मानसिक रोग विभाग में भर्ती नशे के आदी मरीजों को ऐसी ड्रग की टेबलेट खिलाई जाती हैं जो शरीर में उन्हें राहत देता है। पहले ड्रग देते रहते हैं फिर धीरे- धीरे इसका डोज कम करते हुए उसे बंद कर देते हैं। टेबलेट खिलाने के दौरान मेडिकल स्टॉफ के सामने मरीज दवा खाने का नाटक करते हैं। वह नशे की गोलियों को मुंह में ही साइड में छिपा लेते है। स्टॉफ के जाने के बाद वह गोलियों को मुंह से निकाल कर सुखाते हैं। बाद में इन्हीं गोलियों को स्टॉफ की नजरों से छिपकर अस्पताल के बाहर स्मैकियों को 50 से 70 रुपये में बेच देते हैं। स्मैकिए इन गोलियों को एविल इंजेक्शन में मिला कर नसों में लगा लेते हैं।
बेहतरीन माल चाहिए 200 रुपये दीजिए साथ चलिए
बातचीत में एक नशेड़ी युवक ने निशातगंज से 200 रुपये में बेहतरीन माल (स्मैक) दिलाने का दावा किया। उसकी बातचीत की रिकार्डिंग प्रमुख अंश :
रिपोर्टर: हमें भी एक पुड़िया दिला दीजिए
स्मैकिया: दिला देंगे लेकिन हमें भी एक डोज देनी होगी
रिपोर्टर: ठीक है भाई
स्मैकिया: निशातगंज में नंबर-1 का माल दिला देंगे
रिपोर्टर: कितने में मिलेगा
स्मैकिया: 200 रुपये में
रिपोर्टर: बहुत महंगा है यहीं नजदीक से सस्ता वाला दिलाओ
स्मैकिया: यहां अच्छा नहीं मिलता यहां के दुकानदार नकली माल रखते हैं। निशातगंज वाला सही है। तुम्हारे पास गाड़ी है तो 15 मिनट लगेंगे जाने में।
रिपोर्टर: हमें पता बता दो हम जाकर ले आएंगे।
स्मैकिया: दुकानदार तुमको नहीं देगा तुम पुलिस जैसे दिखते हो
रिपोर्टर: ठीक है हम अपनी बाइक लेकर आते हैं
स्मैक तस्करों से अधिक कमा रहे मेडिकल स्टोर संचालक
नियम है कि मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर के पर्चे के एविल इंजेक्शन नहीं बिकना चाहिए। लेकिन कई मेडिकल स्टोर संचालक सारे नियम कानून ताक पर रखकर नशेड़ियों को एविल इंजेक्शन प्रिंट रेट से चार गुना अधिक दाम पर में बेच रहे हैं। नशेड़ियों को अपना स्थायी ग्राहक बनाने के लिए सीरिंज व कॉटन फ्री दे रहे हैं।
बिना प्रशिक्षण के इंजेक्शन लगाने से जान का खतरा
विशेषज्ञों कहना है कि स्मैकिए बिना किसी प्रशिक्षण के खुद इंजेक्शन लगा रहे हैं। गलत जगह इंजेक्ट होने से नसों व मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है। एक सिरिंज से 2 या 3 नशेड़ी इंजेक्शन लगा रहे हैं। इससे एड्स और हेपेटाइटिस जैसे खतरनाक रोगों की चपेट में आ सकते हैं। सीधे नसों में स्मैक जाने से दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है। केजीएमयू के आसपास लगातार पुलिस की गश्त होती है। नशे का सामान बेंचे जाने की जानकारी नहीं है। टीम भेज कर इसकी पड़ताल कराई जाएगी। जो भी ऐसा करते मिलेगा उसके विरुद्ध कार्रवाई कराई जाएगी।
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