
डॉ. राम बक्स सिंह की स्मृति में विशेष स्मारक डाक टिकट जारी करने की स्वीकृति
लखनऊ। डॉ. राम बक्स सिंह का जन्म 13 अगस्त 1925 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हुआ था, यह गौरवशाली भूमि उनके प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और वैज्ञानिक प्रेरणा की आधारशिला बनी। उनका जीवन लखनऊ से गहरे रूप से जुड़ा रहा, जहाँ उन्होंने पिछले 50 वर्षों से निवास किया। उन्होंने अपने अनुसंधान एवं तकनीकी नवाचारों से अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति लाई। 18 सितंबर 2016 को, डॉ. सिंह ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अंतिम सांस ली।
इस वर्ष भारत सरकार ने उनकी 100वीं जयंती पर उनकी स्मृति में एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी करने की स्वीकृति प्रदान की है। यह निर्णय डाक टिकट सलाहकार समिति में लिया गया।
यह सीतापुर के सांसद आनंद भदौरिया के प्रयासों से ही संभव हो पाया। उन्होंने राजेंद्र सिंह (पुत्र, डॉ. राम बक्स सिंह) के अनुरोध को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, संचार मंत्रालय, भारत सरकार तक पहुँचाया। यह संपूर्ण भारत के लिए गर्व का क्षण है। डॉ. राम बक्स सिंह ने अपने जीवनकाल में स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने का सपना देखा था। उनकी दूरदर्शी सोच आज भी नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों, किसानों और वैश्विक समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
डॉ. सिंह के योगदान न केवल भारत तक सीमित थे, बल्कि उन्होंने अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, मैक्सिको, विभिन्न मध्य एवं दक्षिण अमेरिकी देशों, ईरान, नेपाल सहित एशिया के अन्य अनेक देशों (कुल 15 से अधिक देशों) में 1000 से अधिक बायोगैस सिस्टम को डिजाइन, विकसित और स्थापित किया। उनके अनुसंधान कार्य को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (विज्ञान भवन, नई दिल्ली में 28 जुलाई - 02 अगस्त 1975 तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय बायोगैस कार्यशाला) और राज्यपाल वी. वी. गिरि सहित कई राष्ट्राध्यक्षों, राज्यों के मुख्यमंत्री, सीनेटरों, सांसदों एवं वैज्ञानिकों ने सराहा।
डॉ. राम बक्स सिंह की प्रमुख उपलब्धियाँ
• भारत में पहला गोबर गैस संयंत्र 1957 (जो अपने प्रकार में अद्वितीय था और जिसने अपनी विशेषता प्रदर्शित की) में स्थापित कर नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति की शुरुआत की।
• जून 1972 में अमेरिका में पहला गोबर गैस संयंत्र स्थापित कर भारतीय नवाचार को वैश्विक पहचान दिलाई।
• संयुक्त राष्ट्र (UN) में सलाहकार के रूप में कार्य किया एवं अमेरिकी सीनेट रिपोर्ट में उनके कार्य को मान्यता मिली।
• एशिया के पहले 'गोबर गैस अनुसंधान केंद्र' (अजीतमल, जिला औरैया, उत्तर प्रदेश) के प्रभारी अधिकारी रहे (2 दशकों तक)
• संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग में बायोगैस सलाहकार
• 26 सितंबर 2023 को भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में उनके ऐतिहासिक कार्यों का अधिग्रहण किया गया।
• इस्कॉन गौ संरक्षण एवं कृषि मंत्रालय और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर काउ प्रोटेक्शन ने प्रदान की है।
• संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक वैज्ञानिक के रूप में मान्यता प्राप्त।
• कैलिफोर्निया, अमेरिका के पैसिफिक वेस्टर्न यूनिवर्सिटी द्वारा मास्टर ऑफ एप्लाइड साइंस एवं डॉक्टर ऑफ टेक्नोलॉजिकल फिलॉसफी की मानद उपाधियाँ प्रदान की गईं।
• डॉ. राम बक्स सिंह ने वैकल्पिक ऊर्जा पर शोध करते हुए 07 पुस्तकें लिखीं, जो यू.एस. लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस व अन्य देशों की सरकारों द्वारा अनुमोदित हैं। उनकी एक पुस्तक को "बायोगैस की बाइबिल" माना जाता है।
राजेंद्र सिंह (पुत्र, डॉ. राम बक्स सिंह) ने कहा, "हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करते हैं कि डॉ. राम बक्स सिंह को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाए, क्योंकि उनका योगदान न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए अमूल्य है। सतत ऊर्जा के क्षेत्र में उनके कार्यों ने वैश्विक ग्रामीण विकास को नया आयाम दिया है और वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका योगदान निस्संदेह अद्वितीय और सर्वोच्च स्तर का है और उनकी सेवाएँ मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा या उपलब्धि के लिए ‘भारत रत्न’ पुरस्कार के वास्तविक मापदंड को पूर्ण करती हैं। इस संबंध में सांसद आनंद भदौरिया एवं राज्यमंत्री राकेश राठौर गुरु (उत्तर प्रदेश सरकार) पहले ही प्रधानमंत्री से अनुरोध कर चुके हैं, जिस पर अनुशंसा माननीय प्रधानमंत्री जी को करनी है।
इसके अतिरिक्त, स्व. आशुतोष टंडन (पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश) ने भी केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा था। इसी क्रम में, राजेंद्र सिंह ने भी रक्षा मंत्री एवं लखनऊ संसदीय क्षेत्र के सांसद राजनाथ सिंह से उनके लखनऊ कार्यालय में नीरज सिंह के माध्यम से अनुरोध किया था। यह विषय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया गया, ताकि डॉ. राम बक्स सिंह के उल्लेखनीय योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर उचित सम्मान और मान्यता दिलाई जा सके।
वर्तमान में लखनऊ पूर्वी के विधायक ओपी श्रीवास्तव ने भी इस माँग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने आगे कहा, "हम 13 अगस्त को ‘राष्ट्रीय बायोगैस दिवस’ घोषित करने का भी आग्रह करते हैं। जिस प्रकार ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ भारत की सॉफ्ट पावर और वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक बन गया, उसी तरह हमें आशा है कि यह राष्ट्रीय मान्यता, एक महान भारतीय वैज्ञानिक के लिए, प्रधानमंत्री के कार्यकाल और मार्गदर्शन में घोषित होगी।"
साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ से विनम्रतापूर्वक आग्रह किया, "वे इस मुद्दे का समर्थन करें और यह सुनिश्चित करें कि डॉ. राम बक्स सिंह की विरासत को वह मान्यता और सम्मान मिले जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। हम आपके हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं ताकि उत्तर प्रदेश सरकार, भारत सरकार से आग्रह कर, डॉ. राम बक्स सिंह को उनके अमूल्य योगदान के प्रमाणस्वरूप हमारे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान – ‘भारत रत्न’ – प्रदान करने पर विचार करे।"
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