
इस राज्य के कैंपस में पसरा AIDS, 828 छात्र पाए गए HIV पॉजिटिव
अगरतला। भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से HIV-एड्स से जुड़ी चिंताजनक जानकारी सामने आई है। त्रिपुरा में हज़ारों लोग HIV संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें छात्रों का आँकड़ा भी काफी ज्यादा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, त्रिपुरा में अब तक 828 छात्रों में HIV संक्रमण की पुष्टि हुई है, जिनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, त्रिपुरा में वर्ष 1999 से अब तक एआरटी (एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी) केंद्रों में 8,729 लोग रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इनमें HIV से पीड़ित कुल 5,674 लोग हैं, जिनमें 4,570 पुरुष, 1,103 महिलाएँ तथा केवल एक ट्रांसजेंडर मरीज सम्मिलित है। छात्रों में HIV संक्रमण के मामलों ने सभी को चौंका दिया है। त्रिपुरा पत्रकार यूनियन, वेब मीडिया फोरम एवं त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक ने बताया कि राज्य के 828 छात्रों में HIV संक्रमण की पुष्टि हुई है। इन छात्रों में से 47 की मौत हो चुकी है। टीएसएसीएस ने राज्य के 220 स्कूल, 24 कॉलेज तथा विश्वविद्यालयों के ऐसे छात्रों की पहचान की है जो नशे के लिए इंजेक्शनों का उपयोग करते हैं।
टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक ने कहा, “हमने अप्रैल 1999 से राज्य में काम करना शुरू किया है। अब तक के 25 वर्षों में हमें छात्रों में 828 एचआईवी-एड्स के मामले प्राप्त हुए हैं। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। हालाँकि, 572 छात्र अब भी जीवित हैं और उनमें से कई दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं।” रिपोर्ट्स के अनुसार, एचआईवी-एड्स से जुड़े अधिकांश मामलों में संक्रमित बच्चे संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे परिवार जिनमें माता-पिता दोनों सरकारी सेवा में हैं तथा बच्चों की मांगों को पूरा करने में कोई संकोच नहीं करते। जब तक उन्हें एहसास हुआ कि उनके बच्चे ड्रग्स के शिकार हो गए हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
दरअसल, एचआईवी/एड्स एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिसका सीधा संबंध नसों में इंजेक्शन लगाकर नशा करने से है। ड्रग उपयोगकर्ताओं के बीच इंजेक्शन शेयर करना एचआईवी ट्रांसमिशन का एक प्रमुख तरीका है, जो ब्लड-टू-ब्लड संपर्क के माध्यम से वायरस को फैलाने में मदद करता है। त्रिपुरा में अधिकांश मामलों में यही कारण कॉमन पाया गया है।
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