
कृषि मंत्री ने किसानों से धान की सीधी बुवाई अपनाने का किया आग्रह
दया शंकर चौधरी
* डीएसआर तकनीक कम लागत, पानी और पर्यावरण-हितैषी
* डीएसआर से पहले फसल प्राप्त होती है तथा मीथेन उत्सर्जन कम होता है
* कृषि विभाग तकनीकी सहायता प्रदान करेगा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश के किसानों से धान की सीधी बुवाई (Direct Seeding of Rice & DSR) को अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक कम लागत, कम पानी की खपत और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है। धान की सीधी बुवाई से न केवल किसानों का श्रम व समय बचेगा, बल्कि यह विधि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में भी सहायक सिद्ध होगी।
कृषि मंत्री शाही ने कहा कि पारंपरिक धान की रोपाई की तुलना में डीएसआर तकनीक से किसानों को 7 से 10 दिन पहले फसल प्राप्त हो जाती है, जिससे अगली फसल की समय से तैयारी करना संभव हो पाता है। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुवाई से मीथेन जैसी हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आती है, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी है।
शाही ने किसानों को अवगत कराया कि धान की सीधी बुवाई की दो प्रमुख विधियां हैं: सूखे खेत में बुवाई और तर-वतर (मॉइश्चर) बुवाई। सिंचित क्षेत्रों में तर-वतर विधि अधिक कारगर है, जिसमें बुवाई से पहले पलेवा कर खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। इस विधि में बुवाई के बाद पहली सिंचाई 15 से 21 दिन बाद करनी होती है, जिससे पानी की काफी बचत होती है और खरपतवार भी नियंत्रित रहते हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्षा आधारित क्षेत्रों में भी सूखे खेत में मशीन से सीधे बुवाई की जा सकती है, परंतु इन क्षेत्रों में फसल के महत्वपूर्ण अवस्थाओं, जैसे पुष्पक्रम प्रारंभ और दाना भरने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। चिकनी मिट्टी में सतही दरारें सिंचाई की आवश्यकता का संकेत होती हैं। शाही ने बताया कि धान की सीधी बुवाई के लिए खेत का भू-समतलीकरण बेहद आवश्यक है। लेजर लैंड लेवलर का प्रयोग करके खेत समतल करना चाहिए ताकि पानी की बचत और अच्छी पैदावार सुनिश्चित की जा सके।
कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि बुवाई का उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून तक है, जिसमें मानसून आगमन से पहले की अवधि सबसे बेहतर है। उन्होंने किसानों को प्रमाणित व उपचारित बीजों का प्रयोग करने की सलाह दी। बुवाई के समय उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण और पौध पोषण के लिए वैज्ञानिक अनुशंसाओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
शाही ने कहा कि धान की सीधी बुवाई में खरपतवार एक बड़ी चुनौती है, जिसे समय से उचित खरपतवारनाशकों के प्रयोग द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पेन्डीमेथालिन, बिसपायरीबैक सोडियम और पाइराज़ोसल्फ्यूरॉन जैसे अनुशंसित खरपतवारनाशकों का प्रयोग निश्चित समय पर करना चाहिए ताकि फसल पर खरपतवार का प्रभाव कम हो।
कृषि मंत्री ने प्रदेश के किसानों से अपील की कि वे इस किफायती, जल बचाने वाली और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक को अपनाकर खेती को अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाएं। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, आवश्यक प्रशिक्षण एवं सहायक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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