
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के बीच उच्चस्तरीय उच्च स्तरीय बैठक संपन्न
दया शंकर चौधरी।
नई दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर, एनएससी के सदस्य प्रो. ए गणेश कुमार, एनएससी के सदस्य असित कुमार साधु और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव एवं एनएससी के सदस्य सचिव डॉ. सौरभ गर्ग के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। यह बैठक राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग और उत्तर प्रदेश के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) के बीच एक दिवसीय राज्य स्तरीय बातचीत से पहले आयोजित की गई थी। यह चर्चा उत्तर प्रदेश की सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत बनाने पर केंद्रित थी ताकि एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के उसके लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। मुख्यमंत्री ने आँकड़ों की गुणवत्ता में सुधार, विशेष रूप से राज्य सकल घरेलू उत्पाद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, रोज़गार संकेतकों और औद्योगिक सांख्यिकी के आकलन में, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सीएम डैशबोर्ड और वन ट्रिलियन इकोनॉमी मिशन जैसी पहलों के माध्यम से आँकड़ों पर आधारित योजना और वास्तविक समय की निगरानी के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर भी ज़ोर दिया। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष ने साक्ष्य-आधारित लोक नीति निर्माण में विश्वसनीय आँकड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) आकलन, मूल्य सांख्यिकी और सर्वेक्षण डिज़ाइन जैसे पद्धतिगत और तकनीकी क्षेत्रों में राज्य को सहयोग देने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने यह भी कहा कि शासन के सभी स्तरों पर आँकड़ों की सटीकता, तुलनीयता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय और राज्य-स्तरीय सांख्यिकीय प्रणालियों का सामंजस्य महत्वपूर्ण है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने "सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण के लिए समर्थन (एसएसएस)" योजना के तहत राज्य के साथ मंत्रालय के चल रहे सहयोग को रेखांकित किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि आधुनिक सांख्यिकीय अवसंरचना विकसित करने, डेटा प्रबंधन प्रणालियों को बेहतर बनाने और उभरती हुई पद्धतियों एवं प्रौद्योगिकियों पर डीईएस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएँ आयोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती रहेगी। कई सांख्यिकीय क्षेत्रों में राज्य की प्रगति की सराहना की गई। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में प्रमुख राज्यों में सबसे कम मुद्रास्फीति दर है और यह नियमित रूप से अपना राज्य-स्तरीय औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जारी करता है। डीईएस उत्तर प्रदेश आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस), और असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई) जैसे राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। जीडीपी और आईआईपी के लिए आधार वर्ष को 2022-23 में संशोधित करने पर चर्चा की गई और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नई वस्तु टोकरी और फ़ैक्टरी फ़्रेम विकसित करने में पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। आयोग ने शासन और विकास योजना के साथ सांख्यिकीय आंकड़ों को एकीकृत करने में डीईएस उत्तर प्रदेश के प्रयासों की सराहना की। एनएससी के अध्यक्ष ने राज्य को डिजिटल और सेवा-आधारित आर्थिक गतिविधियों से जुड़े क्षेत्रों सहित नए और उभरते क्षेत्रों को शामिल करने के लिए अपने सांख्यिकीय कवरेज का और विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया। एनएससी अध्यक्ष ने पद्धतिगत समीक्षाओं के माध्यम से जिला स्तर पर आँकड़ों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। मुख्यमंत्री ने सुझावों का स्वागत किया और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) तथा एनएससी के साथ घनिष्ठ सहयोग के लिए राज्य की तत्परता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति को मापने के लिए मज़बूत और विश्वसनीय आँकड़े आवश्यक हैं, और राज्य में सभी सांख्यिकीय पहलों के लिए निरंतर संस्थागत समर्थन का आश्वासन दिया। बैठक में प्रशासनिक और वैकल्पिक आँकड़ा स्रोतों के उपयोग, रीयल-टाइम रिपोर्टिंग के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली के अनुरूप एक समान मानकों को अपनाने के महत्व पर भी चर्चा हुई। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने बताया कि नियमित परामर्श, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और डिजिटल पहलों के माध्यम से, राज्यों को स्थानीय और क्षेत्रीय विकास के लिए सांख्यिकीय आँकड़ों का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए सक्षम बनाया जा रहा है। यह बातचीत केंद्र और राज्य सांख्यिकीय एजेंसियों के बीच मज़बूत समन्वय की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। दोनों पक्षों ने एक पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-सक्षम और आँकड़ा-संचालित सांख्यिकीय ढाँचा विकसित करने के अपने साझा लक्ष्य की पुष्टि की जो उत्तर प्रदेश के आर्थिक परिवर्तन और समावेशी विकास लक्ष्यों का प्रभावी ढंग से समर्थन कर सके।
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