
हज यात्रियों की समस्याओं को लेकर अनीस मंसूरी ने उठाई आवाज
दया शंकर चौधरी
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने देश के हजारों वंचित हज यात्रियों की पीड़ा को आवाज देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हज रजिस्ट्रेशन और सऊदी प्रशासन की ओर से समयसीमा की अनदेखी के कारण भारत के लगभग 42,000 श्रद्धालु हज यात्रा से वंचित रह गए हैं।
यह संकट सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि धार्मिक अधिकारों और आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा मामला भी है। मंसूरी ने बताया कि इस अव्यवस्था के चलते देशभर के छोटे-बड़े हज टूर ऑपरेटर्स को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, और हजारों परिवारों की वर्षों की तैयारियां धरी की धरी रह गई हैं। उन्होंने कहा कि "हज केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं है, यह एक भावनात्मक और आध्यात्मिक सफर है, जिससे देश के लाखों मुसलमान गहराई से जुड़े हुए हैं। जब उन्हें बिना किसी गलती के इस पवित्र यात्रा से वंचित होना पड़ता है, तो यह उनके विश्वास और अधिकारों पर सीधा असर डालता है।"
मंसूरी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे 22-23 अप्रैल को सऊदी अरब दौरे के दौरान इस मुद्दे को पूरी गंभीरता के साथ सऊदी नेतृत्व के समक्ष रखें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी का कूटनीतिक अनुभव और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूत पकड़ इस संकट का समाधान निकालने में मददगार साबित हो सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि "प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने विश्व मंच पर कई बार अपनी सक्रियता और प्रभाव का परिचय दिया है। हमें विश्वास है कि अगर वे इस विषय को सऊदी नेतृत्व के समक्ष उठाएंगे, तो 52 हजार भारतीयों के लिए समाधान निकलना संभव है।" अनीस मंसूरी ने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल प्रशासनिक नहीं, राजनयिक स्तर पर संवाद और समझदारी से ही निकल सकता है, और इसके लिए प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप आवश्यक है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में हज रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जाए, ताकि इस तरह की स्थिति फिर न पैदा हो। उन्होंने अपील की है कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से हम यह अपेक्षा करते हैं कि वे देश के लाखों मुसलमानों की भावनाओं और धार्मिक अधिकारों का सम्मान करते हुए इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाएं। यह सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि एक भरोसे की पुकार है।"
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