
प्रदेश के कृषकों को आगामी सप्ताह हेतु मौसम आधारित कृषि परामर्श
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की वर्ष 2025-26 की तेरहवीं बैठक, डा. संजय सिंह, महानिदेशक, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में 21 अगस्त, 2025 को परिषद के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। बैठक में प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में किसानों को इस सप्ताह हेतु कृषि प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये गये।
सप्ताह का मौसम पूर्वानुमान (22-28 अगस्त, 2025) | भारत मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार इस सप्ताह के दौरान प्रदेश में मानसूनी सक्रियता बढ़ने से ज्यादातर भाग में वर्षा होने के कारण उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र में औसत साप्ताहिक वर्षा सामान्य के आसपास रहने जबकि अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह सामान्य से अधिक रहने की सम्भावना है। इस सप्ताह में 21-25 अगस्त के दौरान प्रदेश के विभिन्न कृषि जलवायु अंचलों में अलग-अलग दिनों में भारी वर्षा होने की भी सम्भावना है जिसमें उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र में कुल साप्ताहिक वर्षा सामान्य के आस-पास जबकि प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी अर्द्धशुष्क मैदानी एवं विध्य क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा बुंदेलखण्ड क्षेत्र के पश्चिमी-उत्तरी भाग में औसत साप्ताहिक वर्षा सामान्य से अत्यधिक जबकि प्रदेश के अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह सामान्य से अधिक होने की संभावना है।
मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य कृषि प्रबन्धन के लिए सुझाव
* इस सप्ताह 21 से 25 अगस्त के दौरान प्रदेश के सभी कृषि जलवायु अंचलों में मध्यम से भारी वर्षा होने की संभावना है अतः इस दौरान कृषक भाई खेतों में किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशी/शाकनाशी व उर्वरकों का छिड़काव करने से बचें व खेतों में जलभराव की निकासी हेतु उचित प्रबंध करें।
* जलभराव वाले क्षेत्रों (5 से 10 से.मी.) में जलस्तर कम होने पर 7 से 10 दिन बाद यदि धान में यूरिया की टाप ड्रेसिंग संभव न हो तो 2.5 प्रतिशत यूरिया के घोल का पर्णीय छिड़काव करें।
*जलभराव के दुष्प्रभाव को कम करने के लिये एन.पी.के. मिश्रण (19ः19ः19) के दो प्रतिशत घोल को दो से तीन बार छिड़काव करें।
* उपरहार क्षेत्रों में धान की फसल में खरपतवार नियन्त्रण हेतु निकाई-गुड़ाई करें तथा यथा संभव पैडीवीडर का प्रयोग करें, नियंत्रण न होने पर संस्तुति अनुसार शाकनाशियों का प्रयोग करें।
* खरीफ फसलों में जल भराव न होने दंे, जल निकास का उचित प्रबन्ध करें।
* बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अक्टूबर माह में बोई जाने वाली गन्ने की फसल को प्राथमिकता दी जाये जिससे आगामी वर्ष में बाढ़ का समय आते-आते फसल का पर्याप्त विकास हो चुका हो।
* फलों के बाग में जल निकास की उचित व्यवस्था करें। आम, अमरूद, लीची, आंवला, कटहल, नींबू, जामुन, बेर, केला आदि के नवीन बाग लगायें।
* अमरूद में फलमक्खी से बचाव हेतु मिथाइल यूजिनाल एवं क्यू ल्योर टैªप 8-10 ट्रैप प्रति हे0 में 6 से 8 फिट की उचंाई पर टहनियों में बांध कर लटकाए तथा नीम एक्सट्रैक्ट 5ः प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें तथा 20-25 दिन के अन्तराल पर ल्योर को बदलते रहना चाहिए।
* राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत खुरपका एवं मुखपका (एफ.एम.डी.) बीमारी का टीकाकरण प्रत्येक जनपद के समस्त पशु चिकित्सालयों केे माध्यम से टीकाकरण कार्यकर्ताओं द्वारा निःशुल्क कराया जा रहा है, जिसका लाभ कृषक/पशुपालक अपने जनपदीय मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी या निकटस्थ पशुचिकित्सा अधिकारी से संपर्क कर उठा सकते हैं।
* वर्तमान मौसम में बाह्य एवं अन्तः परिजीवी के संक्रमण की सम्भावना प्रबल होती है। अतः पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि निकटतम पशुचिकित्सालय के पशुचिकित्सा अधिकारियों की सलाह से बाह्य एवं अन्तः परिजीवी नाशक दवाओं का उपयोग करें।
* मौसम आधारित कृषि परामर्श की जानकारी लेने हेतु किसान भाई ‘मेघदूत ऐप’ का प्रयोग कर सकते हैं।
* स्थान विशिष्ट वास्तविक समय मौसम पूर्वानुमान की जानकारी हेतु ‘ई ग्राम स्वाराज्य ऐप’ का प्रयोग करें।
* कृषक भाई कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं एफ.पी.ओ. से भी समय-समय पर सलाह लेते रहें।
* राज्य सरकार (बेमौसम भारी वर्षा/अतिवृष्टि, आकाशीय बिजली, आंधी-तूफान, नाव दुर्घटना, सर्पदंश, सीवर सफाई/गैस रिसाव, बोरवेल में गिरना, मानव वन्य जीव द्वन्द (जंगली जानवरों का हमला), कुआं, नदी, झील, तालाब, पोखर, नहर, नाला, गढ्ढा, जलप्रपात में डूबना एव वनरोज व सांड के आघात से मृत्यु) द्वारा अधिसूचित आपदाओं के सापेक्ष मृत्यु होने की स्थिति में पीड़ित परिवारों को रु. 4 लाख की अहैतुक सहायता प्रदान की जाती है।
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