
प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की होगी जांच
* प्रत्येक संस्थान से शपथ पत्र लिया जाएगा जिसमें पाठ्यक्रमों की मान्यता और छात्रों की संख्या का विवरण होगा
* जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी और छात्रों को शुल्क वापस किया जाएगा
* प्रदेश सरकार एक नया पोर्टल विकसित करेगी जो निजी संस्थानों को जोड़ेगा
* प्रत्येक मंडल में जांच टीम गठित होगी और 15 दिनों में रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता व प्रवेश प्रक्रिया की गहन जांच के आदेश दिए हैं। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि बाराबंकी रामस्वरूप विश्वविद्यालय प्रकरण के बाद कई अनियमितताएँ संज्ञान में आई हैं, जो विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में की जा रही थीं। सरकारी विश्वविद्यालयों को भारत सरकार के ‘समर्थ पोर्टल’ से जोड़ दिया गया है। साथ ही, प्रदेश सरकार अब एक नया पोर्टल विकसित करने जा रही है। जिस प्रकार भारत सरकार का ‘समर्थ पोर्टल’ सभी सरकारी विश्वविद्यालयों को जोड़ता है, उसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार का यह पोर्टल निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को जोड़ेगा। इससे भविष्य में इस प्रकार की गड़बड़ियों पर रोक लगेगी और पूरी व्यवस्था पारदर्शी बनेगी। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एम.पी. अग्रवाल ने प्रदेश के समस्त निजी विश्वविद्यालयों, निजी व अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों एवं उच्च शैक्षणिक संस्थानों में मान्यता एवं प्रवेश प्रक्रिया की सघन जाँच के संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच समिति का गठन किया गया है। इस समिति में जिलाधिकारी अध्यक्ष होंगे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक (या पुलिस कमिश्नरेट की दशा में नामित अधिकारी) तथा शिक्षा विभाग का एक अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होगा। गठित की गई विशेष समिति प्रत्येक निजी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय से शपथ पत्र लेगी, जिसमें यह स्पष्ट करना होगा कि वे कौन-कौन से कोर्स चला रहे हैं, सभी कोर्स मान्यता प्राप्त हैं या नहीं और उनमें कितने छात्रों ने प्रवेश लिया है। समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि किसी भी छात्र का प्रवेश बिना मान्यता वाले कोर्स में नहीं हुआ है। प्रत्येक जनपद स्तर पर जांच पूरी कर 15 दिनों के भीतर शासन को समेकित रिपोर्ट भेजेगी। जांच में यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो संस्थान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी छात्र का दाखिला अवैध रूप से कराया गया है तो संस्थान को उसका पूरा शुल्क ब्याज सहित वापस करना होगा। संचालित सभी कोर्सों की सूची भी समिति प्राप्त करेगी और उनके साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अन्य संबंधित सांविधिक संस्थाओं जैसे ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE), बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI), डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल (DEC), डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI), इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC), मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI), नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (NCTE), फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) इत्यादि की मान्यता का विवरण, सीटों की संख्या सहित अथवा विश्वविद्यालय/बोर्ड/नियामक निकाय की स्वीकृति का स्पष्ट उल्लेख होगा।
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