
आईटीबीपी ने पूर्वी सीमांत मुख्यालय में जनसंपर्क, मीडिया प्रबंधन एवं फोटोग्राफी पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। आज (8 सितम्बर) पूर्वी सीमांत मुख्यालय (केंद्रीय भवन) लखनऊ परिसर में एक गरिमामय समारोह में जनसंपर्क, मीडिया प्रबंधन एवं फोटोग्राफी पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर आईटीबीपी के महानिरीक्षक क्ले खोंगसाई, आईपीएस (पूर्वी सीमांत) लखनऊ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में, महानिरीक्षक ने कहा कि वर्तमान में मीडिया, जनसंपर्क एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे तीव्र परिवर्तनों ने सशस्त्र बलों की जिम्मेदारी को और अधिक संवेदनशील एवं व्यापक बना दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी बल की छवि, विश्वसनीयता एवं जनसंपर्क क्षमता का सीधा संबंध उसके आचरण, अनुशासन और समाज के साथ उसके संवाद से होता है। ऐसे में मीडिया प्रबंधन एवं फोटोग्राफी जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण समय की मांग है। महानिरीक्षक ने कहा कि इस पाठ्यक्रम के माध्यम से, प्रतिभागी अधिकारी एवं जवान न केवल संचार कौशल विकसित करेंगे, बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस, साक्षात्कार, संकट प्रबंधन एवं सोशल मीडिया के उपयोग जैसी विभिन्न मीडिया संबंधी स्थितियों में भी दक्षता प्राप्त करेंगे। साथ ही, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के माध्यम से घटनाओं, अभियानों और कार्यक्रमों का समुचित दस्तावेजीकरण संभव हो सकेगा। यह प्रशिक्षण बल की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और पेशेवर बनाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने आगे कहा कि आज सूचना के इस युग में, एक सटीक चित्र और सही शब्द हजारों विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। इसलिए, इस पाठ्यक्रम में शामिल विषय - फोटोग्राफी तकनीक, समाचार लेखन, डिजिटल मीडिया का उपयोग, प्रेस विज्ञप्ति निर्माण, आपदा या आपातकालीन स्थितियों में मीडिया और जनसंपर्क के साथ स्वस्थ संबंध स्थापित करना - विशेष महत्व रखते हैं। इस अवसर पर बल के वरिष्ठ अधिकारियों, प्रशिक्षकों और प्रशिक्षुओं ने भी अपने विचार साझा किए। प्रशिक्षकों ने विश्वास दिलाया कि प्रशिक्षण व्यावहारिक और आधुनिक मानकों के अनुरूप आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षुओं ने इसे एक स्वर्णिम अवसर बताया और कहा कि यह पाठ्यक्रम उनके पेशेवर जीवन में नई ऊर्जा और दृष्टिकोण लाएगा। समारोह के अंत में, महानिरीक्षक ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं और विश्वास व्यक्त किया कि यह प्रशिक्षण न केवल बल की छवि को सुदृढ़ करेगा, बल्कि राष्ट्रहित में इसकी भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
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