
उप्र में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान- 2025' कई जनपदों के किसान हुए लाभान्वित
दया शंकर चौधरी
अभियान के 12वें दिन तक 14 लाख से अधिक किसानों ने की भागीदारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार का 'विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025' प्रदेश भर में किसानों को वैज्ञानिक खेती और कृषि विविधीकरण के प्रति जागरूक कर रहा है। सोमवार को इस अभियान के तहत विभिन्न जनपदों में कृषि गोष्ठियों का आयोजन किया गया।
जनपद उन्नाव के विकासखंड फतेहपुर के ग्राम मदारिया कलां, तालिबपुर अहली लावनी में डॉ. योगेश प्रताप सिंह, संयुक्त कृषि निदेशक, गुणवत्ता नियंत्रण, उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता में एक विशेष कार्यक्रम हुआ। इसमें सीआईएसएफ रहमानखेड़ा, किसान विज्ञान केंद्र (के.वी.के.) के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, उप कृषि निदेशक रवि चंद्र प्रकाश सहित कृषि एवं संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी, ग्राम प्रधान और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे। उप कृषि निदेशक रवि चंद्र प्रकाश ने किसानों को मिट्टी की जांच कराने और वैज्ञानिक विधियों से खेती करके कृषि को एक उद्योग के रूप में अपनाने पर जोर दिया ताकि किसानों की आय बढ़ सके। कृषि वैज्ञानिकों ने जैविक खेती, बागवानी और खरीफ फसलों पर नवीनतम जानकारी साझा की।
जनपद अमरोहा के विकासखंड जोया की ग्राम पंचायत रामहट में भी 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का आयोजन किया गया। इसमें विधायक हरि सिंह ढिल्लो, के.वी.के. वैज्ञानिक और कृषि अधिकारियों ने किसानों को खरीफ फसल उत्पादन तकनीक, धान की सीधी बुवाई (डी.एस.आर.) विधि, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग, नैनो यूरिया, नैनो डी.ए.पी., मिलेट्स (मोटे अनाज) और प्राकृतिक खेती की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पीएम कुसुम, एन.एफ.एस.एम. योजना, कृषि यंत्रीकरण और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सहित अन्य कृषि संबंधी योजनाओं की जानकारी भी साझा की गई।
इसी क्रम में, जनपद बाराबंकी के विकासखंड दरियाबाद के ग्राम मियाँगंज में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के अंतर्गत एक कृषक गोष्ठी हुई। इस गोष्ठी में कृषि विज्ञान केंद्र, हैदरगढ़ से के.वी.के. प्रभारी और खरीफ फसलों के वैज्ञानिक, कृषि विभाग से संयुक्त कृषि निदेशक, अयोध्या मंडल, जनपद बाराबंकी के उप कृषि निदेशक, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी, और प्रगतिशील महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया। अधिकारियों ने कृषि विभाग, पशुपालन, मत्स्य, उद्यान, सिंचाई, लघु सिंचाई, नलकूप, फार्मर रजिस्ट्री, पी.एम. सम्मान निधि, मृदा स्वास्थ्य, नेचुरल फार्मिंग, जैविक खेती, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, सोलर पंप और मशीनीकरण जैसी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। किसानों को विशेष रूप से प्राकृतिक खेती अपनाने, गौ-आधारित खेती पर ध्यान केंद्रित करने, रासायनिक उर्वरकों और दवाओं का उपयोग कम करने, फार्मर रजिस्ट्री से लाभ लेने, समय पर धान की नर्सरी तैयार करने, दलहन एवं तिलहन की खेती पर ध्यान देने और धान की सीधी बुवाई (डी.एस.आर. विधि) अपनाने पर जोर दिया गया।
प्रदेश के 75 जनपदों में अब तक लगभग 8100 स्थानों पर यह अभियान चलाया जा चुका है। अभियान के बारहवें दिन तक 14,17,500 से अधिक किसानों ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया है। किसानों में कार्यक्रम के प्रति बढ़ते उत्साह को देखते हुए आने वाले दिनों में उनकी भागीदारी और अधिक बढ़ने की संभावना है।
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