कोरोना से भी खतरनाक है ब्लीडिंग आई वायरस!
अभी तक दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरी तरह उबर भी नहीं पाई है कि इस बीच एक साल 2024 के समाप्ति और साल 2025 के शुरूआत से पहले एक और खतरनाक वायरस नें लोगों को डरा कर रख दिया है। दरअसल, इस वायरस का नाम है मारबर्ग वायरस, इसे ब्लीडिंग आई वायरस के नाम से भी जाना जाता है इस वायरस के कारण अफ्रीका में सैकड़ों लोग बीमारी हैं और सैकड़ों लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
वहीं, अफ्रीकी देश रवांडा में मारबर्ग वायरस अराजकता का कारण बन रहा है, अभी तक इस वायरस के कारण रवांडा में एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई है। सैकड़ों लोगों के संक्रमित होने की आशंका के साथ, यह विनाशकारी बीमारी पूरे क्षेत्र में चिंता का विषय बन गई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मारबर्ग एक गंभीर बीमारी है जिसकी मृत्यु दर लगभग 50 फीसदी है इसका मतलब यह है कि वायरस से संक्रमित होने के बाद प्रत्येक 100,000 रोगियों में से 50 की मृत्यु हो सकती है कुछ रोगियों में मारबर्ग वायरस के कारण रक्तस्रावी बुखार विकसित हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित है, तो यह आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है, जिससे मृत्यु हो सकती है मारबर्ग को रोकने के लिए वर्तमान में कोई टीका या एंटीवायरल उपचार नहीं है, लेकिन एक टीका विकसित किया गया है इसे धरती पर सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक माना जाता है। पड़ोसी अफ्रीकी देश पहले से ही एमपॉक्स और ओरोपुचे बुखार जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में मारबर्ग वायरस का फैलना और भी बड़ा खतरा बन गया है। प्रतिक्रियास्वरूप, यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी द्वारा प्रबंधित ट्रैवल हेल्थ प्रो ने खतरनाक वायरस के फैलने के कारण रवांडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, ब्राजील और युगांडा सहित 17 देशों की यात्रा न करने की चेतावनी जारी की है।
ब्लीडिंग आई वायरस क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मारबर्ग वायरस, जिसे अक्सर ब्लीडिंग आई वायरस के रूप में जाना जाता है, इबोला वायरस परिवार से उत्पन्न एक गंभीर बीमारी है यह वायरस वायरल ब्लीडिंग बुखार का कारण बनता है, रक्त वाहिकाओं पर हमला करता है और संभावित रूप से भारी इंटरनल ब्लीडिंग का कारण बनता है सबसे गंभीर मामलों में, यह आंखों से खून रिसने का कारण बनता है, जो इस वायरस को यह भयानक नाम देता है।
बता दें, इस वायरस का नाम जर्मन शहर मारबर्ग से लिया गया है, जहां 1967 में पहली बार एक प्रयोगशाला में इसकी पहचान की गई थी, जहां कर्मचारी युगांडा से आयातित संक्रमित हरे बंदरों के संपर्क में थे इसके बाद, पिछले कुछ वर्षों में कई अफ्रीकी देशों में प्रकोप और छिटपुट मामले सामने आए हैं।
कैसे फैलती है यह बीमारी
यह वायरस संक्रमित चमगादड़ों से इंसानों में फैलता है यह चमगादड़ के मूत्र के संपर्क से भी मनुष्यों में फैलता है चिंता की बात यह है कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मारबर्ग वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए गए रक्त, शरीर के तरल पदार्थ और बिस्तर और कपड़ों के सीधे संपर्क से फैल सकता है। संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, चूंकि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, इसलिए एक ही क्षेत्र में कई मामले होने का खतरा है।
क्या भारत में भी है ख़तरा?
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में वायरस के खतरे से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन हमें सतर्क रहना चाहिए। अफ्रीकी देशों में जाने वाले और वहां से भारत आने वाले लोगों का परीक्षण किया जाना चाहिए यदि किसी में मारबर्ग लक्षण हैं, तो उन्हें अलग-थलग करने की आवश्यकता है।
मारबर्ग वायरस के लक्षण क्या हैं?
तेज़ बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी करना, गला खराब होना, दस्त, नाक, आंख या मुंह से खून बहना।
कैसे करें बचाव
संक्रमित लोगों के संपर्क से बचें, अफ़्रीकी देशों में जाने से बचें, यदि आपमें फ्लू के लक्षण हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें, साफ-सफाई का ध्यान रखें।
इलाज: वर्तमान में, मारबर्ग वायरल रोग के लिए कोई टीका या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है सहायक देखभाल, जैसे कि पुनर्जलीकरण और लक्षणों का प्रबंधन, बीमारी को नियंत्रित करने का प्राथमिक तरीका बना हुआ है हालांकि, अच्छी खबर यह है कि प्रायोगिक उपचारों और रक्त उत्पादों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा रहा है इसके अलावा, प्रायोगिक टीके नैदानिक अध्ययन के शुरुआती चरण में हैं।
रोकथाम: मारबर्ग वायरस संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से फैलता है, मुख्य रूप से शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है इसलिए, संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए, उन क्षेत्रों से बचना महत्वपूर्ण है जहां इसका प्रकोप हुआ है।
- सामाजिक दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना और बार-बार हाथ धोना जैसे निवारक उपाय अपनाना महत्वपूर्ण है।
- इसके अलावा, संक्रमण को कम करने के लिए संक्रमित व्यक्तियों के साथ सीधे संपर्क से दूर रहना बहुत जरूरी है अगर संपर्क में हैं, तो सुरक्षात्मक उपकरण (जैसे मास्क, चश्मा, एप्रन और दस्ताने) का उपयोग करें और नियमित रूप से हाथ धोएं।
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