महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, गाय को दिया राज्यमाता का दर्जा
दया शंकर चौधरी
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, देशी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं। इसलिए, हमने उन्हें यह ('राज्यमाता') दर्जा देने का फैसला किया है। हमने गोशालाओं में देशी गायों के पालन-पोषण के लिए भी मदद देने का फैसला किया है।
मुम्बई। महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार (30 सितम्बर 2024) को बड़ा निर्णय लिया। यहां की शिंदे सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने गोमाता का दर्जा दिया है। गाय को राज्यमाता का दर्जा देते हुए महाराष्ट्र की महायुती सरकार ने शासकीय निर्णय जारी कर दिया है। इस बारे में कल की कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। आपको बताते चलें कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाला है। अभी तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, हालांकि उससे पहले शिंदे सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा देने वाला बड़ा फैसला किया है।
सरकार के निर्णय में कहा गया है, वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति पूज्यनीय रही है। मानव के आहार में देशी गाय के दूध की उपयोगिता सर्वविदित है, आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति और जैविक कृषि प्रणालियों में देशी गाय के गोबर और गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए यह देशी गायों को अब से "राज्यमाता गोमाता" घोषित करने की मंजूरी दी गई है।
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "देशी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं। इसलिए, हमने उन्हें यह ('राज्यमाता') दर्जा देने का फैसला किया है। हमने गौशालाओं में देशी गायों के पालन-पोषण के लिए भी मदद देने का फैसला किया है।" गाय के सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने उसे राज्यमाता का दर्जा दिया है। सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा देते हुए उसे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में भी बताया है।
राज्य के कृषि, डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग की ओर से जारी सरकारी प्रस्ताव में कहा गया है कि अन्य कारकों में मानव पोषण में देशी गाय के दूध का महत्व, आयुर्वेदिक और पंचगव्य उपचार और जैविक खेती में गाय के गोबर का उपयोग शामिल है। एक अधिकारी ने कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों से पहले आया यह फैसला भारतीय समाज में गाय के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में सदियों से गायों द्वारा निभाई गई अभिन्न भूमिका को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लेकर राज्य सरकार ने गाय के गोबर के कृषि लाभों को रेखांकित किया है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और मानव पोषण में योगदान देता है और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को दर्शाता है।
महाराष्ट्र दर्जा देने वाला देश का दूसरा राज्य
अब फैसले के बाद महाराष्ट्र गाय को राज्यमाता घोषित करने वाला दूसरा राज्य बन गया है। इससे पहले उत्तराखंड में भी गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया जा चुका है। उत्तराखंड में 19 सितंबर 2018 को इस संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया था। बाद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था। अब महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। महाराष्ट्र सरकार के अनुसार गाय के गोमूत्र और गोबर को पवित्र माना जाता है। गाय का दूध न केवल शारीरिक रूप से लाभकारी माना जाता है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इसे अहम माना जाता है। सरकार के नए फैसले से संस्कृति और सनातन धर्म को और भी मजबूती प्रदेश में मिलेगी।
उत्तर प्रदेश में "राज्य माता का दर्जा" दिये जाने की मांग को लेकर प्रार्थना ही आंदोलन अभियान
श्रीकृष्ण महाजन्माष्टमी पर श्री धाम बरसाना से नंद गांव तक पद यात्रा कर उत्तर प्रदेश में गौ माता को राज्य माता का दर्जा दिये जाने की प्रार्थना की गई। लोक परमार्थ सेवा सेवा समिति ने महा जन्माष्टमी के महापर्व पर मथुरा वृंदावन में गौमाता को "नगर माता" एवम उत्तर प्रदेश में गौ माता को "राज्य माता" का दर्जा दिये जाने की प्रार्थना करते हुए श्री धाम बरसाना से श्री नंद गांव तक पद यात्रा की।
समिति के उपसचिव जितेंद्र सिंह ने बताया कि सबसे पहले समिति के गौसेवक लालू भाई ने जन्माष्टमी के पावन दिन सुबह 4 बजे निर्जला व्रत रखकर गुरुजी बाबा लाल जी के चरणों में प्रणाम करने के बाद श्री धाम वृंदावन की परिक्रमा की। इसके बाद श्री धाम बरसाना जाकर राधारानी के चरणों में अपनी हाजिरी लगाई तत्पश्चात राधा बाग जाकर वहां हरिनाम कीर्तन किया। इसके बाद श्री धाम बरसाना से दोपहर 2 बजे पद यात्रा प्रारंभ की। ये पदयात्रा प्रार्थना ही आंदोलन के क्रम में किया जा रहा है।
पदयात्रा में गौसेवक लालू भाई, दीपक आनंद, स्नेह लता एवम छोटी दीदी आदि शामिल रहीं। यह पद यात्रा शाम 4 बजे श्री धाम नंद गांव पहुंची, जहां नंद भवन में नंद बाबा यशोदा मैया कृष्ण बलराम राधारानी एवम धन सुखा मन सुखा के चरणों में प्रार्थना की गई। प्रार्थना ही आंदोलन के क्रम में प्रार्थना की गई कि मथुरा वृंदावन में गौमाता को नगर माता एवम उत्तर प्रदेश में गौ माता को राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए। इस अवसर पर रसिक राज गोस्वामी कन्हैया लाल गोस्वामी नितिन गोस्वामी मुनीम जी लालू भाई दीपक आदि ने मिलकर राधा नाम कीर्तन भी किया।
उत्तर प्रदेश में गौ माता को "राज्य माता" का दर्जा मिलने से राज्य का होगा चहुँमुखी विकास-विनोद बाबा
लोक परमार्थ सेवा समिति एवम अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण जन्म भूमि एवम सनातन सेवा फाउंडेशन के सदस्यों ने पिछले दिनों श्री धाम बरसाना में राधारानी के चरणों में हाजिरी लगाने के बाद विनोद बाबा के आश्रम में हरिनाम संकीर्तन करते हुए विनोद बाबा के चरणों में प्रार्थना की गई कि उत्तर प्रदेश में गौ माता को राज्य माता का दर्जा मिलना चाहिए।
इस अवसर पर विनोद बाबा ने कहा कि गऊ माता और गौवंश समाज के लिए हर समय बहुउपयोगी है। गौ-वंश के बेहतर प्रबंधन से अर्थव्यवस्था को सशक्त किया जा सकता है। दुग्ध और दुग्ध प्रोसेस्ड उत्पादों के साथ, गौ-मूत्र और गोबर से भी कई तरीक़े के उत्पाद बनाये जा सकते हैं जो गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। गौ-वंश का आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक महत्व है। गौ-संरक्षण और गौ-सेवा की भावना जन-जन में विकसित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गौशालाओं के प्रबंधन में अधोसंरचना विकास के साथ मानव संसाधन (गौ-सेवक) की व्यवस्था महत्वपूर्ण घटक है। इसके साथ ही विभिन्न उत्पादों के निर्माण और विपणन की बेहतर व्यवस्था गौशालाओं को आर्थिक मज़बूती देने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन से गौ-वंश का संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित होगा और रोज़गारों का सृजन भी होगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गौमाता को राज्यमाता का दर्जा मिल जाने से गौ-रक्षा और गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन पर प्राप्त सुझाव, गौ-सेवा में सहयोगी होंगे। उन्होंने कहा कि शासन का लक्ष्य होना चाहिए कि कोई भी गौ-वंश निराश्रित न हो, दुर्घटना का शिकार न हो। गौ-वंश के संरक्षण के साथ बेहतर पोषण की व्यवस्था बने। गौशालाओं के स्वावलंबन, प्रशासनिक, वित्तीय, सामाजिक तथा विधिक विषयों व प्रावधानों पर कार्यशाला आयोजित की जानी चाहिए।
यदि राज्य सरकार चाहे तो निराश्रित गौ-वंश के संरक्षण, गौशाला संचालन, उत्पादों के विपणन और शासकीय सहयोग के विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है। कार्यशाला में गौशालाओं से संबंधित सामाजिक पहलू, पशुपालकों द्वारा गौवंश को स्टॉल फीडिंग हेतु प्रोत्साहित करने के उपाय और घायल, निराश्रित गौवंश को निकटतम गौशालाओं तक पहुंचाने हेतु परिवहन की व्यवस्था पर विमर्श किया जा सकता है। साथ ही मृत गौवंश का सम्मानपूर्वक निष्पादन भी चर्चा का प्रमुख विषय है। इसके साथ ही गौशालाओं एवं निराश्रित गौवंश से संबंधित विधिक पहलू और गौवंश संरक्षण के संबंध में उच्चतम न्यायालय/उच्च न्यायालयों/ राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों पर भी विमर्ष किया जा सकता है।
इस अवसर पर श्री धाम वृंदावन में चंद्रोदय मंदिर की सुरभि गौशाला में गौ माताओं को चारा खिलाकर उनसे आशीर्वाद लिया गया। तत्पश्चात चंद्रोदय मंदिर के जन संपर्क प्रमुख स्वामी अनंतवीर्य प्रभु ने भी आशीर्वाद देते हुए गऊ माता को राज्यमाता का दर्जा दिए जाने की प्रार्थना की। गौसेवक लालू भाई और अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण जन्म भूमि एवम सनातन सेवा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश मिश्र, महामंत्री उपेंद्र तिवारी उपाध्यक्ष शिवम मिश्रा एवम अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार एस के मिश्रा आदि ने सामूहिक हरिनाम कीर्तन करते हुए बांके बिहारी जी के चरणों में गौ उत्थान के लिए प्रार्थना की।
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