
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद ड्रोन तकनीक पर फोकस तेज
नई दिल्ली। भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में अत्याधुनिक स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का लाइव प्रदर्शन देखा। यह प्रदर्शन भारत की रक्षा तैयारियों को आधुनिक युद्ध की दिशा में ले जाने का एक अहम संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
इस मौके पर मानव रहित हवाई प्रणालियाँ (UAS), काउंटर-ड्रोन सिस्टम और लोइटरिंग म्यूनिशन जैसे आधुनिक हथियारों का सफल प्रदर्शन किया गया। ये सभी तकनीकें भारत में ही विकसित की गई हैं, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की रक्षा क्षेत्र में सफलता को दर्शाती हैं। ये प्रणालियाँ भविष्य के युद्धों में सेना की संचालन क्षमता, लक्ष्य पर सटीक हमला करने की योग्यता और सैनिकों की सुरक्षा को कई गुना बढ़ा सकती हैं।
यह प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है जब कुछ ही सप्ताह पहले एलओसी के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। इस ऑपरेशन में यूएवी (Unnamed Aerial Vehicles) और ड्रोन तकनीक की भूमिका बेहद अहम रही थी। दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने से लेकर लक्ष्य की पहचान और सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने तक, हर चरण में UAVs ने सेना को रणनीतिक बढ़त दिलाई। ऑपरेशन की सफलता के बाद सेना के भीतर यह स्पष्ट समझ बनी कि ड्रोन और एआई-सक्षम हथियार भविष्य के संघर्षों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
तकनीकी आधुनिकीकरण को एक रणनीतिक आवश्यकता
जनरल उपेंद्र द्विवेदी की इस प्रदर्शन में मौजूदगी केवल एक निरीक्षण नहीं, बल्कि सेना की बदलती प्राथमिकताओं का प्रतीक है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारतीय सेना अब तकनीकी आधुनिकीकरण को एक रणनीतिक आवश्यकता मान रही है, न कि केवल एक विकल्प।
इस दिशा में एक बड़ा कदम रक्षा मंत्रालय ने भी उठाया है। मंत्रालय ने अगले दो वर्षों में मानव रहित हवाई प्रणालियों (UAVs) के विकास और तैनाती के लिए ₹3900 करोड़ के निवेश को मंजूरी दी है। यह निवेश भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को न केवल मजबूती देगा, बल्कि निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर भी पैदा करेगा। इसके जरिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ तकनीकी नवाचार और रोज़गार के नए रास्ते भी खुलेंगे।
सरकार का उद्देश्य रक्षा प्रणाली में स्पष्ट
स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देगा, निजी क्षेत्र को रक्षा उत्पादन में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करेगा, 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को रक्षा क्षेत्र में साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। यह निवेश सेना को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा, ड्रोन टेक्नोलॉजी, सेंसर सिस्टम, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में रोजगार और नवाचार को भी बढ़ावा देगा। बबीना में हुआ प्रदर्शन और ऑपरेशन सिंदूर में मिली सीख मिलकर यह दर्शाते हैं कि भारतीय सेना तकनीकी रूप से सशक्त, स्मार्ट और भविष्य के लिए तैयार हो रही है।
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