
"विश्व युवा कौशल दिवस" के समापन समारोह में दिखी विरासत और तकनीक का संगम
दया शंकर चौधरी
* सीईओ और एचआर हेड्स ने युवाओं से किया संवाद, नवाचारों और उद्योग आधारित प्रशिक्षण पर रहा ज़ोर
* DDUGKY और SSDF योजनाओं के माध्यम से हो रहा है युवाओं का बहुआयामी कौशल विकास
* युवाओं को पारंपरिक ज्ञान और भविष्य की तकनीकों से जोड़ने की दिशा में सरकार प्रतिबद्ध - प्रमुख सचिव डॉ. हरिओम
लखनऊ। विश्व युवा कौशल दिवस 2025 के समापन समारोह के अंतर्गत कल बुधवार को दिन भर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। समापन के इस अवसर पर आयोजित पैनल चर्चा का पारंपरिक एवं आधुनिक स्किलिंग में संतुलन विषय पर विशेषज्ञों ने पारंपरिक हस्तकला, बुनाई, बढ़ईगिरी जैसे हुनर से लेकर डिजिटल स्किल्स, एआई, ऑटोमेशन जैसी आधुनिक तकनीकों के बीच तालमेल स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण विचार साझा किए। चर्चा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उत्तर प्रदेश के कौशल विकास ढांचे में अब परंपरा और तकनीक एक साथ चल रही हैं, जिससे युवा न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि नवाचार के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहे हैं।
कौशल मेले में आयोजित नियोक्ता सम्मेलन में दो प्रमुख क्षेत्रों के सीईओ और एचआर हेड्स ने मंच से सीधे युवाओं से संवाद स्थापित किया। उन्होंने बताया कि उद्योगों को किस प्रकार के कौशल की आवश्यकता है, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को उद्योग की मांगों के अनुरूप कैसे ढाला जा सकता है। इस संवाद को युवाओं के भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम बताया गया। संयुक्त निदेशक मयंक गंगवार ने कहा कि यह सम्मेलन युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक ठोस संवाद है। उन्होंने बताया कि विभाग अधिक से अधिक उद्योग आधारित प्रशिक्षण की सुविधा युवाओं को देने हेतु निरंतर प्रयासरत है।
प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग डॉ. हरिओम ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है कि राज्य के युवाओं को न केवल पारंपरिक ज्ञान में दक्षता प्राप्त हो, बल्कि उन्हें भविष्य की तकनीकों — जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, ग्रीन एनर्जी और ऑटोमेशन — में भी विश्वस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार की सोच है कि युवा सिर्फ नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बने। इसके लिए इंडस्ट्री-एकेडमिक कनेक्ट, उच्च गुणवत्ता की ट्रेनिंग और रोजगारोन्मुखी कौशल का समावेश हमारी प्राथमिकता है।
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के नवाचारों पर मिशन निदेशक पुलकित खरे द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया। उन्होंने मिशन द्वारा संचालित प्रमुख योजनाओं – दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDUGKY) और राज्य कौशल विकास निधि योजना (SSDF) की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्किल गैप को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश स्किल डेवलपमेंट मिशन लगातार उद्योगों से संवाद कर रहा है और उनकी आवश्यकता के अनुसार ही युवाओं को प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि मिशन द्वारा सभी जनपदों में औद्योगिक इकाइयों को प्रशिक्षण भागीदार (ट्रेनिंग पार्टनर) बनाया जा रहा है ताकि युवाओं को उनके ही जनपद में प्रशिक्षण और रोजगार दोनों उपलब्ध हो सकें।
पुलकित खरे ने कहा कि मिशन द्वारा औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ एमओयू हस्ताक्षर किए जा रहे हैं, जिससे प्रशिक्षित युवाओं को उद्योगों में त्वरित प्लेसमेंट मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के आईटीआई संस्थानों को निरंतर उन्नत किया जा रहा है, और उनमें तकनीकी नवाचारों को शामिल करते हुए आधुनिक प्रशिक्षण प्रणाली लागू की जा रही है। पारंपरिक ट्रेड्स के साथ-साथ अब आईटी, एआई, ग्रीन एनर्जी और ऑटोमेशन जैसे फ्यूचरिस्टिक क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है। युवाओं को सॉफ्ट स्किल्स और पर्सनालिटी ग्रूमिंग का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
कार्यक्रम में #SkillHero रील्स की स्क्रीनिंग भी की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं की प्रेरणादायक कहानियां प्रदर्शित की गईं। ‘ट्रेनर्स स्पीक’ सत्र में प्रशिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि प्रशिक्षण प्रक्रिया में क्या नवाचार अपनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त कौशल चौपाल के अंतर्गत युवा प्रतिभागियों द्वारा टॉक शो में अपने विचार प्रस्तुत किए गए।
दोपहर की दूसरी पैनल चर्चा में 'स्किल गैप विश्लेषण – मांग बनाम आपूर्ति' पर केंद्रित सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें उद्योग, शिक्षा और प्रशासन से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि कौशल की मांग और उसकी पूर्ति के बीच का अंतर कम करने के लिए मिशन के प्रयास व्यावहारिक स्तर पर प्रभावी हो रहे हैं। इसी क्रम में आईटीआई के प्रशिक्षुओं द्वारा किए गए नवाचारों पर भी प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें टेक्नोलॉजी, सेंसर बेस्ड सिस्टम्स, कृषि यंत्र, एवं पर्यावरण हितैषी उपकरणों को प्रदर्शित किया गया।
रोजगार एवं सॉफ्ट स्किल्स पर आधारित कार्यशाला में ‘Importance of Career Counselling’ और ‘India Skill Report’ जैसे विषयों को उठाया गया। वक्ताओं ने बताया कि कैसे कैरियर परामर्श से युवा अपनी रुचि और कौशल के अनुसार करियर चुन सकते हैं और देश के विकास में योगदान दे सकते हैं।
समारोह के अंत में फूड स्टॉल श्रेणी में पुरस्कार में Subhwanti Social Welfare Society को प्रस्तुत लिट्टी-चोखा स्टॉल में प्रथम पुरस्कार प्राप्त मिला। NEDS Skills and Services Pvt. Ltd. (Startup) द्वारा फरहे एवं सत्तू के शेक मे द्वितीय पुरस्कार, जबकि Frontline-NCR Business Solutions Pvt. Ltd. को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
निजी प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं द्वारा उत्पाद विक्रय श्रेणी में पुरस्कार में यूनीवर्सल आईडियल सेवा समिति को जूट बैग एवं दरवाजे की चटाई की बिक्री के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। फर्स्ट लाइन ग्लोबल सर्विसेज को महिलाओं के परिधानों की बिक्री के लिए द्वितीय पुरस्कार, जबकि साइबर एकेडमी को चिकनकारी साड़ियों एवं सूट्स की बिक्री के लिए तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राजकीय संस्थानों द्वारा नवाचार एवं उत्पाद विक्रय श्रेणी में पुरस्कार में स्टेट स्टाफ ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च सेंटर को परिधान (अपारेल) श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, मण्डल लखनऊ द्वारा क्लैप स्विच सिस्टम, स्मार्ट डस्टबिन, ऑटोमेशन सिम्युलेटर, दीपदान, फ्लावर पॉट आदि नवाचारों के लिए द्वितीय पुरस्कार दिया गया। उ०प्र० खादी ग्रामोद्योग बोर्ड को उत्पाद सहभागिता एवं प्रस्तुति गुणवत्ता के आधार पर तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ, जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की लोक प्रस्तुतियों ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया। इस अवसर पर नृत्य, गायन, नाटक और कविताओं के माध्यम से युवाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और "कुशल उत्तर प्रदेश, आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश" के संकल्प को सजीव कर दिया।
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