
यमन में निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द
नई दिल्ली। यमन में हत्या के एक मामले में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को सबसे बड़ी राहत मिली है। इस मामले पर भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुस्लैयार के कार्यालय ने दावा किया है कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा को पलट दिया गया है। सना में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में मौत की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया गया जिसे पहले अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, उनके दावे की अभी तक सरकार की तरफ से पुष्टि नहीं हुई है।
निमिषा प्रिया को क्यों सुनाई थी मौत की सजा?
केरल के पलक्कड़ ज़िले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में 2008 में यमन चली गई थी। उन्होंने यहां यमन नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ एक बिजनेस की और दोनों ने राजधानी सना में एक क्लिनिक खोला। महदी द्वारा निमिषा का उत्पीड़न करने और सार्वजनिक रूप से उनका पति होने का दावा करने के बाद उनके रिश्ते में खटास आ गई। तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, जिससे उनकी भारत वापसी का रास्ता बंद हो गया।
यमनी अधिकारियों के अनुसार, प्रिया ने 2017 में महदी को बेहोश करके उसका पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश की थी। यह घटना तब घातक साबित हुई जब कथित तौर पर नशीली दवाओं के ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। 2018 में निमिषा को गिरफ्तार किया गया, उन पर मुकदमा चलाया गया और हत्या का दोषी ठहराया गया।
टाल दी गई थी फांसी की सजा
निमिषा का मामला वर्षों से अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींच रहा है। उसे 2020 में एक यमन अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। यमनी राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी द्वारा दिसंबर 2024 में उसकी फांसी की सजा को मंज़ूरी देने के बाद, पिछले कुछ महीनों में उसे बचाने की कोशिशें तेज हो गईं। मामला तब और बढ़ गया जब जनवरी 2025 में हूती नेता महदी अल-मशात ने भी उसे फांसी की सजा देने की मंजूरी दे दी थी। हालांकि, भारत सरकार और ग्रैंड मुफ्ती के संगठित प्रयासों के बाद निमिषा की फांसी टाल दी गई थी।
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