
मंत्री नरेंद्र कश्यप ने दी विभागीय उपलब्धियों की दी जानकारी
दया शंकर चौधरी
* वित्तीय वर्ष 2024-25 में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में लगभग 30 लाख ओबीसी विद्यार्थियों को लाभ मिला, जो 2023-24 की तुलना में 5 लाख अधिक
* शादी अनुदान योजना के अंतर्गत इस वर्ष 1 लाख ओबीसी दम्पत्तियों को 20,000 रुपये की राशि दी गई
* कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना में 29,769 प्रशिक्षार्थी लाभान्वित हुए
* छात्रावास अनुरक्षण हेतु पहली बार 2 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई
* दिव्यांग पेंशन योजना में लाभार्थियों की संख्या 2017 में 8.75 लाख से बढ़कर अब 10.83 लाख हुए
* अब पेंशन राशि आधार आधारित भुगतान प्रणाली से दी जा रही है
* कुष्ठावस्था पेंशन को 2500 से बढ़ाकर 3000 रुपये किया गया है और 7421 नए लाभार्थियों को जोड़ा गया
* दिव्यांगजन से विवाह करने पर 15,000 से 35,000 रुपये की गयी, जिससे 5893 दंपत्तियों को लाभ हुआ है
लखनऊ। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने गुरुवार को अपने मंत्री आवास 11, एन.डी.एम.आर., विक्रमादित्य मार्ग, लखनऊ पर विभागीय उपलब्धियों के संबंध में प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि योगी सरकार ओबीसी एवं दिव्यांगजनों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संकल्पित है।
मंत्री कश्यप ने पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत 2475 करोड़ रुपये से लगभग 30 लाख ओबीसी विद्यार्थियों को लाभ मिला, जो 2023-24 की तुलना में 5 लाख अधिक है। दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में चार श्रेणियों में क्रमशः 10,000, 20,000, 30,000 और 50,000 रुपये की सहायता दी गई।
उन्होंने बताया कि शादी अनुदान योजना के अंतर्गत इस वर्ष 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था करते हुए 1 लाख ओबीसी दम्पत्तियों को 20,000 रुपये की राशि दी गई, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 52,553 थी। शादी अनुदान प्राप्त करने वाले ओबीसी व्यक्तियों की आय सीमा को बीपीएल श्रेणी शहरी व ग्रामीण से बढ़ाकर समान रूप से एक लाख की गयी। कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना में 32.92 करोड़ रुपये से 29,769 प्रशिक्षार्थी लाभान्वित हुए, वहीं छात्रावास अनुरक्षण हेतु पहली बार 2 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई।
मंत्री ने पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में नवाचारों की चर्चा करते हुए बताया कि 2024-25 में विभाग का कुल बजट 2789.71 करोड़ रुपये किया गया, जो पिछले वर्ष से 451.08 करोड़ रुपये अधिक है। प्रचार-प्रसार योजना के लिए वर्ष 2025-26 में एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
मंत्री ने दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की उपलब्धियाँ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दिव्यांग पेंशन योजना में लाभार्थियों की संख्या 2017 में 8.75 लाख से बढ़कर अब 10.83 लाख हो चुकी है। अब पेंशन राशि आधार आधारित भुगतान प्रणाली से दी जा रही है। कुष्ठावस्था पेंशन को 2500 से बढ़ाकर 3000 रुपये किया गया है और 7421 नए लाभार्थियों को जोड़ा गया है।
दिव्यांगजन से विवाह करने पर 15,000 से 35,000 रुपये तक का प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे 5893 दंपत्तियों को लाभ हुआ है। दुकान निर्माण/संचालन योजना से 8063 दिव्यांगों को स्वरोजगार मिला है। 2024-25 में इस योजना में 1046 लाभार्थी शामिल हुए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 से दिव्यांगजनों को रोडवेज बसों में अंतर्गत निःशुल्क यात्रा सुविधा उपलब्ध है। "विश्व दिव्यांग दिवस" पर 3 दिसंबर 2024 को 19 व्यक्तियों/संस्थाओं को राज्य स्तरीय पुरस्कार दिए गए। वित्तीय वर्ष 2017-18 से 02 श्रेणियों के स्थान पर 12 श्रेणियो के अन्तर्गत 30 उपश्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किया जाता हैं, तथा पुरस्कार की धनराशि 5000 से बढ़ाकर 25000 रूपए कर दी गयी हैं
दिव्यांगजन हेतु कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण योजना में अब 15,000 रुपये तक की सहायता उपलब्ध है, और स्मार्टफोन, टैबलेट, डेजी प्लेयर जैसी आधुनिक सुविधाएं भी दी जा रही हैं। वर्ष 2017-18 से अब तक 3.73 लाख उपकरण वितरित किए जा चुके हैं।
शल्य चिकित्सा अनुदान योजना में अब 10,000 रुपये तक की सहायता और कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए 6 लाख रुपये प्रति लाभार्थी की व्यवस्था है। 2024-25 में 63 जनपदों में 214 कॉक्लियर इम्प्लांट कराए गए हैं।
मानसिक मंदित आश्रयगृह सह प्रशिक्षण केंद्र बरेली, मेरठ और गोरखपुर में संचालित हैं, जिनकी आवासीय क्षमता 50-50 है। लखनऊ, चित्रकूट, बाँदा समेत छह जनपदों में नये केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है।
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा राज्य के 16 जनपदों में 24 स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से मानसिक मंदित दिव्यांगजनों हेतु आश्रयगृह सह प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। 18 मण्डलीय जनपदों में 03 से 07 वर्ष के श्रवणबाधित, मानसिक मंदित तथा दृष्टिबाधित बच्चों के लिए 'बचपन डे केयर सेन्टर्स' संचालित किए जा रहे हैं। इन सभी केन्द्रों को ISO 9001:2015 प्रमाणन प्राप्त है। चन्दौली, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती, फतेहपुर, बलरामपुर एवं सोनभद्र जैसे सात महत्वाकांक्षी जनपदों में नवीन केन्द्रों की स्थापना प्रक्रिया प्रगति पर है।
प्रदेश में 'प्रयास', 'संकेत', 'ममता' एवं 'स्पर्श' नामक राजकीय विशेष विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 1,431 छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं। सभी 16 विशेष विद्यालयों को उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा एवं प्रबंधन के लिए ISO 9001:2015 प्रमाणन मिला है और स्मार्ट क्लासेज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं अस्थिबाधित छात्रों के साथ-साथ सामान्य छात्रों को भी एक समावेशी वातावरण में शिक्षा देने के उद्देश्य से प्रदेश के सात जनपदों (औरेया, लखनऊ, कन्नौज, प्रयागराज, आजमगढ़, बलिया व महराजगंज) में समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें कुल 325 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। गाजियाबाद में एक नया विद्यालय प्रक्रियाधीन है जबकि मीरजापुर, एटा, प्रतापगढ़, वाराणसी एवं बुलन्दशहर में निर्माण कार्य चल रहा है।
राज्याधीन सेवाओं में दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत तथा राज्याधीन शिक्षण संस्थानों में 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ दिव्यांगजनों के लिए दो विशिष्ट विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिसमें 50 प्रतिशत सीटें दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आरक्षित हैं।
डा. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ में वर्तमान में 1,541 दिव्यांग छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं। जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में 31 जनवरी 2023 को प्रतिस्थापित किया गया। इस विश्वविद्यालय में 1,369 छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं।
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