
पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत ने दिखाई ताकत
लखनऊ। पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत से रूबरू करवाया है। भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी तकनीक से विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफल युद्धक परीक्षण (कम विस्फोटक के साथ) किया है।
इंडियन नेवी ने DRDO के साथ मिलकर किया मिसाइल का परीक्षण
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (एमआईजीएम) की लड़ाकू फायरिंग (कम विस्फोटक के साथ) सफलतापूर्वक की है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'यह प्रणाली नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, विशाखापत्तनम द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं - उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, पुणे और टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला, चंडीगढ़ के सहयोग से विकसित एक उन्नत पानी के नीचे की नौसेना की खदान है।' DRDO और भारतीय नौसेना द्वारा विकसित MIGM, आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगी।
एमआईजीएम को आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, विशाखापत्तनम और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड, हैदराबाद इस प्रणाली के उत्पादन भागीदार हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है, 'डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योग की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रणाली भारतीय नौसेना की पानी के नीचे युद्ध क्षमताओं को और बढ़ाएगी।'
मिसाइल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई: DRDO और भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) की सफलतापूर्वक लड़ाकू फायरिंग (कम विस्फोटक के साथ) की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए DRDO, भारतीय नौसेना और उद्योग को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भारतीय नौसेना की अंडर-सी युद्ध क्षमताओं को और बढ़ाएगी।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिस्टम के सफल पहले उड़ान-परीक्षण के लिए DRDO को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भारत की पृथ्वी अवलोकन और खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को अद्वितीय रूप से बढ़ाएगी, जिससे देश दुनिया के उन कुछ देशों में से एक बन जाएगा जिनके पास ऐसी स्वदेशी क्षमताएं हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने कहा कि इस सत्यापन परीक्षण के साथ, यह प्रणाली अब भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है। 03 मई को, DRDO ने मध्य प्रदेश के श्योपुर परीक्षण स्थल से स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफ़ॉर्म का पहला उड़ान-परीक्षण सफलतापूर्वक किया।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 'एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, आगरा द्वारा विकसित, एयरशिप को लगभग 17 किमी की ऊंचाई पर एक इंस्ट्रूमेंटल पेलोड ले जाते हुए लॉन्च किया गया।' ऑनबोर्ड सेंसर से डेटा प्राप्त किया गया था और इसका उपयोग भविष्य की उच्च-ऊंचाई वाली एयरशिप उड़ानों के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले फ़िडेलिटी सिमुलेशन मॉडल के विकास के लिए किया जाएगा।
विज्ञप्ति में कहा गया है, 'उनके प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए उड़ान में लिफाफा दबाव नियंत्रण और आपातकालीन अपस्फीति प्रणाली तैनात की गई थी। परीक्षण दल ने आगे की जांच के लिए सिस्टम को पुनः प्राप्त किया। उड़ान की कुल अवधि लगभग 62 मिनट थी।'
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