
अमृत भारत स्टेशनों में झलकती है उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत
दया शंकर चौधरी
गोरखपुर। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत हो रहे स्टेशनों के पुनर्विकास से नए व्यावसायिक एवं नागरिक केंद्रित सेवा को बढ़ावा मिलेगा। देश भर मे 1,300 से ज्यादा ऐसे स्टेशन बनाए जा रहे हैं। ज्यादातर रेलवे स्टेशन शहर या मार्केट के बीच मे स्थित हैं, ऐसे मे उनके अप्रोच एवं सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार भी इसमें सम्मिलित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप मे विकसित किया जा रहा है, जिससे रेलवे स्टेशन न सिर्फ यात्रियों के लिए उपयोगी हो बल्कि आसपास के क्षेत्र के निवासी आम जनमानस का भी विकास हो।
बड़े स्टेशनों को बड़े व्यावसायिक केंद्र के रूप मे विकसित किया जा रहा है तो वहीं छोटे स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप मे तैयार किया जा रहा है। ऐसे स्टेशनों से बड़े शहरों तक सीधी एवं तेज कानेक्टिविटी से क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सकेगा। ऐसे मे भारतीय रेल ‘अमृत भारत स्टेशन योजना‘ के रूप मे विकसित भारत की नींव रख रहा है।
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 02 वर्ष से भी कम की अवधि में 103 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकसित कर इसका उद्घाटन 22 मई, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की यह गति अद्वितीय है। अनेक कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि जिन परियोजनाओं का वह शिलान्यास करते हैं उनका उद्घाटन भी वही करते हैं। वस्तुतः विकसित होते हुए भारत की यह नई संस्कृति है, जिसके तहत परियोजनाओं को पूरा करने की गति काफी तेज हुई है। भारतीय रेल ने जितनी तेज गति से इस काम को सम्पन्न किया है, उसके लिए उसकी सराहना की जानी चाहिए।
अमृत भारत स्टेशन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश मे 19 स्टेशनों- बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, स्वामी नारायण छपिया, मैलानी, गोला गोकरननाथ, रामघाट हाल्ट, इज्जतनगर, बरेली सिटी, उझानी, हाथरस सिटी, सुरेमनपुर, बिजनौर, सहारनपुर, फतेहाबाद, गोवर्धन, इदगाह आगरा जंक्शन, पोखरायां, गोविंदपुरी एवं करछना को पुनर्विकसित कर लिया गया है। 190 करोड़ से अधिक की लागत से विकसित इन स्टेशनों में स्थानीय संस्कृति, आधुनिक वास्तुकला एवं उत्कृष्ट यात्री सुविधा, तीनों का समन्वय है। इन स्टेशनों पर भव्य प्रवेश द्वार, आकर्षक फसाड, हाई मास्ट लाइटिंग, आधुनिक प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर, मॉर्डन टॉयलेट और दिव्यांगजन के लिए सुगम रैंप जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं। उच्चीकृत प्लेटफॉर्म, यात्री शेल्टर, कोच इंडिकेशन सिस्टम और सूचना के लिए डिजिटल डिस्प्ले लगाए गए हैं। सभी सुविधाओं को दिव्यांगजन अनुकूल बनाया गया है।
वहीं, हर स्टेशन पर उत्तर प्रदेश की विविध कला, संस्कृति और लोक परम्पराओं की झलक भी देखने को मिल रही है। सिद्धार्थनगर स्टेशन पर बौद्ध संस्कृति की झलक दिख रही है, जहां से देश, विदेश से बड़ी संख्या मे बौद्ध अनुयायी लुम्बिनी जाने के लिए आते हैं। भगवान बुद्ध को समर्पित इस स्टेशन भवन को स्थानीय संस्कृति एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। स्टेशन भवन में सुधार करते हुए पोर्च का निर्माण किया गया है, जो स्टेशन भवन को भव्यता प्रदान कर रहा है। महात्मा बुद्ध के जन्म स्थली के निकट होने के कारण स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया एवं स्टेशन में उनकी आकर्षक प्रतिमा लगाई गई है, जो स्टेशन भवन एवं परिसर को भव्यता प्रदान कर रहा है। छोटी काशी के नाम से मशहूर गोला गोकरननाथ स्टेशन को स्थानीय संस्कृति एवं आधुनिक वास्तुकला के अनुरूप बनाया गया है।
मैलानी स्टेशन एक महत्वपूर्ण जंक्शन है जहां से दुधवा नेशनल पार्क जाने के लिए मीटर गेज की ट्रेन जाती है, जिसमें एक विशेष रूप से डिजाइन किया हुआ टूरिस्ट कोच लगाया जाता है। सरयू नदी के अयोध्या तट पर स्थित रामघाट हाल्ट स्टेशन पर यात्रियों के लिए 1,164 वर्ग मीटर में नया मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया है। इस मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स में श्रद्धालु यात्रियों एवं पर्यटकों के ठहरने का उत्तम प्रबन्ध किया गया है। इसके लिए 05 रिटायरिंग रूम तथा 04 डारमेट्री बनाई गई है। स्वामी नारायण छपिया स्टेशन को स्वामी नारायण मंदिर के तर्ज पर विकसित किया है, इस स्टेशन के समीप स्वामी नारायण जी का जन्म स्थली है। सहारनपुर स्टेशन को शाकंभरी देवी के मंदिर के अनुरूप डिजाइन किया गया है। गोविंदपुरी स्टेशन पर 12 मीटर चौड़ा फुट ओवर ब्रिज (रुफ प्लाज़ा) भी बनाया गया है। इसी प्रकार बिजनौर, इज्जतनगर, बरेली सिटी, उझानी, हाथरस सिटी, सुरेमनपुर, फतेहाबाद, गोवर्धन, इदगाह आगरा जंक्शन, पोखरायां एवं करछना अब केवल ट्रांजिट पॉइंट ही नहीं हैं बल्कि एक सिटी सेंटर के रूप मे विकसित किए गए हैं जिनका लाभ न सिर्फ यात्रियों को बल्कि स्थानीय जनमानस को भी मिल रहा है।
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत उत्तर प्रदेश अब उस दिशा में बढ़ रहा है, जिसका हर स्टेशन स्थानीय संस्कृति, आधुनिक वास्तुकला एवं बेहतर यात्री सुविधा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। रेल का पहिया देश के विकास का पहिया है। रेलवे स्टेशन विकास के रथ पर सवार देश के प्रमुख केंद्र हैं। भारतीय रेल और रेलवे स्टेशनों की प्रगति में हर भारतीय की सहभागिता है। इस सहभागिता को और मजबूत करना है। इनकी सुरक्षा करना, इनको स्वच्छ बनाए रखना भी हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है।
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