
प्रेस क्लब में आयोजित की गई "भाषा एवं प्रौद्योगिकी: अवधी के संदर्भ में" विषयक विचार गोष्ठी
दया शंकर चौधरी
भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर (कर्नाटक) एवं अवध भारती संस्थान, अर्जुनगंज (लखनऊ) के तत्वावधान में जुटे अवधी भाषा प्रेमी
लखनऊ। भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर (कर्नाटक) एवं अवध भारतीय संस्थान, अर्जुनगंज (लखनऊ) के तत्वावधान में "भाषा एवं प्रौद्योगिकी: अवधी के संदर्भ में" विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रेस क्लब में आयोजित इस विचार गोष्ठी में भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के विषय विशेषज्ञ डॉ सत्येन्द्र अवस्थी ने कहा कि आज के डिजिटल युग में भाषा और प्रौद्योगिकी के मध्य अच्छा सामंजस्य होना नितांत आवश्यक है। क्योंकि, भाषा जहां संचार का मूल माध्यम है। वहीं, प्रौद्योगिकी इस संचार को नया आयाम देती है। अवधी के कवियों, लेखकों, कलाकारों को डिजिटल फ्रेंडली बनना होगा।
अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ राम बहादुर मिश्र ने कहा कि प्रौद्योगिकी की बड़ी आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अवध भारती संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) एवं भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर (कर्नाटक) ने इस विचार गोष्ठी का संयोजन किया है। हमें विश्वास है कि हमारी अवधी प्रौद्योगिकी सँग कदमताल करेगी। हम अवधी को प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए अलग-अलग स्थानों पर कार्यशाला करेंगे। अब हमको आधुनिक तकनीक को अपनाना ही होगा।
यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के लखनऊ मण्डल अध्यक्ष शिव शरण सिंह गहरवार ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि इस विचार गोष्ठी में अवधी भाषा के विकास, तकनीकी अनुप्रयोगों एवं उनके आपसी प्रभावों पर विचार-विमर्श किया गया। अवधी को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए जमीनी स्तर पर ठोस उपाय करने होंगे। हवा-हवाई बातों से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। यूपी से अवधी आराधकों का 50 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के दौरे पर जाना चाहिए।
इस विचार गोष्ठी के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार एवं अवधी आराधक नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान ने बताया कि अवध भारती संस्थान अबतक 200 पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है। इसमें 20 किताबों को हिन्दी संस्थान, उप्र ने पुरस्कृत भी किया है। पिछले 35 साल में संस्थान ने भारत के विभिन्न राज्यों में ही नहीं, बल्कि 12 देशों में अवधी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्धन हेतु विभिन्न कार्यक्रम किये हैं। अब अवधी को प्रौद्योगिकी से समर्थ करने पर कार्य किया जा रहा।
"भाषा एवं प्रौद्योगिकी: अवधी के संदर्भ में" विषयक इस विचार गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि द्वय केकेसी के प्रोफेसर डॉ सिद्धार्थ सिंह एवं कला वसुधा पत्रिका के सम्पादक शाखा बंदोपाध्याय ने बड़े सारगर्भित विचार रखे। वरिष्ठ पत्रकार एवं अवधी आराधक प्रेमकांत तिवारी ने अवधी को युवाओं से जोड़ने के कई उपाय सुझाए। वहीं, कल्चर दीदी कुसुम वर्मा ने बेटियों को समर्पित एक मार्मिक अवधी गीत प्रस्तुत किया।
गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विनय दास, प्रदीप सारँग, डॉ सत्या सिंह, प्रदीप तिवारी धवल, चित्रकार पप्पू अवस्थी, ओम मिश्रा, आदित्य शुक्ला बंजारा, संजय सांवरा, संदीप अनुरागी, प्रमोद यादव व गौरी शंकर वैश्य सहित कई प्रमुख अवधी साहित्यकार उपस्थित थे।
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