
विश्व साइकिल दिवस: सेहत और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है साइकिलिंग
दया शंकर चौधरी
साइकिल की विशेषता और अहमियत को जानने के लिए हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं विश्व में और भारत में साइकिल का इतिहास। इसी के साथ हम आपको बताएंगे साइकिल चलाने के फायदे।
साइकिल की विशेषता और अहमियत को जानने के लिए हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। हालांकि इसकी शुरुआत 2018 में ही हुई है। संयुक्त राष्ट्र ने 3 जून 2018 को पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाया था। इस साल 2025 में आठवां विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है।
विश्व साइकिल दिवस का महत्व
विश्व साइकिल दिवस कई मायनों में महत्व रखता है, जैसे-
* कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देता है।
* शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
* सुलभ साइकिल चालन के माध्यम से सामाजिक समावेशन और सहिष्णुता को बढ़ावा देता है।
* यातायात की भीड़ को कम करता है, शहरी गतिशीलता में सुधार करता है।
* साइक्लिंग उद्योग के माध्यम से आर्थिक विकास का समर्थन करता है।
* सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान देता है।
* परिवहन के सरल, किफायती और टिकाऊ साधन का जश्न मनाता है।
पिछली बार की थीम "परिवहन के एक सरल, टिकाऊ, किफायती और विश्वसनीय साधन के रूप में साइकिल की विशिष्टता, बहुमुखी प्रतिभा और जीवन" रखी गई थी।
विश्व साइकिल दिवस 2025 की थीम के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोगों ने "बेहतर तरीके से पुनर्निर्माण" के प्रयासों के तहत साइकिल को एक स्वस्थ, हरित और किफायती परिवहन विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। हालांकि, पिछले वर्षों में, विश्व साइकिल दिवस की थीम इस बात पर केंद्रित रही है कि कैसे साइकिल को परिवहन, मनोरंजन और खेल के लिए बढ़ावा दिया जा सकता है।
उदाहरण के लिए
2021: "परिवहन के लिए साइकिल: एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य"।
2024: "साइकिल चलाना: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए"।
यह संभव है कि 2025 की थीम भी इन विषयों में से किसी एक पर केंद्रित हो या उससे संबंधित हो।
साइकिल का इतिहास:
साइकिल का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। यूरोपीय देशों में साइकिल का इस्तेमाल 18वीं शताब्दी के शुरुआत में होने लगा था। इसका निर्माण सन 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने किया था। उस समय साइकिल को "हॉबी हॉर्स" या काठ का घोड़ा कहा जाता था। लेकिन ये साइकिल आज की साइकिल की तरह नहीं थी। इसमें बड़े पहिए होते थे। इसके बाद पैर से घुमाने वाले पैडल युक्त पहिए का अविष्कार सन 1865 में पेरिस के एक कारीगर "लालेमेंट" ने किया था। इसके बाद आने वाले सालों में साइकिल में अनेकों बदलाव हुए और इन्हीं बदलावों के बाद छोटा, सस्ता और सुंदर डिजाइन तैयार किये गये, जिसे हम साइकिल कहते हैं।
भारत में साइकिल का इतिहास
भारत में साइकिल को आर्थिक तरक्की का प्रतीक माना जाता है। देश की आजादी के बाद से अगले कई सालों तक साइकिल देश की यातायात व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। शुरुआत में ये अमीरों की सवारी थी, लेकिन धीरे-धीरे से गरीबों की पहुंच में आ गई। भारत में 1960 से 1990 तक ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। मिल में काम करने वाले मजदूर से लेकर ऑफिस जाने वाले युवा और स्कूली छात्र छात्राएं साइकिल का इस्तेमाल करते थे। शहरों से गांव में पहुंची साइकिल अपने साथ आर्थिक तरक्की भी लेकर गई थी। भारत में साइकिल किसानों के लिए काफी मददगार साबित हुए। गांवों से शहर सामान की सप्लाई में साइकिल ने किसानों का काफी साथ दिया। मोटर बाइक के आम लोगों की पहुंच में आने से पहले तक साइकिल भारत की दिनचर्या का अहम हिस्सा थी। लेकिन धीरे-धीरे बाइक की रफ्तार ने साइकिल को पीछे छोड़ दिया।
इन दिनों साइकिल फिटनेस का अहम हिस्सा बन गई है। साइकिलिंग कई लोगों का पैशन है तो कई लोग सेहत को तंदुरुस्त रखने के लिए "जिम" में साइकिल चलाते हैं। भोपाल में महिलाओं का एक ग्रुप ऐसा है, जिनकी सुबह की शुरुआत साइकिलिंग की साथ होती है। इन महिलाओं की उम्र जानकर आप चौंक जाएंगे। ये सभी महिलाएं 40 साल से ज्यादा उम्र की हैं, लेकिन इनकी फिटनेस का राज है साइकिलिंग। महिलाओं के इस ग्रुप का नाम है "ऑफ रोड ग्रुप"। इस ग्रुप की सभी महिलाएं हर दिन सुबह होते ही साइकिलिंग पर निकल जाती है। इनमें से कुछ हाउस वाइफ हैं, तो कुछ वर्किंग वूमेन लेकिन साइकिल चलाना इन सबका शौक है।
बीमारी खत्म करने में सहायक हुई साईकिल
पेशे से रियल एस्टेट बिजनेस से जुड़े एक शख्स ऐसे भी हैं जिन्होंने साइकिल चलाकर अपनी शुगर की बीमारी को ही खत्म कर दिया। एक समय ऐसा था जब इनकी शुगर इतनी ज्यादा बढ़ी थी कि डॉक्टर ने साफ कर दिया था कि ये जिंदगीभर दवाई खाकर ही जिंदा रह सकते हैं। जानकार बताते हैं की इनकी शुगर इतनी ज्यादा हो जाती थी कि कई बार तो दवाइयों के नशे में बैठे-बैठे ही सो जाते थे। इसके अलावा बॉडी में कोलेस्ट्रॉल भी इतना बढ़ जाता कि चेहरे पर मुहासे ही मुहासे नजर आते थे। इसके बाद उन्होंने जिम भी ज्वॉइन की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर में उन्होंने साइकिलिंग की शुरुआत की। साइकिलिंग का चमत्कारी प्रभाव उन्हें अपने शरीर पर नजर आने लगा और धीरे-धीरे उन्होंने न सिर्फ अपने शरीर के शुगर लेवल को कंट्रोल कर लिया बल्कि शुगर की बीमारी को भी खत्म कर लिया।
साइकिल चलाने के फायदे
* रोज आधा घंटा साइकिल चलाने से खत्म होती है पेट की चर्बी।
* रोज आधा घंटा साइकिल चलाने से इम्युन सिस्टम स्ट्रांग रहता है।
* लगातार साइकिल चलाने से घुटने और जोड़ों के दर्द की समस्या नहीं होती।
* रोज आधा घंटा साइकिल चलाने से ब्रेन पावर भी बढ़ती है।
* साइकिल चलाने से ईधन की बचत और वातावरण स्वच्छ रहता है।
यूपी में फ्री साइकिल योजना: ऑनलाइन आवेदन
उत्तर प्रदेश राज्य में एक से बढ़कर एक कल्याणकारी योजनाओं की लगातार शुरुआत करने वाली योगी सरकार के द्वारा हाल ही में श्रमिकों और मजदूरों के लिए एक अन्य कल्याणकारी योजना को शुरू किया गया है। इस योजना का नाम सरकार के द्वारा "उत्तर प्रदेश फ्री साइकिल योजना" रखा गया है और जैसा कि योजना के नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि इस योजना के अंतर्गत फ्री साइकिल का वितरण लोगों को किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत मुख्य तौर पर मजदूरी करने वाले मजदूरों और श्रमिकों को शामिल किया गया है और उन्हें योजना के अंतर्गत साइकिल का वितरण बिल्कुल निःशुल्क किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि “यूपी फ्री साइकल योजना क्या है” और “फ्री साइकिल योजना" यूपी में आवेदन कैसे करें।”
यूपी फ्री साइकिल योजना
योजना का नाम: यूपी फ्री साइकिल योजना। साल 2023 उद्देश्य: मुफ्त साइकिल वितरित करना। राज्य: उत्तर प्रदेश, किसने घोषणा की: यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। लाभार्थी: उत्तर प्रदेश के मजदूर और श्रमिक।
हेल्पलाइन नंबर: 1800-180-5412
यूपी फ्री साइकिल योजना क्या है
सरकार के द्वारा समग्र उत्तर प्रदेश राज्य में इस योजना की शुरुआत कर दी गई है और इस प्रकार से अब योजना के लिए पात्रता रखने वाले व्यक्ति योजना में आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश मुफ्त साइकिल योजना के अंतर्गत यूपी सरकार के द्वारा मजदूरी करने वाले मजदूरों को फ्री में साइकिल दी जा रही है। सरकार ने कहा है कि वह इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य में शुरुआती चरण में तकरीबन 4,00,000 से भी अधिक लोगों को साइकिल प्रदान कर रही है। हालांकि योजना के तहत फ्री साइकिल ऐसे ही लोगों को वितरित की जा रही है, जिन्होंने इस योजना में ऑनलाइन आवेदन किया है। बिना आवेदन किए हुए कोई भी व्यक्ति योजना का लाभ प्राप्त करने का हकदार नहीं है। उत्तर प्रदेश राज्य में ऐसे मजदूरों की संख्या काफी अधिक है जो काम करने के लिए अपने घर से दूर की यात्रा करते हैं। ऐसी अवस्था में उन्हें यात्रा करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए सरकार ने योजना के अंतर्गत साइकिल के लिए ₹3000 की सब्सिडी अमाउंट के तहत 4 लाख साइकिल देने का निर्णय लिया है।
यूपी फ्री साइकिल योजना का उद्देश्य
सरकार के द्वारा उत्तर प्रदेश मे साइकिल योजना को कई कारणों से शुरू किया गया है। सरकार ने इस बात का अनुभव किया कि यूपी में काम करने वाले मजदूरों को अपने काम के स्थल पर जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। और कई मजदूरों के पास काम के स्थल पर पहुंचने के लिए उचित साधन उपलब्ध नहीं होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें अन्य साधनों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें साधन इस्तेमाल करने के बदले में भाड़ा भी देना होता है। इससे उनकी जेब पर भी आर्थिक बोझ बढ़ता है। इसलिए सरकार ने उत्तर प्रदेश निशुल्क साइकिल योजना को शुरू किया है, ताकि लाभार्थी व्यक्ति योजना के अंतर्गत प्राप्त साइकिल के द्वारा अपने कार्यस्थल पर पहुंच सके। इससे उसे थकान भी नहीं होती है और रोजाना काम के स्थल पर जाने आने के लिए जो भाड़ा खर्च होता था, वह भी बचता है।
यूपी फ्री साइकिल योजना के लिए पात्रता
* योजना में आवेदन करने वाले व्यक्ति की उम्र कम से कम 18 साल या फिर उससे अधिक होनी चाहिए।
* योजना में सिर्फ उत्तर प्रदेश के स्थाई निवासी व्यक्ति ही आवेदन कर सकते हैं।
* योजना का लाभ वही लोग ले सकते हैं, जो पिछले 6 महीने से किसी भी निर्माण स्थल पर काम कर रहे हैं।
* योजना में सिर्फ यूपी के श्रमिक और मजदूर ही आवेदन कर सकते हैं।
* योजना का लाभ पाने के लिए व्यक्ति को यह प्रमाणित करना होता है कि उसके काम का स्थल उसके घर से दूर है।
* जिस व्यक्ति के पास पहले से ही साइकिल मौजूद है वह योजना के अंतर्गत साइकिल पाने का हकदार नहीं होता है।
यूपी फ्री साइकिल योजना दस्तावेज
* आधार कार्ड की फोटोकॉपी
* राशन कार्ड की फोटो कॉपी
* वोटर आईडी कार्ड की फोटोकॉपी
* पासपोर्ट साइज की स्कैन की गई रंगीन फोटो * ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म
* फोन नंबर
* ईमेल आईडी
यूपी फ्री साइकिल योजना की आवेदन प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश फ्री साइकिल योजना में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया के तहत आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आपको उत्तर प्रदेश साइकिल योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। आधिकारिक वेबसाइट पर जाने के पश्चात आपको इस योजना का एप्लीकेशन फॉर्म सर्च करना है और प्राप्त हो जाने पर उसे डाउनलोड कर लेना है और उसका प्रिंट आउट निकाल लेना है। अब आपको एप्लीकेशन फॉर्म के अंदर दी गई जानकारियों जैसे आवेदक का नाम, आवेदक के माता/पिता का नाम, पूरा पता, जाति, धर्म, फोन नंबर, ईमेल आईडी, काम के संस्थान का नाम, घर से काम के स्थान की दूरी, आदि को उनकी निर्धारित जगह में दर्ज करना है। उपरोक्त जानकारियों को दर्ज करने के पश्चात आपको अपने साथ लाए हुए सभी आवश्यक दस्तावेज की फोटो कॉपी को भी इसी एप्लीकेशन फॉर्म के साथ अटैच करना है।
अब आपको एप्लीकेशन फॉर्म के अंदर निश्चित जगह में अपने सिग्नेचर करने है या फिर अंगूठे का निशान लगाना है। अब आपको तैयार एप्लीकेशन फॉर्म को संबंधित डिपार्टमेंट में ले जाकर जमा कर देना है। अब संबंधित डिपार्टमेंट के द्वारा आपके एप्लीकेशन फॉर्म की जांच की जाएगी और अगर सब कुछ सही पाया जाता है तो आपका नाम इस योजना में शामिल कर दिया जाएगा। उसके बाद जब सरकार के द्वारा लाभार्थियों को साइकिल का वितरण किया जाएगा तो आपको योजना के अंतर्गत फ्री साइकिल मिलेगी।
यूपी फ्री साइकिल योजना हेल्पलाइन नंबर
सरकार ने योजना से संबंधित हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है, ताकि जो लोग इस योजना के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं। अथवा योजना से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत को दर्ज करवाना चाहते हैं वह इस 1800-180-5412 टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).