
मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनियों के माध्यम से समूहों की महिलाएं बन रही हैं लखपति दीदी
दया शंकर चौधरी
दुग्ध क्षेत्र में नया कीर्तिमान : 2.64 लाख महिला किसान जुड़ीं, प्रतिदिन 7.10 लाख लीटर दूध का संग्रहण
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कुशल मार्गदर्शन में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं, महिला सशक्तीकरण व स्वावलंबन की राह को तेजी के साथ आसान कर रही हैं। मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनियों के माध्यम से महिलाएं अनवरत रूप से अपनी आय में इजाफा करते हुए लखपति दीदी की श्रेणी में पहुंच रही हैं।उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण आजीविका को नई दिशा देते हुए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित पाँच मिल्क प्रोड्यूसर कंपनियों ने दुग्ध क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।
मिल्क वैल्यू चैन अंतर्गत बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी बुंदेलखंड क्षेत्र, सामर्थ्य मिल्क प्रोडूसर कंपनी के तहत जनपद रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, अयोध्या, कानपुर नगर एवं अमेठी में, काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी के अंतर्गत जनपद बलिया, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, चंदौली एवं वाराणसी तथा संत रविदासनगर में, श्री बाबा गोरखनाथ कृपा मिल्क प्रोडूसर कंपनी के अन्तर्गत गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर एवं देवरिया में तथा सृजनी मिल्क प्रोडूसर कंपनी द्वारा बरेली, पीलीभीत, सीतापुर, लखीमपुर खीरी शाहजहांपुर एवं रामपुर मे समूहों की महिलाओ द्वारा दुग्ध संग्रहण का कार्य किया जा रहा है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के 31 जनपदों के 4961 ग्रामों में इन कंपनियों के माध्यम से अब तक करीब 2.64 लाख महिला दुग्ध किसान सीधे लाभान्वित हो रही हैं।नतीजा है कि समूहों की लगभग 30 हजार महिलाएं प्रोड्यूसर कम्पनियों के जरिए लखपति दीदी की श्रेणी में पहुंच चुकी हैं। इन महिला किसानों द्वारा प्रतिदिन 7.10 लाख लीटर दुग्ध का संग्रहण किया जा रहा है, जिसे कंपनियाँ बाजार में बेच रही हैं। इस संगठित व्यवस्था से न केवल महिलाओं की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि उन्हें उचित मूल्य भी सुनिश्चित किया जा रहा है।
अब तक इन कंपनियों द्वारा महिला किसानों को रू 2632.21 करोड़ से अधिक की धनराशि का भुगतान किया जा चुका है, जो इस पहल की सफलता और प्रभावशीलता को दर्शाता है। यह मॉडल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और दुग्ध उत्पादन को व्यावसायिक दृष्टिकोण से विकसित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
यह प्रयास महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान कर रहा है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती दीपा रंजन ने बताया कि आने वाले वर्षों में और अधिक ग्राम पंचायतों को इस योजना से जोड़ा जाएगा, जिससे लाखों महिलाओं को सतत् आय का साधन मिल सकेगा।
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