
25 मई से 25 जून तक कृषि विभाग चला रहा बीज शोधन अभियान
दया शंकर चौधरी
स्वस्थ बीज से होगी किसानों की समृद्धि- सूर्य प्रताप शाही
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के 01 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी का लक्ष्य प्राप्त करने में यहां के कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका है। प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि में फसलोत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका है। फसलों को कीट, रोग, खरपतवारों तथा चूहों आदि के नुकसान से बचाने के लिए योगी सरकार द्वारा बीज शोधन अभियान व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है।
यह जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में खरपतवारों के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों द्वारा होती है। महंगे रसायनों के प्रयोग से कृषि लागत में वृद्धि होती है और समय से रोग की रोकथाम न होने से उत्पादन एवं उत्पादित फसल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उत्पादन में बीज जनित रोगों से बचाव हेतु बीज शोधन तकनीक का अत्यधिक महत्व है। इसे बीज का टीका भी कहते है। जिससे फसलो में भविष्य में जीवाणु तथा कवकों आदि से होने वाले रोगों का बचाव किया जाता है। इसके निवारण हेतु प्रदेश के सभी जनपदों में 25 मई से 25 जून तक बीज शोधन अभियान आयोजित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत बीज शोधन के महत्व की जानकारी देकर कृषकों को शत-प्रतिशत बीज शोधन हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बीज शोधन की विधि एवं तकनीक तथा इससे होने वाले लाभ एव सावधानियाँँ सम्मलित है। बीज शोधन रसायन हेतु 2.5 ग्राम उपयुक्त रसायन, जैसे 2.5 ग्राम थीरम या 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू०पी० प्रति किलोग्राम बीज अथवा ट्राइकोडर्मा 5.0 ग्राम, प्रति किलोग्राम बीज की दर से एवं थोड़ी मात्रा में पानी (जिससे रसायन ठीक प्रकार से बीज पर चिपक जायें) को एक घड़े में डालें। घड़े के मुंह को किसी साफ़ कपडे़ अथवा पालीथिन से ढक या बांध लें, जिससे बीज एवं रसायन मिलते समय बाहर न गिरे। इसके बाद घड़े को सावधानी से पकड़ कर 5-7 मिनट तक धीरे-धीरे हिलाएं तथा बीज और रसायन को मिला लें। जब बीज पर रसायन का भली भांति चिपक जाएँ तो कपड़ा अथवा पालीथिन को हटाकर बीज को जूट/अथवा प्लास्टिक के बोरे पर निकाल लें। इसके बाद शोधित बीज को साफ फर्श पर रखकर 8-10 घंटे के लिए बोरे से ढक दें तथा इसके बाद इसे सूख जाने पर इस बीज का प्रयोग बुवाई हेतु करें। इससे बीज के आस-पास की भूमि में मौजूद रोग कारकों को नष्ट कर देता है, जिससे बीज जमने उपरांत पौधा स्वस्थ होता है।
उन्होंने कहा कि बीज शोधन में रसायन की कम मात्रा के प्रयुक्त होने से पर्यावरण को कम नुकसान होता है। बीज का जमाव अच्छा व समान प्रकार से होता है और बीज अंकुरण की संख्या में इजाफा होता है। बीज जनित रोग के प्रकोप की आशंका कम हो जाती हैं जिससे फसल मजबूत व स्वस्थ होती है और उत्पादन में वृद्धि होती है तथा कृषकों को प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक लाभ होता है।
शाही ने बताया कि बीज शोधन के अभियान में ग्राम स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों, बीजशोधन रसायन निर्माण कम्पनियों के प्रतिनिधि, एग्रीजक्शन तथा अन्य विशेषज्ञों का पूर्ण सहयोग लिया जा रहा है। कृषकों को सरकार की योजना विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों योजना कीट/रोग नियंत्रण योजना के द्वारा बीज शोधक रसायन पर 75 प्रतिशत अनुदान प्राविधानित है। उन्हांने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि खरीफ 2025 में फसलों की बुआई बीज शोधन (बीज में टीका) करने के उपरान्त ही करें और अपने खेत से रोग मुक्त स्वस्थ एवं गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त करें।
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