
आपातकाल की काली यादें आज भी जिंदा हैं, देश फिर उसी मोड़ पर खड़ा है: अनीस मंसूरी
दया शंकर चौधरी
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा है कि 25-26 जून 1975 की रात को देश के लोकतांत्रिक इतिहास में काला अध्याय कहा जाना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। इमरजेंसी के दौरान जिस तरह संविधान को कुचला गया, आमजन के अधिकारों को छीन लिया गया और विपक्ष को जेलों में ठूंसा गया, वह आज भी रोंगटे खड़े कर देता है।
उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जिस प्रकार जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव, राजनारायण जैसे नेताओं ने लोकतंत्र के लिए बलिदान दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। विशेष रूप से अखिलेश यादव द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान देने का काम, और जेपीएनआईसी जैसे केंद्र की स्थापना, युवाओं को सही इतिहास से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि आज जो माहौल बन रहा है, वह इमरजेंसी से कम नहीं है। संविधान की आत्मा को कुचलने, संस्थाओं को पंगु बनाने, अल्पसंख्यकों को डराने, और पसमांदा समाज को हाशिए पर रखने की साजिशें खुलकर सामने हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार लोकतंत्र की जगह तानाशाही और ‘बुलडोजर नीति’ को बढ़ावा दे रही है।
अनीस मंसूरी ने यह भी कहा कि पसमांदा समाज को समाजवादी आंदोलन की विरासत पर गर्व है और अब फिर से लोकतंत्र की रक्षा के लिए हम सबको एकजुट होकर खड़ा होना होगा। उन्होंने संविधान की रक्षा और जन-अधिकारों की बहाली के लिए एक सतत जन-जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अंत में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश फिर एक बार लोकतंत्र की लड़ाई में अगुवाई करने जा रहा है, और समाजवादी पार्टी तथा अखिलेश यादव की नेतृत्व क्षमता इस संघर्ष को नई दिशा दे रही है।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).