
आंध्र प्रदेश में 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
दया शंकर चौधरी
आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, मेरे परम मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी, के. राममोहन नायडू जी, प्रतापराव जाधव जी, चंद्रशेखर जी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा जी, राज्य के डिप्टी सीएम पवन कल्याण गारू, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आप सबको नमस्कार!
देश और दुनियाभर के सभी लोगों को इंटरनेशनल योग डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज 11वीं बार पूरा विश्व 21 जून को एक साथ योग कर रहा है। योग का सीधा-साधा अर्थ होता है जुड़ना और ये देखना सुखद है कि कैसे योग ने पूरे विश्व को जोड़ा है। मैं बीते एक दशक में योग की यात्रा को जब देखता हूं, तो बहुत कुछ याद आता है। वो दिन जब संयुक्त राष्ट्र में भारत ने प्रस्ताव रखा कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिले और तब कम से कम समय में दुनिया के 175 देश हमारे इस प्रस्ताव के साथ खड़े हुए। आज की दुनिया में ऐसी एकजुटता, ऐसा समर्थन सामान्य घटना नहीं है। ये सिर्फ एक प्रस्ताव का समर्थन भर नहीं था, ये मानवता के भले के लिए दुनिया का सामूहिक प्रयास था। आज 11 साल बाद, हम देख रहे हैं कि योग दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बन चुका है। मुझे गर्व होता है, जब मैं देखता हूँ कि हमारे दिव्यांग साथी ब्रेल में योग शास्त्र पढ़ते हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग करते हैं, गांव-गांव में युवा साथी योग ओलंपियाड में भाग लेते हैं। यहां सामने देखिये, ये नेवी के सभी जहाजों में भी अभी बहुत शानदार योगा कार्यक्रम चल रहा है। चाहे सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियाँ हों, या एवरेस्ट की चोटी हो, या फिर समंदर का विस्तार हो, हर जगह से एक ही संदेश आता है— योग सभी का है, और सभी के लिए है। योग सभी के लिए है, सीमाओं से परे, पृष्ठभूमि से परे, उम्र या क्षमता से परे।
साथियों,
आज मुझे इस बात की खुशी है कि हम सभी विशाखापट्टनम में हैं। ये शहर प्रकृति और प्रगति, दोनों की संगम स्थली है। यहां के लोगों ने इतना अच्छा आयोजन किया है। मैं चंद्रबाबू नायडू गारु और पवन कल्याण गारू को बधाई देता हूं, आपके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश ने योगांध्रा अभियान का एक शानदार initiative लिया। मैं विशेष तौर पर नारा लोकेश गारू के प्रयासों की भी विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं। योग का सोशल सेलिब्रेशन कैसे होना चाहिए, समाज के हर वर्ग को कैसे जोड़ना चाहिए, ये उन्होंने बीते एक डेढ़ महीने के इस योगांध्रा अभियान में करके दिखाया है, और इसके लिए भाई लोकेश अनेक अनेक बधाई के पात्र हैं। और मैं तो देशवासियों को भी कहूंगा कि ऐसे अवसरों को आप किस प्रकार से सामाजिक स्तर पर गहराई से ले जाया जा सकता है, भाई लोकेश ने जो काम किया है, उसको एक नमूने के रूप में देखना चाहिए।
साथियों,
मुझे बताया गया है कि योगांध्रा अभियान से दो करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पब्लिक पार्टिसिपेशन की यही वो स्पिरिट है, जो विकसित भारत का मुख्य आधार है। जब जनता खुद आगे बढ़कर किसी मुहिम को थाम लेती है, किसी लक्ष्य को Own कर लेती है, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति से हमें कोई रोक नहीं पाता। जनता-जनार्दन की ये सद-इच्छा औऱ आपके प्रयास यहां इस आयोजन में हर तरफ नजर आ रहे हैं।
मित्रों, इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय है 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग'। यह विषय एक गहरी सच्चाई को दर्शाता है। पृथ्वी पर प्रत्येक इकाई का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा हुआ है। मानव कल्याण उस मिट्टी के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है जो हमारे लिए भोजन उगाती है, उन नदियों पर जो हमें पानी देती हैं, उन जानवरों के स्वास्थ्य पर जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को साझा करते हैं, उन पौधों पर जो हमें पोषण देते हैं। योग हमें इस परस्पर जुड़ाव के प्रति जागरूक करता है। योग हमें दुनिया के साथ एकता की यात्रा पर ले जाता है। यह हमें सिखाता है कि हम अलग-थलग व्यक्ति नहीं हैं बल्कि प्रकृति का हिस्सा हैं। शुरुआत में हम अपने स्वास्थ्य और कल्याण का अच्छे से ख्याल रखना सीखते हैं। धीरे-धीरे हमारी देखभाल और चिंता हमारे पर्यावरण, समाज और ग्रह तक फैल जाती है। योग एक महान व्यक्तिगत अनुशासन है। साथ ही, यह एक ऐसी प्रणाली है जो हमें मैं से हम की ओर ले जाती है।
साथियों,
"मैं से हम की ओर" का ये भाव ही भारत की आत्मा का सार है। जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है। भारत की संस्कृति हमें सिखाती है, सर्वे भवन्तु सुखिनः, यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। ‘मैं’ से ‘हम’ की ये यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। यही सोच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।
साथियों,
दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है। योग वह विराम बटन है जिसकी मानवता को संपूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए संतुलन हेतु सांस लेने हेतु आवश्यकता है।
मैं विश्व समुदाय से आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक आग्रह करूंगा। आइए इस योग दिवस को मानवता के लिए योग 2.O की शुरुआत का प्रतीक बनाएं, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाएगी। न रहे, बल्कि वैश्विक साझेदारी का माध्यम बने। जहां हर देश, हर समाज, योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। जहां हम मिलकर एक शांत, संतुलित और मानसिक स्वास्थ्य विश्व को गति दें। जहां योग, विश्व को टकराव से सहयोग, और तनाव से समाधान की ओर ले जाए।
साथियों,
विश्व में योग के प्रसार के लिए भारत, योग की साइंस को आधुनिक रिसर्च से और अधिक सशक्त कर रहा है। देश के बड़े-बड़े मेडिकल संस्थान योग पर रिसर्च में जुटे हैं। योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान मिले, ये हमारा प्रयास है। हम देश के मेडिकल और रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स में, योगा के क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड थेरेपी को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दिशा में दिल्ली के एम्स ने भी बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। एम्स की रिसर्च में सामने आया है कि योग की Cardiac और न्यूरोलॉजी डिस्ऑर्डर्स के उपचार और वूमन हेल्थ और मानसिक स्वास्थ्य में अहम भूमिका है।
साथियों,
राष्ट्रीय आयुष मिशन के ज़रिए भी योग और वेलनेस के मंत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। योग पोर्टल और योग आंध्रा पोर्टल के ज़रिए, देशभर में 10 लाख से अधिक इवेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। आज देश के कोने-कोने में इतनी सारी जगहों पर आयोजन हो रहे हैं। ये भी दिखाता है कि योग का दायरा कितना ज्यादा बढ़ रहा है।
साथियों,
हम सभी जानते हैं, आज हील इन इंडिया का मंत्र भी दुनिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। भारत-दुनिया के लिए हीलिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा है। योग की इसमें भी बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि योग के लिए Common Yoga Protocol बनाया गया है। Yoga Certification Board के साढ़े छह लाख से अधिक trained वॉलंटियर्स, करीब 130 मान्यता प्राप्त संस्थान और मेडिकल कॉलेजों में 10 दिन का योग मॉड्यूल, ऐसे अनेक प्रयास, एक होलिस्टिक इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। देशभर में हमारे जो आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, वहां trained योग टीचर तैनात किए जा रहे हैं। दुनियाभर के लोगों को भारत के इस वेलनेस इकोसिस्टम का फायदा मिले, इसलिए विशेष ई-आयुष वीज़ा दिए जा रहे हैं।
साथियों,
आज योग दिवस पर मैं ओबेसिटी की तरफ भी फिर से सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। बढ़ती ओबेसिटी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा चैलेंज है। मैंने मन की बात कार्यक्रम में भी, इस पर विस्तार से चर्चा की थी। इसके लिए अपने खान-पान में 10 परसेंट ऑयल कम करने का चैलेंज भी शुरु किया था। मैं एक बार फिर देशवासियों से, दुनियाभर के लोगों को इस चैलेंज से जुड़ने का आह्वान करता हूं। अपने खाने में कैसे हम कम से कम 10 परसेंट ऑयल कंजम्शन कम करें, इसके लिए जागरूकता फैलानी है। ऑयल की खपत कम करना, unhealthy diet से बचना और योग करना, ये बेहतर फिटनेस की जड़ी बूटी है।
साथियों,
आइए, हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन दोलन बनाएं। एक ऐसा आंदोलन, जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए। जहां हर व्यक्ति दिन की शुरुआत योग से करे और जीवन में संतुलन पाए। जहां हर समाज योग से जुड़े और तनाव से मुक्त हो। जहां योग मानवता को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बने। और जहां एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ एक वैश्विक संकल्प बन जाए। एक बार फिर आंध्र के नेतृत्व को बधाई देते हुए, आंध्र के लोगों को बधाई देते हुए और विश्वभर में फैले हुए योग चिकित्सकों और योग प्रेमियों को बधाई देते हुए, आप सबको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!
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