
खरीफ मौसम में निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने हेतु कृषि निदेशक ने की विभागीय समीक्षा बैठक
दया शंकर चौधरी
किसानों से उच्च जीएसवीए वाली फसलों पर जोर देने का आग्रह
लखनऊ। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि और खरीफ मौसम में निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने हेतु, कृषि निदेशक की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश के सभी मंडलों के संयुक्त कृषि निदेशक और सभी जनपदीय उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, सहायक निदेशक मृदा परीक्षण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि निवेश की व्यवस्था और योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा की, ताकि किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत तकनीक और अनुदान का लाभ समय पर मिल सके और प्रदेश कृषि उत्पादन में नए कीर्तिमान स्थापित कर सके।
प्रधानमंत्री के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने के लक्ष्य को साकार करने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि क्षेत्र प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी को रोज़गार प्रदान करता है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देता है।
कृषि क्षेत्र के इस 20 प्रतिशत योगदान में, फसल उत्पादन का योगदान 9.3 प्रतिशत है। जहाँ धान और गेहूँ जैसी खाद्यान्न फसलों का योगदान अधिक है, वहीं प्रति इकाई ग्रॉस स्टेट वैल्यू एडेड (जीएसवीए) इनका अपेक्षाकृत कम है। इसके विपरीत, गन्ना, मक्का, दलहनी फसलें (जैसे उड़द, मूंग, अरहर) और तिलहनी फसलें (जैसे मूँगफली, तिल) जैसी फसलों का जीएसवीए अपेक्षाकृत अधिक है। उच्च जीएसवीए वाली फसलें प्रति इकाई कम उत्पादन क्षेत्र में भी अधिकतम उत्पादकता देती हैं। साथ ही, प्रसंस्करण के बाद ये उच्चतम विपणन मूल्य उत्पन्न करती हैं, जिससे राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए किसानों को अधिकतम जीएसवीए वाली फसलों का चुनाव करना चाहिए और प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। सरकार विभिन्न योजनाओं जैसे त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम, नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन मिशन ऑन एडिबल ऑइल, और नेचुरल फार्मिंग के माध्यम से इन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहन और अनुदान दे रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को उत्पादन तकनीकों के अतिरिक्त प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। किसानों से अनुरोध है कि वे इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी उत्पादकता और लाभ में वृद्धि करें तथा प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग करें।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).