
कानूनी सहायता के माध्यम से प्रजनन स्वायत्तता में बाधाओं को दूर करना विषय पर संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित
* सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन
* महिलाओं की न्यायिक सुरक्षा और प्रजनन स्वायत्तता पर हुई गहन चर्चा
* ‘न्याय मार्ग’ एआई चैटबॉट का शुभारंभ, विधिक सहायता को बनाया गया डिजिटल रूप से सुलभ
* हर महिला को यह विश्वास होना चाहिए कि न्याय व्यवस्था उसके साथ है - न्यायमूर्ति सूर्य कांत
* किसी समुदाय की प्रगति उसकी महिलाओं की प्रगति से आँकी जाती है - न्यायमूर्ति विक्रम नाथ
* ‘न्याय मार्ग’ चैटबॉट न्याय तक पहुँच सुदृढ़ करने की दिशा में अहम कदम - न्यायमूर्ति अरुण भंसाली
* डिजिटल माध्यमों से विधिक सहायता को और अधिक प्रभावी बनाने पर दिया बल - न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता
* न्याय केवल निर्णयों में नहीं, संवेदनाओं में भी निहित है - न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी
* तकनीकी सत्र में NIMHANS, NHM, AALI और वात्सल्या के विशेषज्ञों ने रखे विचार
* अनिच्छित मातृत्व, मनोवैज्ञानिक सहयोग और विधिक सहायता पर हुई विस्तृत चर्चा
* कार्यक्रम में बलात्कार पीड़िताओं के पुनर्वास, न्यायिक सहयोग और समाजिक संवेदनशीलता पर दिया गया बल
* एक उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के नवनिर्मित सभागार ‘स्पंदन’ का हुआ उद्घाटन
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (UPSLSA) द्वारा आज न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (JTRI), लखनऊ में “कानूनी सहायता के माध्यम से प्रजनन स्वायत्तता में बाधाओं को दूर करना” विषय पर एक संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्तियों की गौरवमयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा किया गया। माननीय न्यायमूर्ति श्री विक्रम नाथ, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा में वृद्धि की। यह समारोह न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण; न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, वरिष्ठ न्यायाधीश इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण; न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, इलाहाबाद; तथा न्यायमूर्ति राजन रॉय, अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, लखनऊ पीठ की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय, मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों, प्रत्येक महिला यह आत्मविश्वास पाने की अधिकारी है कि न्याय व्यवस्था उसके साथ दृढ़ता से खड़ी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों की सराहना करते हुए एआई चैटबॉट “न्याय मार्ग”के शुभारंभ पर बधाई दी तथा कहा कि यह प्रयास लाभार्थियों और उनके अधिकारों के बीच की दूरी को पाटेगा। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 39(A) में निहित राज्य के कर्तव्य की भी स्मृति दिलाई। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा कही गई यह उक्ति उद्धृत की —“मैं किसी समुदाय की प्रगति को उसकी महिलाओं ने जितनी प्रगति प्राप्त की है, उससे मापता हूँ।” उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति का उल्लेख किया तथा “संकल्प” कार्यक्रम जैसे प्रयासों की सराहना की, जो प्रजनन स्वायत्तता से जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता को बढ़ावा देते हैं। न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा कि यह कार्यक्रम तथा न्याय मार्ग चैटबॉट न्याय तक पहुंच को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने सभी गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों का उल्लेख किया तथा डिजिटल माध्यमों द्वारा विधिक सहायता को अधिक सुलभ एवं प्रभावी बनाने पर बल दिया। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि बलात्कार पीड़िताओं, विशेषकर नाबालिगों, को न केवल हिंसा का आघात झेलना पड़ता है, बल्कि अनचाही गर्भावस्था, सामाजिक कलंक एवं भावनात्मक तनाव का बोझ भी उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि न्याय केवल निर्णयों में ही नहीं, बल्कि उन संवेदनाओं में निहित है जिनसे हम असहाय अवस्था में हमारे पास आने वालों को संभालते हैं। इसके उपरांत न्यायमूर्ति राजन रॉय ने उद्घाटन सत्र का औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता न्यायमूर्ति अजय भानोट, न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति द्वारा की गई। कार्यक्रम में NIMHANS, NHM, AALI, एवं वात्सल्या जैसी संस्थाओं के विशेषज्ञों ने अनिच्छित मातृत्व में मनोवैज्ञानिक सहारा, पुलिस-चिकित्सा-न्यायालय समन्वय, प्रजनन निर्णयों में विधिक सहायता की भूमिका एवं MTP अधिनियम के चिकित्सीय एवं विधिक आयामों पर विस्तृत विमर्श किया
कार्यक्रम की चर्चाएँ समयबद्ध चिकित्सीय सहायता, संवेदनशील विधिक सहयोग एवं सामाजिक बाधाओं को दूर करने पर केंद्रित रहीं। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय, गोमती नगर विस्तार, लखनऊ स्थित नव-निर्मित ऑडिटोरियम “स्पंदन”का उद्घाटन न्यायमूर्ति सूर्य कांत न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा किया गया। यह अत्याधुनिक सभागार प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सम्मेलन एवं जन-जागरूकता अभियानों हेतु निर्मित है। अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए डॉ. (श्रीमती) मनु कालिया, सदस्य सचिव, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सभी न्यायाधीशों, विशेषज्ञों, अधिकारियों, विधिक स्वयंसेवकों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।





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