
आरबीआई ने ब्याज दरों में लगातार 11वीं बार नहीं किया कोई बदलाव
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक में एक बार फिर आम आदमी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में हुए फैसलों को गवर्नर ने आज शुक्रवार को जनता के सामने रखा पिछली 10 बार की बैठकों से अपरिवर्तित रहे रेपो रेट पर इस बार भी कोई फैसला नहीं हुआ, गवर्नर ने सारा जोर महंगाई को काबू करने पर दिया और अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कैश रिजर्व रेशियो 0.50 फीसदी घटा दिया है, जो अब 4 फीसदी हो गया।
रिजर्व बैंक की यह 11वीं एमपीसी बैठक रही जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया और एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों ने इसे एक बार फिर 6.30 फीसदी पर बरकरार रखने के पक्ष में वोट किया है इसका मतलब है कि आम आदमी के कर्ज में कोई राहत नहीं मिलेगी और ईएमआई ज्यों की त्यों बनी रहेगी। पिछले महीने जारी हुए विकास दर के आंकड़े देखने के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार की एमपीसी बैठक में सीआरआर में कटौती पर फैसला हो सकता है। गवर्नर ने ऐसा ही किया और सीआरआर को 4.5 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है इससे बैंकों के पास 1.20 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त होंगे, जिसका इस्तेमाल लोन बांटने में किया जा सकेगा।
अभी सिर्फ महंगाई पर जोर
एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने कहा कि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन देश की ग्रोथ रेट भी जरूरी है। लिहाजा एमपीसी ने अपने नजरिये को अब न्यूट्रल बना लिया है, जिसका मतलब है कि जैसा आगे माहौल होगा, उसी के हिसाब से रेपो रेट या फिर बैंकों के लोन रेट में कटौती की जाएगी। गवर्नर ने चिंता जताई कि तीसरी तिमाही में भी महंगाई से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही और चौथी तिमाही से ही जाकर इसमें कुछ नरमी आएगी।
सीआरआर घटाने से क्या फायदा
आरबीआई ने सीआरआर को 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.5 प्रतिशत घटा दिया है इससे बैंकिंग सिस्टम में 1.1 लाख करोड़ से 1.2 लाख करोड़ रुपये तक की धनराशि फ्री हो गई है इसका मतलब है कि बैंकों को अपने रिजर्व में रखने वाली राशि का इतना हिस्सा बतौर लोन खर्च करने को मिलेगा इसका फायदा सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था होगा, क्योंकि ज्यादा लोन बांटे जाने का मतलब है कि खपत को भी बढ़ावा मिलेगा जो मैन्युफैक्चरिंग में तेजी लाएगा और इस तरह पूरी अर्थव्यवस्था का पहिया तेजी से घूमने लगेगा।
घटाना पड़ा विकास दर का अनुमान
रिजर्व बैंक को मौजूदा हालात देखते हुए महंगाई के दबाव में आकर विकास दर के अनुमान को भी घटाना पड़ा है। चालू वित्तवर्ष के लिए पहले जहां 7.2 फीसदी विकास दर बताई थी, उसे अब घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है इसी तरह, अगले वित्तवर्ष यानी 2026 की पहली तिमाही की विकास दर के अनुमान को भी 7.3 से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है, लेकिन दूसरी तिमाही के अनुमान को 7.3 फीसदी पर ही बरकरार रखा है।
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