
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं रेशम विभाग के बीच हुआ एमओयू
दया शंकर चौधरी
* अगले पांच वर्षों में 5000 महिला समूहों की 50,000 सदस्यों को रेशम उत्पादन एवं उद्योग से जोड़ा जाएगा
* उप मुख्यमंत्री ने ‘रेशम सखियों’ के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने के दिए निर्देश
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रेशम उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं रेशम विभाग के बीच एमओयू साइन किया गया। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमतीनगर में आयोजित इस कार्यक्रम में समझौते के तहत अगले पांच वर्षों में 5000 महिला समूहों की 50,000 सदस्यों को रेशम उत्पादन एवं उद्योग से जोड़ा जाएगा। इस दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रेशम स्टाल का निरीक्षण किया और ‘रेशम सखियों’ के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने के निर्देश दिए।
प्रदेश में रेशम का वार्षिक उत्पादन 400 मीट्रिक टन है, जबकि खपत 3,500 मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है। सबसे अधिक रेशम की मांग प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में है, जहां इसे मुख्यमंत्री की ओडीओपी योजना के तहत भी शामिल किया गया है। राज्य को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस वर्ष "मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना" प्रारंभ की गई है। पिछले 10 वर्षों में रेशम के निर्यात में 28 गुना वृद्धि हुई है, और यह योजना प्रदेश में रेशम उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगी।
निदेशक, रेशम विभाग ने जानकारी दी कि अब तक 1050 महिला समूहों को रेशम उत्पादन से जोड़ा जा चुका है। प्रत्येक ब्लॉक में ‘रेशम सखियों’ और ब्लॉक मिशन मैनेजरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, कपड़ा बुनाई और तैयार उत्पादों की बिक्री में दक्षता प्रदान करने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
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