पहले भारत और अब हिंदू...सामने आया जस्टिन ट्रूडो का खतरनाक प्लान
नई दिल्ली। भारत और कनाडा के रिश्ते अब बिगड़ चुके हैं सत्ता के नशे में चूर जस्टिन ट्रूडो ने भारत-कनाडा संबंधों की कब्र खोद दी है। अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं किसी तरह उनकी कुर्सी बची रहे, इसके लिए वह खालिस्तानियों की गोद में बैठ चुके हैं। खालिस्तानियों के इशारों पर नाचने भी लगे हैं यही वजह है कि आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाकर वह खालिस्तानियों को खुश कर रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो अब अपना सियासी वजूद बचाने के लिए खालिस्तान समर्थक नेता जगमीत सिंह की राह पर चलने को तैयार हैं पहले भारत को बदनाम किया और अब वह खालिस्तानियों का वोट पाने के लिए कनाडा में रहने वाले हिंदुओं को निशाना बना सकते हैं।
कनाडा के बेतुके आरोपों के बाद भारत ने सख्ती दिखाई है। भारत ने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा समेत छह भारतीय राजनयिकों को वापस बुला लिया है। माना जा रहा है कि सीक्रेट तरीके से और अलग-अलग उड़ानों से वे शनिवार तक दिल्ली पहुंच जाएंगे हालांकि, कनाडा में अब भी भारत के कुछ राजनियक बने रहेंगे, रिश्ते बिगड़ने से पहले तक कनाडा की राजधानी ओटावा में भारत के 12 राजनियक थे वहीं, भारत ने कनाडा के 6 राजनियिकों को निकाल दिया था और शनिवार दोपरह तक भारत छोड़ने को कहा है भारत में अब भी तक 62 राजनियक थे अब कुछ ही रहेंगे।
ट्रूडो ने रिश्तों में जहर घोला
जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई वाली कनाडा सरकार ने संबंधों की तिलांजली दे दी है चाहे कुछ भी हो जाए, भारत और कनाडा के बीच अब तक राजनियकों को निशाना नहीं बनाने की मौखिक परंपरा थी मगर कनाडा सरकार ने इस परंपरा को तोड़ दिया है। खालिस्तानियों की गोद में बैठे जस्टिन ट्रूडो अपने अस्तित्व बचाने के लिए जगमीत सिंह की राह पर चलने को तैयार हैं जस्टिन ट्रूडो जगमीत सिंह की पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ लिए कनाडाई हिंदुओं को निशाना बनाएंगे वह यह परसेप्शन बनाएंगे कि कनाडा में रहने वाले हिंदू, सिखों और मुस्लिम दोनों के विरोधी हैं। जस्टिन ट्रूडो अब भारत के खिलाफ लामबंदी में जुटे हैं यही वजह है कि वह आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत को निशाना बनाने के लिए कनाडा के अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन मांगने वाले हैं ब्रिटेन से भी उन्होंने भारत की शिकायत की है।
क्या है ट्रूडो का खतरनाक प्लान
रिपोर्ट के मुताबिक, अपने कट्टर सिख समर्थकों पर मेहरबान दिखने वाले जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ डिप्लोमेटिक वॉर पर फाइव आईज अलायंस को जानकारी देकर एंग्लो-सैक्सन पश्चिम का समर्थन भी मांगा है। दावा यह भी किया गया है कि पर्दे के पीछे से पाकिस्तान और उसका गुप्त तंत्र नेशनल काउंसिल ऑफ कैनेडियन मुस्लिम के जरिए भारत और कनाडा के संबंधों में दरार पैदा करने के लिए काम कर रहे हैं। कनाडा के जानकारों का कहना है कि अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए ट्रूडो आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर मामले में भारत को फंसाने के लिए विदेशी हस्तक्षेप आयोग और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) का इस्तेमाल करेंगे।
ट्रूडो की कनाडा में ही खुली पोल
हालांकि, जस्टिन ट्रूडो के दावों की पोल कनाडा में ही खुलती दिख रही है। जस्टिन ट्रूडो दावा करते हैं कि निज्जर हत्याकांड में उनके पास सबूत हैं मगर भारत के बार-बार मांगने के बाद भी वह सूबत नहीं दे पाए हैं वजह यह कि रॉयल माउंटेड कैनेडियन पुलिस ने भी अब तक इस केस में चार्जशीट दायर नहीं की है। कनाडा सरकार ने अब तक दुनिया के सामने निज्जर हत्या में भारतीय के शामिल होने का सबूत नहीं दिया है आरसीएमपी ने निज्जर हत्या मामले में अभी तक चार्जशीट भी दाखिल नहीं की है, मगर ट्रूडो ने अपने खालिस्तान समर्थक सिख वोट के लिए पिछले साल 18 सितंबर को कनाडा की संसद में भारत को दोषी घोषित कर दिया था।
क्यों बौखलाए हैं ट्रूडो?
जस्टिन ट्रूडो अपनी घटती लोकप्रियता से बौखला गए हैं कई सर्वे में अगली बार उनकी सरकार बनती भी नहीं दिख रही इसलिए वह चुनाव जीतने के लिए हर तिकड़म अपना रहे हैं वह खालिस्तान समर्थकों का वोट पाकर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि ट्रूडो को अपनी सरकार बचाने के लिए एनडीपी नेता जगमीत सिंह के समर्थन की जरूरत है और वह अल्पमत की सरकार चलाने के लिए सत्ता में बने रहना चाहते हैं हालांकि, जमगीत सिंह ने साफ कह दिया है कि अगर उनका सपोर्ट चाहिए तो उन्हें खालिस्तान समर्थकों को खुश रखना होगा। भारत के साथ खालिस्तान के मुद्दे को जिंदा करना होगा जगमीत सिंह खुद ही खालिस्तान समर्थक हैं वह अपने वोट बैंक के लिए खालिस्तानियों का समर्थन करते हैं।
जगमीत ने भी उगला है जहर
भारत और कनाडा के मौजूदा संबंध पर विपक्षी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के जगमीत सिंह ने भारत के खिलाफ जहर उगला है जगमीत सिंह ने कहा कि मोदी सरकार कनाडा की धरती पर कनाडाई लोगों की हत्या, जबरन वसूली और नुकसान पहुंचाने के लिए संगठित अपराध में लगी हुई है। कनाडाई नागरिकों की रक्षा की जानी चाहिए, हमारी संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए और हमारे लोकतंत्र की रक्षा की जानी चाहिए. यहां बताना जरूरी है कि भारत और कनाडा के बीच रिश्ते तब और रसातल में चले गए, जब कनाडा ने उच्चायुक्त संजय वर्मा से पूछताछ करनी चाहिए इसके बाद भारत ने अपने उच्चायुक्त समेत राजनियकों को बुलाने का फैसला किया।
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