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शराब पीना लत नहीं, बल्कि बीमारी : एल्कोहोलिक्स एनोनिमस
- शराब छोड़ चुके लोगों ने साझा किया अपना अनुभव
- न दवाई न सख्ती एल्कोहोलिक्स एनोनिमस से जुड़कर छोड़ देते हैं शराब
- चारबाग स्थित होटल सोयना रेजिडेंसी में एल्कोहोलिक्स एनोनिमस का दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित
लखनऊ। एल्कोहलिकस ऍनानिमस से जुड़े दर्जनों पूर्व शराबी अपना अनुभव साझा करने के लिए चारबाग स्थित होटल सोयना रेजिडेंसी में इकठ्ठा हुए। इन पूर्व शराबियों ने अपने ही जैसे लोगों के बीच आपस में अपना अनुभव, शक्ति और आशा को साझा किया। कनाडा से आए असीम.जी ने बताया कि शराब पीना लत नहीं, बल्कि बीमारी है। इसे अन्य सामान्य बीमारियों की तरह ही माना जाना चाहिए। लेकिन अमूमन ऐसा होता नहीं है। केंसर और अन्य घातक बीमारियों से ग्रसित हो जाने के बाद उस मरीज के प्रति घर वालों की और समाज की सहानुभूति देखने को मिलती है लेकिन अल्कोहलिक हेपेटाइटिस पर लोगों का नजरिया बिल्कुल बदला जाता है। लोग यह मानने लगते हैं कि इसने तो शराब पीकर अपनी बीमारी को दावत दी है। नोएडा से आई वान्या (काल्पनिक नाम) ने बताया कि इस ग्रुप को जॉइन करने के बाद उन्होंने शराब पीना छोड़ दिया है। ग्रुप से जुड़े लोग हमेशा एक दूसरे से किसी ना किसी माध्यम से जुड़े रहते हैं। ग्रुप से जुड़ते ही शराब के पहले घूंट से दूर रहने में यह संस्था मदद करता है। हर एक दिन शराब से दूर रहने का लक्ष्य बनाकर हम आपस में साप्ताहिक मीटिंग में करते हैं।
शराब छोड़ चुके राजस्थान के सदस्य बताते हैं कि किस तरह उन्होंने शराबीयत की बीमारी में अपना सब कुछ बर्बाद कर दिया। शराब पीना छोड़ने के लिए झाड़-फूंक, दवाई और रिहैब सेंटर तक जाकर भी शराब नहीं छोड़ने वाले शराबी इस संस्था से जुड़कर शराब पीना छोड़ दिया हैं। पंजाब से आए इस अन्य सदस्य में बताया कि शराब नहीं मिलने पर हाथ कांपने लगते थे। घर पर विवाद होता था। रुपए नहीं होने पर भी किसी भी कीमत पर शराब पीना होती थी। एए से जुड़कर वह बीते 1 वर्ष से शराब से दूर है।एल्कोहलिकस ऍनानिमस उत्तर प्रदेश के delegates संजय पी ने बताया कि उपस्थित मीडिया कर्मियों को बताया कि 1935 में इस संस्था की नीव अमेरिका में रखी गई। 1950 से यह संस्था भारत के विभिन्न शहरों, राज्यों में अपना काम कर रही है।
इस संस्था का सदस्य बनने के लिए केवल शराब छोड़ने की इच्छा होना ही काफी है। इस की सदस्यता के लिये कोई चंदा या फीस नही देनी पड़ती। यह हमारे अपने योगदानों के जरिए आत्मनिर्भर है।
खास बात यह है कि शराब छुड़वाने के लिए यहां शराबियों को दवाई या दबाव नहीं डाला जाता है। उन्होंने बताया कि इस अनोखे और अनाम ग्रुप का संचालन कोई व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि शराब छोड़ चुके पूर्व शराबी ही समूह बनाकर करते हैं। विश्व के 180 देशों सहित भारत के सभी प्रमुख शहरों और राज्यों में एए के सदस्यों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जिसमें शराब छोड़कर अन्य लोगों को भी नई राह दिखाने की कोशिश इस संस्था के सदस्य कर रहे हैं। उन्होंने शराब छोड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 9555022785 भी जारी किया है।
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