
डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले सऊदी प्रिंस को घुमाया फोन
वॉशिंगटन। अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को किसी विदेशी नेता को अपना पहला फोन कॉल किया। ट्रंप ने सबसे पहला फोन कॉल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) को किया है इस फोन कॉल के बाद MBS ने अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर के निवेश पर सहमति जताई है ये फोन कॉल ट्रंप की प्राथमिकताओं को भी दिखाता है इस बातचीत में ट्रंप ने ‘अब्राहम समझौते’ का विस्तार करने और इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की इच्छा व्यक्त की इस समझौते के तहत सऊदी अरब अमेरिका के साथ एक बड़ा रक्षा समझौता कर सकता है इसके तहत अगर सऊदी अरब पर हमला होता है तो अमेरिका सुरक्षा की गारंटी देगा इसके अलावा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारी निवेश भी इसमें शामिल है।
ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में भी इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दे को पूरी तरह हल करना चाहते थे हालांकि सऊदी अरब ने लंबे समय से स्पष्ट किया है कि ऐसा समझौता तभी होगा जब फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। 7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर हमला करने के बाद सऊदी अरब ने फिलिस्तीन की मान्यता पर और भी ज्यादा जोर दिया है MBS ने मांग की है कि अब सिर्फ इजरायल की ओर से प्रतीकात्मक पहल स्वीकार नहीं किया जाएगा, बल्कि ठोस कदम जरूरी होंगे।
अमेरिका पर होगी डॉलर की बारिश
ट्रंप ने सऊदी को इसलिए भी फोन किया क्योंकि उन्हें अमेरिका में निवेश की जरूरत है सऊदी प्रेस एजेंसी ने गुरुवार को बताया कि सऊदी अरब अमेरिका में अपने व्यापार और निवेश को अगले चार वर्षों में 600 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का इरादा रखता है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंस सलमान ने बुधवार देर रात फोन पर बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को इस योजना के बारे में बताया। रिपोर्ट के मुताबिक, क्राउन प्रिंस ने ट्रंप से कहा कि सऊदी अरब अमेरिका की अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार करना चाहता है।
हूती विद्रोहियों पर भी की बात
सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली उन्होंने कहा कि वह अमेरिका की प्रतिष्ठा बहाल करेंगे। ट्रंप ने MBS से कहा कि वह सऊदी अरब के साथ साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए काम करने की आशा रखते हैं इसके अलावा दोनों नेताओं ने यमन के हूती विद्रोही आतंकियों को फिर से विदेशी आतंकी संगठन (FTO) के रूप में नामित करने के निर्णय पर चर्चा की। ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को इसे लेकर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें विदेश विभाग को 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
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